नेशनल हाईवे पर यात्रा करने वाले वाहन चालकों के लिए सरकार ने 15 अगस्त से एनुअल फास्टैग पास लॉन्च किया है। इसकी कीमत 3,000 रुपए है, जो एक साल के लिए वैलिड रहेगी। इस पास के जरिए यूजर्स 200 बार टोल क्रॉस कर सकेंगे। सरकार का कहना है कि एक टोल क्रॉस करने क
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मप्र की बात करें तो 15 अगस्त से लेकर अब तक करीब 6 लाख लोगों ने एनुअल फास्टैग पास लिया है। एमपी में जहां नेशनल हाईवे के टोल ज्यादा है वहां ये सुविधा फायदेमंद हैं, वहीं MPRDC यानी मप्र रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के टोल पर इसका कोई फायदा नहीं मिलेगा।
अब सवाल उठता है कि क्या वाहन चालकों को फास्टैग एनुअल पास बनवाना चाहिए या नहीं? ये कैसे बनता है और मप्र के बड़े शहरों में ट्रैवल करने वाले लोगों को इसका फायदा कैसे मिलेगा? इन सवालों को लेकर भास्कर ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय अधिकारी श्रवण कुमार सिंह से बात की। पढ़िए रिपोर्ट
अब वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं…
सवाल: फास्टैग एनुअल पास से कैसे फायदा मिलेगा? जवाब: अभी टोल नाके पर जैसे फास्टैग काम करता है ये वैसे ही काम करेगा, लेकिन इसमें फायदा ये कि हर बार फास्टैग के रिचार्ज का झंझट नहीं होगा। यदि कोई फास्टैग को रिचार्ज नहीं करता तो वह ब्लैकलिस्ट हो जाता है। इसकी चिंता खत्म होगी। टोल नाके के 60 किमी के दायरे में रहने वाल लोग जो बार बार टोल से होकर गुजरते हैं उनकी समस्या दूर होगी।
सवाल: एमपी में NHAI और MPRDC दोनों टोल वसूलते हैं? जवाब: ये सही है। MPRDC (मप्र स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) एमपी सरकार की एजेंसी है जो स्टेट हाईवे और जिलों को जोड़ने वाली प्रमुख सड़कों के निर्माण, रखरखाव और संचालन के लिए जिम्मेदार है। MPRDC के प्रदेश में 110 टोल हैं। इनका संचालन मप्र सरकार करती है। इन सड़कों से गुजरने वाले लोगों को फास्टैग एनुअल पास का फायदा नहीं मिलेगा।
वहीं मप्र में NHAI के 92 टोल प्लाजा है। ये केंद्र सरकार की एजेंसी है, जो नेशनल हाईवे, एक्सप्रेस वे के निर्माण, रखरखाव और संचालन के लिए जिम्मेदार है। जो वाहन NHAI से गुजरेंगे उन्हें एनुअल पास का पूरा फायदा मिलेगा।

सवाल: क्या बार-बार रिचार्ज से छुटकारा नहीं मिलेगा? जवाब: पूरी तरह से तो नहीं मिलेगा, क्योंकि जैसा पहले बताया कि एनुअल पास सिर्फ NHAI की सड़कों पर ही काम करेगा, लेकिन एमपी में 110 टोल MPRDC के हैं जहां पर पुरानी फास्टैग व्यवस्था के तहत ही टोल कटेगा। यहां एनुअल पास काम नहीं करेगा। इस वजह से फास्टैग को रिचार्ज तो कराना होगा। प्रदेश में बहुत से रूट ऐसे हैं जहां MPRDC के साथ NHAI के टोल भी हैं।
सवाल: इसका मतलब कि इसका ज्यादा फायदा नहीं है? जवाब: ऐसा नहीं है। जो लोग रेगुलर NHAI की सड़कों से गुजरते हैं, उन्हें इसका फायदा मिलेगा। भोपाल से जबलपुर हाईवे NHAI के अंडर में ही आता है। यहां MPRDC का कोई टोल नहीं है। मान लीजिए कोई व्यक्ति भोपाल से जबलपुर हर महीने दौरा करता है तो उसे एनुअल पास का फायदा मिलेगा।
अभी यहां एक तरफ से 465 रुपए टोल के रूप में देना पड़ते हैं। इतना ही पैसा वापस लौटने में लगता है यानी भोपाल से जबलपुर जाने और जबलपुर से भोपाल आने पर वह टोल टैक्स के रूप में 930 रुपए खर्च करता है। अब इस तरह 12 महीने में वह 11 हजार 160 रु. केवल टोल पर ही खर्च करता है। वह 3 हजार रु. देकर फास्टैग एनुअल पास बनवाता है तो उसे 8 हजार 160 रु. की बचत होगी।

सवाल: कैसे पता चलेगा कि सड़क NHAI की है या MPRDC की? जवाब: जो लोग रेगुलर सड़क पर चलते हैं, उन्हें ये पता होता है कि सड़क NHAI की है या MPRDC की। जब आप टोल नाके पर पहुंचते हैं तो वहां ऊपर बड़े बड़े अक्षरों में MPRDC या NHAI लिखा होता है। अभी लोग इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन जो लोग एनुअल पास बनवा रहे हैं वो इसे अच्छे से जानते हैं।
15 अगस्त को ये स्कीम शुरू हुई है और पहले ही दिन एमपी के 1.5 लोगों ने एनुअल पास बनवाया। अब स्कीम शुरू हुए 10-11 दिन हो चुके हैं, ये आंकड़ा करीब 6 लाख तक जा पहुंचा है।
सवाल: क्या इंदौर-भोपाल रूट पर भी इसका फायदा मिलेगा? जो लोग भोपाल से इंदौर जाते हैं उन्हें इसका उन्हें फायदा मिलेगा, लेकिन ये कम रहेगा। इस रोड पर 5 टोल नाके हैं इसमें NHAI का केवल एक टोल है, बाकी चार MPRDC के हैं। NHAI के टोल पर एक तरफ से 100 रु. टोल लगता है। यदि कोई एनुअल पास बनाता है तो उसे इसी टोल पर फायदा मिलेगा, बाकी चार टोल पर नहीं मिलेगा।

सवाल: NHAI एमपी में एक साल में कितना टोल कलेक्शन करता है? जवाब: मध्यप्रदेश में एनएचएआई अपने 92 से ज्यादा टोल नाकों से साल भर में 3800 करोड़ से ज्यादा टोल कलेक्शन करता है। इन टोल नाकों से गुजरने वाले वाहनों में 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा नॉन कॉमर्शियल वाहनों का होता है और सालाना टोल कलेक्शन में इनकी हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है।

सवाल: इस स्कीम से टोल कंपनी के नुकसान की भरपाई कौन करेगा? जवाब: एनएचएआई के प्रोजेक्ट्स पीपीपी मॉडल पर बनते हैं। यानी हाईवे का निर्माण प्राइवेट कंपनी करती है और एक निर्धारित समय तक टोल नाकों के जरिए हाईवे बनाने का खर्च और रख-रखाव की राशि वसूलती है। अब इस नए नियम से टोल कंपनी को नुकसान होना तय है। इसकी भरपाई एनएचएआई करेगा और एनुअल पास वाले यूजर से जितनी राशि कम मिलेगी उतना राशि टोल कंपनी को दी जाएगी।

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