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Ratapani Tiger Reserve: भोपाल से रातापानी टाइगर रिजर्व से हैरान करने वाला वीडियो सामने आया है. इसे देखने के बाद लोग भी हैरान हैं. जानें माजरा
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब यहां बाघों ने भी इंसानों के साथ रहना सीख लिया है और दोनों अपनी सीमाओं का सम्मान करते हैं. बता दें, वर्तमान समय में राजधानी भोपाल से सटे रातापानी टाइगर रिजर्व में 90 बाघ हैं. इनमें से आधा दर्जन भोपाल के आसपास हैं. भोपाल के बाघों के व्यवहार और अर्बन टाइगर मैनेजमेंट पर वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के स्टूडेंट द्वारा रिसर्च की जा चुकी है. करीब 20 साल की स्टडी में ये पाया गया कि अर्बन, रूरल एरिया के बाघों के इकोलॉजी पैटर्न, उनके व्यवहार में काफी अंतर है.
भोपाल के आसपास बाघ रात में एक्टिव होते हैं, जबकि अन्य टाइगर रिजर्व या जंगलों में बाध दिन हो या रात हर समय एक्टिव रहते हैं. हालांकि, भोपाल के लोग जागरूक भी हैं, जिसके चलते यहां आज तक कोई घटना नहीं हुई है. हाल ही में कलियासोत डैम के पास स्थित संस्कार वैली स्कूल वाली रोड पर कार सवार युवकों को बाघ घूमते हुए दिखा था, जिसके ठीक थोड़ी दूर एक पति-पत्नी वॉक कर रहे थे.
जगह-जगह लग रहीं दुकानें
गनीमत यह रही कि युवकों ने समय रहते उन्हें अपनी गाड़ी में बैठा लिया. इससे दो दिन पहले ही बाघ कलियासोत डैम 13 गेट के पास देखा गया था, जो सड़क के किनारे चलते हुए झाड़ियों में चला गया. पिछले दो हफ्तों में तीन बार बाघ देखा गया. यहां जगह-जगह पर खतरे के बावजूद भुट्टे के ठेले लगे देखने को मिल जाते हैं. साथ ही दिन के समय बड़ी संख्या में लोग यहां घूमने-फिरने आते हैं.
इन कारणों से अनुकूल
यहां कलियासोत और केरवा डैम के आसपास बाघों के लिए पर्याप्त भोजन, पीने के पानी के लिए वॉटर बॉडीज और रहने के लिए धने जंगल और गुफाएं हैं. साथ ही रात के समय जब बाघ सड़क पर होता है, तब लोगों का इस इलाके में आना-जाना कम हो जाता हैं. वन विभाग का बाघ प्रबंधन और मॉनिटरिंग बेहतर है, जहां भी बाध के मूठमेंट की सूचना मिलती है, वहां टीम एक्टिव हो जाती है.