कॉल बिफोर यू डिग (सीबीयूडी) यानी खुदाई से पहले कॉल करें, दूरसंचार विभाग की पहल है। इसका मकसद अनियंत्रित खुदाई से होने वाले नुकसान को कम करना है। अक्सर सड़क के नीचे नई लाइन बिछाते समय पुरानी लाइनें डेमेज हो जाती हैं और आम लोगों को परेशानी उठानी पड़ती
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ऐसे में पुरानी लाइन डेमेज होने पर सीवेज निकासी रुक सकती है, घरों में पानी की सप्लाई बंद हो सकती है या इंटरनेट सेवा ठप पड़ सकती है। इन्हीं दिक्कतों से बचने के लिए सीबीयूडी सिस्टम तैयार किया गया है। इससे सड़क के नीचे कौन सी लाइन है, यह पहले ही पता चल जाएगा और एजेंसियां अपनी लाइन डालते समय दूसरी लाइन को नुकसान नहीं पहुंचाएंगी।
1354 पुरानी लाइनें डेमेज होने से बचीं
मध्यप्रदेश में सड़क के नीचे हजारों किलोमीटर लंबी लाइनें बिछी हुई हैं। इनमें पानी, सीवेज, गैस और इंटरनेट सेवाओं से जुड़ी करीब 4200 से ज्यादा लाइनें दर्ज हैं। अक्सर नई लाइन डालने के लिए खुदाई करते समय पुरानी लाइनें टूट जाती थीं, लेकिन सीबीयूडी सिस्टम लागू होने के बाद अब स्थिति बदलने लगी है।
राज्य में अब तक 1354 बार एजेंसियों ने खुदाई से पहले सिस्टम से जानकारी ली है। इसका सीधा मतलब यह है कि इतनी बार पुरानी पाइप और केबल लाइनें डेमेज होने से बच गईं। यही नहीं, खुदाई शुरू करने से पहले एजेंसियों ने 5636 बार सीबीयूडी पोर्टल पर पूछताछ की कि सड़क के नीचे कौन-कौन सी लाइनें बिछी हैं।
153 बार बिना जानकारी के हुई खुदाई:
भले ही धीरे-धीरे एजेंसियां अब सावधानी बरत रही हैं और बिना जानकारी खुदाई करने से बच रही हैं। लेकिन फिर भी चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। मध्यप्रदेश में 153 बार बिना जानकारी दिए खुदाई कर दी गई। बिना जानकारी खुदाई के मामले में प्रदेश का देश में 14वां स्थान है। ऐसे मामलों में नुकसान का खतरा बना रहा और कई बार स्थानीय लोगों को दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि सभी एजेंसियां खुदाई से पहले सीबीयूडी की जानकारी लेने लगें, तो पानी, सीवेज और इंटरनेट सेवा जैसी परेशानियों को पूरी तरह रोका जा सकता है।
टेंडर में किया अनिवार्य
सभी विभागों के टेंडर में सीबीयूडी को अनिवार्य कर दिया गया है। यानी कोई भी एजेंसी खुदाई का काम शुरू करने से पहले सीबीयूडी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करेगी। इसके बाद एजेंसी यह बताएगी कि किस जगह पर खुदाई करनी है। सिस्टम तुरंत उस लोकेशन का नक्शा खोल देगा और दिखाएगा कि सड़क के नीचे कौन-कौन सी लाइनें-जैसे पानी, सीवेज, गैस या इंटरनेट-पहले से बिछी हुई हैं। इससे एजेंसी अपनी नई लाइन डालते समय पुरानी पाइप और केबल को नुकसान पहुंचाने से बच सकेगी।