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Bhopal Name change Controversy: भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल करने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. भोजपाल मित्र परिषद 23 अगस्त से राजधानी के 13 प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शन करेगी.

Bhopal news: भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल करने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. भोजपाल मित्र परिषद इस मांग को लेकर अब सड़कों पर उतर रही है. राजधानी भोपाल के 13 प्रमुख स्थानों पर आज परिषद के सदस्य प्रदर्शन करेंगे. परिषद का कहना है कि इस शहर की ऐतिहासिक पहचान राजा भोज से जुड़ी है, और उसे उसका असली नाम लौटाया जाना चाहिए.
भोजपाल मित्र परिषद के सचिव आशीष जनक ने बताया कि जैसा कि हमने देखा इलाहाबाद ही प्रयागराज हुआ, अलीगढ़ भी बदला, मुजफ्फराबाद भी बदला तो हमें भी भोपाल बदलकर भोजपाल करना है. भोपाल नवाबों का शहर नहीं है यह राजा भोज की टेरिटरी है, बल्कि इसको अगर ऊपर से देखा जाएगा तो ओम की आकृति उभर कर सामने आती है. जिसका हक है उसको मिलना चाहिए, जिसका नाम है उसका होना चाहिए, इसलिए भोपाल को भोजपाल करने के लिए संकल्पित है.
इस पूरे मामले पर अब सियासत भी गर्मा गई है. बीजेपी और कांग्रेस एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता का कहना है कि रानी कमलापति के जो वंशज थे उनका नाम भोपाल सिंह था. भोपाल और भोजपाल के अंतर को स्पष्ट करना चाहिए. इतिहास के बारे में कुछ भी बातें करने से कुछ होने वाला नहीं है. संघ के लोगों ने अगर इतिहास लिख लिया है तो उसको इतिहास नहीं कहेंगे. नाम बदलना, पर्ची चिपकाने के अलावा भाजपा के पास कोई काम नहीं है.
वहीं बीजेपी प्रवक्ता शिवम शुक्ला का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार लगातार अपनी सांस्कृतिक विरासत को लेकर संवेदनशील है और गर्वित रही है. हमने लगातार जो संस्कृति को नष्ट करने का काम किया गया था उसको बचाने का काम किया है और उसकी पूर्ण संस्कृति को पुनर्स्थापित करने के लिए आगे बढ़े हैं. कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में रहने के दौरान आक्रांताओं का महिमंडन करने का काम किया है और अपने वास्तविक इतिहास के साथ कंप्रोमाइज किया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने गौरवशाली इतिहास को वैभव देने का काम किया है और कांग्रेस की डकियानूसी इस्लामीकरण की सोच को खारिज किया है. अगर समाज की ओर से इतना मुखर होकर ऐसी कोई मांग आती है तो उसको विवेकपूर्ण ढंग से विचार करके हमारी सरकार इस पर निर्णय लेगी, अब देखना होगा कि क्या सरकार इस मांग पर कोई कदम उठाती है या फिर यह भी एक और राजनीतिक बहस बनकर रह जाती है.
Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें
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