कपास की फसल में खिलेंगे फूल…पर अंदर नहीं मिलेगी रुई, बेहद खतरनाक है ये कीड़ा, किसान जानें बचाव

कपास की फसल में खिलेंगे फूल…पर अंदर नहीं मिलेगी रुई, बेहद खतरनाक है ये कीड़ा, किसान जानें बचाव


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Cotton Farming Tips: गुलाबी इल्ली कपास के लिए बेहद खतरनाक है. यह फसल को चुपचाप अंदर से खत्म करती है. कीट कपास के फूलों और डेंडू के अंदर जाकर उसे खा जाते हैं. जानें बचाव…

Agri Tips: मध्य प्रदेश के खरगोन में खरीफ सीजन में लाखों हेक्टेयर में किसानों ने कपास बोई है, जो अब पकने की तैयारी में है. पौधों पर फूल खिल आए हैं. घेटो (झेंडे) में रुई बनने लगी है. वहीं, कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी है. वैज्ञानिक को मानना है कि इस समय कई तरह के रोग फैलते हैं, जिनमें गुलाबी इल्ली भी शामिल है. इसे गुलाबी सुंडी भी कहते हैं. फसलों की इस अवस्था में गुलाबी इल्ली का प्रकोप अक्सर देखा जाता है.

यदि समय पर पहचान और बचाव नहीं किया, तो खड़ी फसल बर्बाद हो सकती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, गुलाबी इल्ली कपास के लिए बेहद खतरनाक है. यह फसल को चुपचाप अंदर से खत्म करती है. कीट कपास के फूलों और डेंडू के अंदर जाकर उसे अंदर से खा जाते हैं, जिससे न तो फसल बढ़ती है और न ही डेंडू का आकार ठीक बनता है. इस वजह से रुई की मात्रा घटती है और उत्पादन गिर जाता है. कई बार किसानों को लागत निकालना मुश्किल हो जाता है.

गुलाबी इल्ली के पहचान का तरीका
कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह बताते हैं, किसानों को अपने खेत की लगातार निगरानी करनी चाहिए. इसके लिए प्रति एकड़ में तीन फेरोमोन ट्रैप लगाएं. यदि लगातार तीन दिन तक किसी एक ट्रैप में आठ या उससे ज्यादा तितलियां आती हैं, तो समझिए इल्ली का हमला शुरू हो गया है. अगर ट्रैप नहीं है तो एक लाइन में 20 कपास के पौधे गिनें. यदि 2 या 3 पौधों के फूल मुरझाए हुए मिलें या पत्तियां सिकुड़ी हुई दिखें तो यह गुलाबी इल्ली का साफ संकेत है.

इल्ली के फसल बचाने के उपाय
गुलाबी इल्ली के लक्षण दिखने पर शुरुआत में प्रोफेनोफॉस 400 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें, जिससे तितलियां नष्ट हो जाएं. इसके 8 से 10 दिन बाद डेल्टा मेथ्रिन या प्रोफेनोसायपर का उपयोग करें. यदि इसके बावजूद फूल और फली में गुलाबी इल्ली दिख रही हो, तो हिमामेटीन बेंजोइट 80 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें. जब तक फसल में बॉल (डेंडू) पूरी तरह बन न जाएं, तब तक 15-15 दिन के अंतराल में लगातार दवा छिड़कना जरूरी है. इससे कीटों की संख्या कम होगी और फसल बची रहेगी.

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