मप्र में ड्रग्स लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में पुलिस को अपना रवैया बदलना चाहिए। अब तक हो रही प्रक्रिया के उलट, भविष्य में ड्रग का सेवन करने वालों, खरीदने वालों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज न किए जाएं। इसके बजाए तत्काल पुनर्वास केंद्रों मे
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ताकि, उनका पुनर्वास सुनिश्चित हो सके। यहां भेजने से पहले ड्रग उपभोक्ताओं से विस्तृत पूछताछ करें और ड्रग्स की तस्करी करने वाले सप्लायर्स व उनके नेटवर्क की जानकारी जुटाएं। हाल ही में मप्र पुलिस की नारकोटिक्स शाखा के एडीजी केपी वेंकटेश्वर राव ने यह निर्देश सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों और एडिशनल पुलिस कमिश्नर भोपाल-इंदौर को दिए हैं।
एक पत्र के जरिए दिए गए इन निर्देशों में एडीजी ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर के पत्र का भी हवाला दिया है। इसमें ड्रग लेने वालों पर प्रकरण दर्ज न करने और उन्हें पुनर्वास केंद्र भेजने के निर्देश दिए गए हैं। एडीजी ने पत्र में लिखा है कि ड्रग उपभोक्ताओं से मिली जानकारी के आधार पर ड्रग माफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करें और उनकी आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) को तोड़ें।
इसलिए अब ड्रग्स का सेवन करने वालों को आपराधिक मानने के बजाए, उन्हें पीड़ित मानकर उनके पुनर्वास पर ध्यान दें। इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करें, ताकि मप्र से ड्रग आपूर्ति नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके।
2 लेयर पर ही इन्वेस्टिगेशन खत्म, सरगना आजाद
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि एनडीपीएस के मामलों में 3 लेयर इन्वेस्टिगेशन जरूरी है, लेकिन अब तक हुई धरपकड़ के बीच ज्यादातर मामलों में पुलिस ड्रग यूजर्स या पैडलर्स तक ही पहुंच पाई हैं। यानी पुलिस का इन्वेस्टिगेशन 2 लेयर पर ही खत्म हो जाता है।
भोपाल के दो केस से समझें, क्यों लिया फैसला
- अयोध्या नगर पुलिस ने सिलवानी रायसेन निवासी सुरेंद्र उर्फ छोटू जाटव को 5 किलो से अधिक गांजे के साथ गिरफ्तार किया। छोटू गांजा कहां से लाया था, पुलिस वहां तक नहीं पहुंची।
- क्राइम ब्रांच ने पिछले महीने छोला निवासी मोनू अहिरवार को गांजा तस्करी में पकड़ा था। उसके पास दो किलो से अधिक गांजा मिला, लेकिन क्राइम ब्रांच सरगना तक नहीं पहुंच सकी।