आंकड़े बताते हैं कि रियल एस्टेट मार्केट तेजी से टियर-2 शहरों की ओर शिफ्ट हो रहा है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि सिर्फ 2025 की पहली छमाही में ही 2,898 एकड़ ज़मीन 76 सौदों के जरिए खरीदी-बेची गई है जो 2024 के पूरे साल के आंकड़े से भी ज़्यादा है. इनमें से करीब 991 एकड़ ज़मीन देश के शीर्ष सात शहरों में रही, जबकि इसकी लगभग दोगुनी 1,907 एकड़ टियर-2 और टियर-3 बाजारों में केंद्रित रही. इन लेन-देन में से 1,200 एकड़ से अधिक ज़मीन टाउनशिप, विला और प्लॉटेड हाउसिंग जैसी रेजिडेंशियल परियोजनाओं में गई, जबकि 1,034 एकड़ मिक्स्ड-यूज़ डेवलपमेंट के लिए निर्धारित की गई. ऐसे में उभरते शहरों की ओर यह झुकाव बिल्कुल साफ है.
रॉयल ग्रीन रियल्टी के मैनेजिंग डायरेक्टर यशांक वासन कहते हैं कि इंदौर का शीर्ष तीन प्लॉटेड डेवलपमेंट्स मार्केट में उभरना टियर-टू शहरों के विकास का प्रमाण है.सबसे रोमांचक बात यह है कि जमीनी स्तर पर बदलाव अब दिखने लगा है. टियर-2 बाजार अब केवल एक विकल्प भर नहीं रह गए हैं. इन्हें अपने आप में आधुनिक इकोसिस्टम के रूप में तैयार किया जा रहा है. यहां इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित हो रही हैं, जिनमें हेल्थकेयर, शिक्षा, रिटेल और लीजर सभी शामिल हैं न कि सिर्फ हाउसिंग ब्लॉक्स. निवेशकों के लिए यह लंबे समय के मूल्यवान एसेट्स हैं.
वहीं ईएक्सपी रियल्टी इंडिया के प्रेसिडेंट और कंट्री हेड सैम चोपड़ा का कहना है कि इन 10 टियर टू शहरों में मात्र तीन वर्षों में 4.7 लाख प्लॉटों की लांचिंग, निर्मित इकाइयों से भूमि स्वामित्व की ओर खरीददारों के व्यवहार में निर्णायक बदलाव को दर्शाती है. भारतीय परिवारों के लिए यह एक ऐसा जीवनशैली मॉडल है जो आकर्षक भी है और हासिल करने योग्य भी है. यही वजह है कि शहरी विकास का अगला चरण अब केवल मुंबई, बेंगलुरु या दिल्ली नहीं बल्कि लखनऊ, मुरादाबाद, इंदौर, सोनीपत और कोयंबटूर जैसे शहरों से भी तय होगा.