अब हम 1962 वाली आर्म्स फोर्स नहीं हैं। हम अब युद्ध को लेकर टेक्नोलॉजी, ट्रेनिंग और मेन पॉवर में काफी आगे बढ़ गए हैं। 1962 में हमारे सैनिकों के पास गर्म कपड़े, बूट नहीं होते थे लेकिन आज वह स्थिति नहीं है। आज जीरो टेम्प्रेचर में सैनिक आसानी से अपनी ड्यूट
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यह बात रिटायर्ड एयर मार्शल शशिकर चौधरी ने नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (NMIMS) के दीक्षांत समारोह के दौरान मंगलवार को कही। इस मौके पर विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं। उन्होंने देश सेवा और ऑपरेशन सिंदूर पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि अगर चीन की बात करते तो नंबर देखें जैसे उनके पास इतने हवाई जहाज, इतनी पनडुब्बियां, इतने पानी के जहाज हैं, तो हम कमजोर जरूर लगते हैं लेकिन यह भी देखें कि चीन कितना बड़ा देश है। वह अपना गोला बारूद केवल यहां लाकर नहीं रखेगा।
सिर्फ सोल्जर नहीं, जिम्मेदार नागरिकों का योगदान जरूरी
उन्होंने कहा कि थॉमस एडिसन ने 1000 बार कोशिश की, लेकिन जब उन्होंने ठान लिया और एक बार सफलता पाई तो इतिहास रच दिया। अच्छी टीम वही होती है, जो 1+1 को केवल 2 नहीं, बल्कि 11 बना दे। देश को नंबर-वन बनाने में सिर्फ सोल्जर नहीं, आपका और जिम्मेदार नागरिकों का योगदान जरूरी है। चौधरी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में जो देखा वह सतत चलने वाली प्रोसेस है और जरूरी भी है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में एक बड़ा झंडा गाड़ा है। हम एक होकर ही लड़ते हैं। दूसरा यह कि इंडिजिनस इक्विपमेंट इज एज गुड एज रहा। भारत ने यह प्रूफ कर दिया। इसी तरह से दूसरे इक्विपमेंट भी लगे हैं।
कार्यक्रम में शामिल अतिथिगण।
तीनों सेनाओं ने मिलकर लड़ा ‘ऑपरेशन सिंदूर’
पाकिस्तान के खिलाफ तीनों सेनाओं ने मिलकर लड़ाई लड़ी। तीनों ने मिलकर ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन गिराए। उन्हें अलग-अलग आदेश नहीं दिया। ऐसा इंटिग्रेटेड एयर डिफेंस कंट्रोल सेंटर के माध्यम से हुआ। अब ड्रोन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग बड़े पैमाने पर होने वाला है। अब जो लड़ाई होगी वह नेटसेट्रिक और नॉन कॉन्टेट होगी। आने वाले सालों में वर्ल्ड वार की संभावना नहीं है, क्योंकि वर्ल्ड की इकोनॉमिक कंडीशन अच्छी नहीं है।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में आप यहां (इंदौर) बैठकर त्रिवेंद्रम में लड़ाई कंट्रोल कर सकते हैं। आने वाले सालों में वर्ल्ड वार की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि वर्ल्ड की इकोनॉमिक कंडीशन अच्छी नहीं है। अगर वर्ल्ड वार हुआ तो एक्सटेंसिव डैमेज हो जाएगा, क्योंकि सभी के पास न्यूक्लियर हथियार हैं। गुट निरपेक्षता सभी के बेहतरी के लिए हैं।

रिटायर्ड एयर मार्शल शशिधर चौधरी
कार्यक्रम का समापन ग्रेजुएट एवं सस्टेनेबिलिटी शपथ के साथ हुआ, जिसमें छात्रों ने अपने चुने हुए क्षेत्रों में नैतिक और सामाजिक रूप से उत्तरदायी आचरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। एयर मार्शल शशिधर चौधरी ने उन्हें शपथ दिलाई। उन्होंने स्कूल ऑफ लॉ (SOL), स्कूल ऑफ कॉमर्स (SOC) और स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी, मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग (STME) के ग्रेजुएट को अपने करियर के अगले चरण में प्रवेश करते समय दृढ़, नवोन्मेषी और मानसिक रूप से चुस्त बने रहने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर प्रो-वाइस चांसलर डॉ. शरद म्हैसकर ने कहा कि इंस्टीट्यूट ने पिछले साल ज्ञान सृजन, शिक्षण की उत्कृष्टता, हितधारक सहभागिता और धारणा निर्माण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है। इसी दिशा में बहु-कैंपस समन्वय की दिशा में बड़े कदम उठाए गए हैं। इससे धीरे-धीरे सभी कार्यक्रमों और परिसरों में गुणवत्तापूर्ण और एकरूप शैक्षणिक डिलीवरी सुनिश्चित हो रही है। इस मौके पर विद्यार्थियों को डिग्रियां दी गईं और उच्च उपलब्धियों, सर्वांगीण प्रदर्शन, संकाय और स्टाफ के योगदान को भी सम्मानित किया गया।
डायरेक्टर डॉ. अंशुमान जैसवाल ने कहा कि हमारे छात्र जिस दुनिया में कदम रख रहे हैं, वह चुनौतियों से भरी है, लेकिन अवसर भी बहुत हैं। आप चाहे तकनीक, वाणिज्य, कानून या प्रबंधन किसी भी राह को चुनें, याद रखिए कि आपका ज्ञान, साहस और दृष्टिकोण आपके आसपास की दुनिया को बदल सकता है। कार्यक्रम में अखिलेश राठी (चांसलर के नॉमिनी), अरविंद बॉठिया (मेंटर), अजय बांकड़ा (मेंटर) और आशीष आप्टे (कंट्रोलर ऑफ एग्ज़ामिनेशन) सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।