सहारा, बायजूस अब ड्रीम 11, टीम इंडिया के प्रायोजकों का क्यों हुआ बुरा हाल

सहारा, बायजूस अब ड्रीम 11, टीम इंडिया के प्रायोजकों का क्यों हुआ बुरा हाल


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The sponsorship jinx: सहारा, बायजूस और ड्रीम11 जैसे टीम इंडिया के प्रायोजकों को बीसीसीआई से जुड़ने के बाद कानूनी और वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा. क्या यह महज संयोग है या अपशकुन?

सहारा, बायजूस अब ड्रीम 11, टीम इंडिया के प्रायोजकों का क्यों हुआ बुरा हालभारतीय जर्सी प्रायोजक ड्रीम11 को ऑनलाइन गेमिंग विधेयक के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
The sponsorship jinx: सहारा इंडिया, बायजूस और ड्रीम11. इन कंपनियों में क्या समानता है? अगर आपका जवाब है कि इन सभी कंपनियों ने भारतीय क्रिकेट टीम को प्रायोजित किया है, तो आप एकदम सही हैं. लेकिन क्या बस इतना ही है? भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पर इन बड़े ब्रांडों के नाम छपने के तुरंत बाद ही उनका बुरा हश्र हुआ. क्या यह संयोग था? या फिर कुछ और? सच है कि भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता को देखते हुए क्रिकेट जगत में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड  (बीसीसीआई) से बड़ा कोई नाम नहीं है. हर कंपनी बीसीसीआई के साथ किसी न किसी तरह की साझेदारी करना चाहती है क्योंकि यह बाजार में अपना नाम स्थापित करने का सबसे अच्छा तरीका साबित हो सकता है.  

बीसीसीआई के साथ किसी भी कंपनी की सबसे बड़ी साझेदारी टीम प्रायोजित करने की होती है. जिसका अर्थ है कि टीम के हर मैच में खिलाड़ी टीम प्रायोजक के नाम वाली जर्सी पहनेंगे. इससे कंपनी को सबसे ज्यादा विज्ञापन लाभ की स्थिति मिलती है. हालांकि यह सौदा सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है. लेकिन 21वीं सदी में इसके पीछे का इतिहास कुछ हद तक अभिशप्त रहा है. क्योंकि 2001 से भारत के सभी टीम प्रायोजक बीसीसीआई के साथ साझेदारी करने के बाद किसी न किसी तरह के कानूनी या वित्तीय विवाद में फंस गए हैं. इस सूची में नवीनतम नाम ड्रीम11 का है, जो 2023 में भारत का टीम प्रायोजक बना था. वर्तमान में भारत सरकार द्वारा 21 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल 2025 पारित करने के बाद सभी रियल-मनी गेमिंग ऐप्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बाद खुद को एक अनिश्चित स्थिति में पा रहा है.  

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ड्रीम11 पर कैसे प्रभाव डालेगा नया बिल
ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल 2025 के अनुसार कोई भी ऐप या गेम जिसमें रीयल-टाइम पैसा शामिल हो. यानी रीयल टाइम में ज्यादा पैसा कमाने के लिए पैसा खर्च करना, पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा. चाहे वह किस्मत पर आधारित हो या कौशल पर आधारित. ड्रीम11 कौशल आधारित श्रेणी में आता है जहां उपभोक्ता अपनी फैंटेसी टीम बनाते हैं और खिलाड़ियों के अच्छा प्रदर्शन करने पर ज्यादा कमाई की उम्मीद में उस पर पैसा लगाते हैं. इसका मतलब है कि ड्रीम11 द्वारा प्रदान की जाने वाली वर्तमान सेवाओं की प्रकृति को देखते हुए नया विधेयक इस ऐप पर स्थायी प्रतिबंध लगा देगा.

कब लागू होगा ऐप पर प्रतिबंध?
नया गेमिंग विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित हो चुका है. अब विधेयक को अधिनियम बनने के लिए केवल राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता है. जिसके बाद ड्रीम 11 सहित सभी वास्तविक धन वाले गेमिंग ऐप्स को तुरंत अपना संचालन करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा. ड्रीम 11 अब कानूनी पचड़ों में है और बीसीसीआई टीम प्रायोजकों की उस अनचाही सूची में शामिल हो गया है जो भारतीय क्रिकेट टीम के साथ अपनी साझेदारी के बाद किसी न किसी तरह की परिचालन संबंधी समस्याओं में फंस गए हैं. 

लेकिन इस सूची में कौन-कौन है? एक नजर डालें…

विल्स था पहला प्रायोजक
1996 के क्रिकेट विश्व कप में प्रशंसकों ने भारतीय टीम की पहली रंगीन जर्सी पर विल्स का लोगो देखना शुरू किया. वे टीम के पहले प्रमुख प्रायोजक थे, जिन्हें टीम का स्लीव प्रायोजक भी कहा जाता था. उस समय विश्व कप व्यावसायिक घरानों द्वारा प्रायोजित होते थे, और 1996 के विश्व कप को भी विल्स ने ही प्रायोजित किया था. अपने जुड़ाव के उन वर्षों में विल्स देश भर के दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बन गया, जिसने ब्रांड को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया. स्टैंड पर बैठे दर्शकों और खासकर घर पर स्क्रीन के सामने बैठे दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया. तो फिर उन्होंने अपना नाम वापस क्यों ले लिया? सरोगेट विज्ञापन के नियम सख्त होने लगे और इसी वजह से विल्स को टीम के साथ अपना संबंध खत्म करना पड़ा. दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले विल्स के अलावा प्रूडेंशियल जैसी बीमा कंपनियों से लेकर बेन्सन एंड हेजेज जैसी अन्य तंबाकू कंपनियों तक सभी तरह के संगठनों ने विश्व कप को प्रायोजित किया था.

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सहारा: कानूनी परेशानियां और पतन
बीसीसीआई से जुड़ने के बाद बुरे दिन शुरू होने वालों की सूची में सबसे पहला नाम सहारा समूह का है. एक दशक से भी ज्यादा समय तक सहारा (2001 से 2013 तक) का लोगो भारतीय क्रिकेट जर्सी का पर्याय रहा. 2003 विश्व कप फाइनल के दिल टूटने से लेकर 2011 के गौरव तक. व्यापक प्रचार के बावजूद सहारा का वित्तीय साम्राज्य ढह गया. 3 करोड़ निवेशकों से लगभग ₹24,000 करोड़ जुटाने के बाद समूह को नियामक उल्लंघनों के लिए सेबी की कार्रवाई का सामना करना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने जमा राशि जमा करने का आदेश दिया, लेकिन पालन न करने पर 2014 में उसके चेयरमैन सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया. 2023 में उनके निधन के बाद भी निवेशकों से धन वसूलने के प्रयास जारी हैं.

स्टार इंडिया: चढ़ाव और उतार
स्टार इंडिया (2014 से 2017) ने सहारा की जगह ली जो कोहली और रोहित जैसे आधुनिक सितारों के उदय के साथ ही शुरू हुआ. जर्सी पर इस ब्रांड की उपस्थिति एक नए क्रिकेट युग का प्रतीक थी. लेकिन व्यावसायिक सफलता में गिरावट आई. वॉल्ट डिज़्नी के स्वामित्व वाले स्टार को बाजार में अपने प्रभुत्व के दुरुपयोग के लिए जांच का सामना करना पड़ा, जिसके कारण प्रतिस्पर्धा आयोग ने जांच शुरू कर दी. इस बीच, हॉटस्टार के संघर्षों के कारण उसे जियो के साथ विलय करना पड़ा. जिससे कभी प्रमुख ब्रॉडकास्टर रहा यह खिलाड़ी कमजोर पड़ गया.

ओप्पो: कम समय के लिए अनुबंध
ओप्पो (2017 से 2020) ने ₹1,079 करोड़ का एक बड़ा सौदा किया, लेकिन कम रिटर्न के कारण जल्दी ही बाहर निकल गया. नोकिया और इंटरडिजिटल के साथ पेटेंट विवादों को लेकर कानूनी लड़ाई ने इसकी साख को और कमजोर कर दिया. बायजूस ने ओप्पो की वित्तीय शर्तों का सम्मान करते हुए इसमें कदम रखा, लेकिन जल्द ही खुद अपनी मुश्किलों में घिर गया. 2023 तक बीसीसीआई ने ₹158 करोड़ के डिफॉल्ट को लेकर एनसीएलटी का रुख कर लिया, जिससे एडटेक दिग्गज की वित्तीय मुश्किलें और बढ़ गईं.

बायजूस: उछाल और पतन
शुरुआत में बीसीसीआई के प्रायोजन सौदे के रक्षक के रूप में तारीफ पाने वाला बायजूस ((2020 से 2022) जल्द ही एक और चेतावनी की कहानी बन गया. भुगतान में चूक, दिवालियापन याचिकाओं और नियामक जांच के कारण, कभी चर्चित एडटेक यूनिकॉर्न क्रिकेट बोर्ड के साथ अदालत में एक अस्थायी समझौते के बावजूद अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा था.

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ड्रीम11: अनिश्चित भविष्य
2026 तक जर्सी प्रायोजक ड्रीम11 ((2023 से वर्तमान तक) अनिश्चितताओं का सामना कर रहा है. बीसीसीआई द्वारा सट्टेबाजी और असली पैसे वाले जुए से जुड़े संबंधों को लेकर चिंता के बीच ड्रीम11 की वैधता की समीक्षा की जा रही है. कंपनी पर पहले भी ₹1,200 करोड़ की कथित जीएसटी चोरी को लेकर टैक्स की मांग की गई थी. हालांकि एक नोटिस वापस ले लिया गया था, लेकिन जीएसटी अधिकारियों द्वारा नए सिरे से जांच की उम्मीद है, जिससे इसके प्रायोजन का भविष्य सवालों के घेरे में है.

क्या यह ड्रीम11 के लिए अंत है?
ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 का रेगुलेशन निश्चित रूप से ड्रीम 11 के ऑपरेशन के खिलाफ है. लेकिन यह वास्तव में फैंटेसी गेमिंग दिग्गज के लिए अंत नहीं है. क्योंकि वे अभी भी सदस्यता मॉडल के साथ अपना ऐप चलाते रह सकते हैं. जहां खिलाड़ी बिना किसी वास्तविक पैसे के फैंटेसी गेमिंग में अपना हाथ आजमाने के लिए कुछ पैसे दे सकते हैं. हालांकि इससे उनके बीसीसीआई टीम प्रायोजक बने रहने की संभावना कम ही है, क्योंकि इससे उनके रेवेन्यू पर भारी असर पड़ेगा. लेकिन इसका बीसीसीआई के साथ उनकी साझेदारी पर क्या असर पड़ेगा, इसका अंतिम जवाब जानने के लिए हमें कुछ समय इंतजार करना होगा.

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सहारा, बायजूस अब ड्रीम 11, टीम इंडिया के प्रायोजकों का क्यों हुआ बुरा हाल



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