सिवनी जिले में हुई एक युवक की हत्या के आरोपी ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। पूछताछ में उसने बताया है कि उसकी इकलौती बहन ने रक्षाबंधन के दिन उसे राखी नहीं बांधी थी। बहन इस बात से नाराज थी कि मैंने उसके बॉयफ्रेंड को फटकार लगाई थी। फिर भी वह नहीं माना
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जबकि वह बहन से राखी बंधवाने के लिए ही भोपाल से गांव आया था। लेकिन, रक्षाबंधन के पूरे दिन कलाई सुनी रही। इसी से दुखी होकर 3 दोस्तों के साथ प्लान बनाया और उसके बॉयफ्रेंड की हत्या कर दी।
हत्या के बाद जबलपुर पुलिस मामले की जांच में जुटी रही। सबसे पहले हत्या में शामिल सचिन को हिरासत में लिया गया। इसके बाद 6 सितंबर को पुलिस ने मुख्य आरोपी आशीष धुर्वे उर्फ बिहारी (19) और अन्य 2 आरोपी को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी हत्या के बाद चेन्नई भाग गए थे।
पुलिस गिरफ्त में आए चारों आरोपी। आशीष उर्फ बिहारी दायें से दूसरा।
एक साल से समझा रहा था, नहीं मान रहे थे जबलपुर के ग्राम कूडो बुधवारा में रहने वाले 19 वर्षीय सत्येंद्र उइके की गांव की 17 वर्षीय नाबालिग से दोस्ती थी। दोनों के बीच प्रेम संबंध थे। उनका मिलना होता रहता था।
एक साल पहले युवती के भाई आशीष ने गांव के बाहर दोनों को घूमते देख लिया था। तब उसने सत्येंद्र को हिदायत दी थी कि वह दोबारा बहन के साथ दिखाई दिया तो ठीक नहीं होगा। इसके बाद नौकरी की तलाश में आशीष भोपाल चला गया था।

बहन ने नहीं बांधी थी राखी आशीष उर्फ बिहारी भोपाल और सत्येंद्र रायगढ़ (छत्तीसगढ़) में प्राइवेट जाॅब करते थे। 7 अगस्त को रक्षाबंधन में छुट्टी लेकर आशीष गांव आया था। इसी दौरान सत्येंद्र भी गांव हुआ आया था। तभी आशीष ने फिर छोटी बहन के साथ सत्येंद्र को बात करते हुए देख लिया।
वह आग बबूला हो गया। उसने सत्येंद्र को जान से मारने की धमकी दी। जबकि छोटी बहन को घर ले गया, जहां उससे भी मारपीट की। इसी बात से नाराज होकर बहन ने 9 अगस्त रक्षाबंधन के दिन आशीष को राखी बांधने से मना कर दिया।
परिवार वालों ने उसे समझाया, पर नाबालिग का कहना था कि भाई ने बिना वजह सत्येंद्र के साथ गाली-गलौज की। उसे जान से मारने की धमकी दी है, इसलिए उसे राखी नहीं बांधूंगी। इतना सुनने के बाद आशीष नाराज हो गया और घर से बाहर चला गया।
पूरे दिन आशीष के दोस्त हेमराज, ब्रजेश, सचिन और शिवदीन उसके साथ रहे। दिन भर उसकी कलाई सूनी थी, इकलौती बहन ने राखी बांधने से मना कर दिया था, यह उसे नागवार गुजर रहा था।
आखिरकार उसने दोस्तों के साथ सत्येंद्र की हत्या का प्लान बनाया। जिसमें साथ देने का कहते हुए उसके दोस्तों ने कहा कि तुम्हारी बहन हमारी भी बहन है। सब मिलकर उसे सबक सिखा देंगे।

बरगी पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
एक सप्ताह बाद दिया वारदात को अंजाम आशीष के मना करने के बावजूद भी सत्येंद्र का उसकी छोटी बहन से मिलना जारी रहा। यह उसके दोस्तों ने भी देखा। आखिरकार प्लान को अंजाम देने के लिए सभी ने 15 अगस्त का दिन चुना। जैसी आशीष ने योजना बनाई थी, सब कुछ वैसा ही हो रहा था। दोपहर को ब्रजेश ने सत्येंद्र को कॉल किया और कहा कि चलो मंडला घूमकर आते हैं। हम और सचिन तुम्हें लेने के लिए घर आ रहे हैं।
कुछ ही देर बाद सत्येंद्र दोनों के साथ बाइक में बैठकर घूमने के लिए निकल गया। शाम को जब तीनों बीझा के जंगल में पहुंचे तो वहां आशीष, शिवदीन और हेमराज खड़े हुए थे। सत्येंद्र जब तक कुछ समझ पाता, तब तक पांचों ने उस पर लात-घूंसे से हमला कर दिया था।
इस बीच आशीष ने यह कहते हुए सत्येंद्र का गला दबा दिया कि इस जन्म में तू मेरी बहन से बहुत दूर जा रहा है। हत्या करने के बाद पांचों ने मिलकर शव को घने जंगल में फेंक दिया। उन्हें लगा कि यहां तक कोई पहुंच नहीं सकेगा।
बहन ने सत्येंद्र को ले जाते देख लिया था 15 अगस्त की दोपहर जब ब्रजेश और सचिन बाइक में बैठाकर सत्येंद्र को ले जा रहे थे, तब बिहारी की छोटी बहन ने देख लिया था। उसने यह बात पुलिस को बता दी। 16 अगस्त को जब सत्येंद्र गांव में नहीं दिखा और परिवार वाले उसे तलाश कर रहे थे।
किशोरी ने सचिन और ब्रजेश से पूछा कि तुम लोगों के साथ सत्येंद्र गया था, वह कहां है। इस उन्होंने कहा कि शाम को वह गांव आ गया था, उसके बाद कहां है, हमें नहीं पता।
16 अगस्त की शाम को सत्येंद्र के परिवार वालों ने सिवनी जिले के घंसौर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। इस दौरान आशीष और उसके अन्य साथी भी साथ में थाने गए थे। इसके बाद वे तीनों फरार हो गए थे।

एएसपी अंजना तिवारी ने बताया कि आरोपियों ने पूरी प्लानिंग से हत्या को अंजाम दिया था।
20 अगस्त को मिली थी सड़ी हुई लाश घंसौर थाना के ग्राम कूडों बुधवारा से करीब 15 किलोमीटर दूर बीघा का घना जंगल है। 20 अगस्त को कुछ चरवाहे मवेशी चराते हुए घने जंगल तरफ गए, जहां उन्हें बदबू आई। पास जाकर देखा तो एक शव पड़ा हुआ था, जिसको पहचान पाना मुश्किल था।
ग्रामीणों ने फौरन बरगी नगर चौकी प्रभारी सरिता पटेल को सूचना दी। मौके पर टीम के साथ पहुंची एसआई ने पाया कि शव किसी युवक का है। चेहरा पहचान में नहीं आ रहा था, पर उसके हाथ में कड़ा और राखी बंधी हुई थी।
पुलिस ने आसपास के थाना क्षेत्र में फोटो भेजकर शव का पंचनामा करवाया और पीएम के लिए मेडिकल काॅलेज भेजकर जांच शुरू कर दी। 21 अगस्त को सत्येंद्र के परिजन मेडिकल कॉलेज पहुंचे और कड़ा एवं राखी देखकर सत्येंद्र के रूप में उसकी पहचान की।
डाॅक्टरों की पीएम रिपोर्ट में पता चला कि सत्येंद्र की गला दबाकर हत्या की गई है।

हाथ में पहने कड़े और राखी से सत्येंद्र की पहचान हुई थी।
हत्या के बाद चेन्नई भाग गए आरोपी सत्येंद्र की हत्या करने के बाद आशीष के साथ हेमराज, शिवदीन और ब्रजेश गांव छोड़कर चले गए, लेकिन सचिन वहीं रहा। आशीष ने सत्येंद्र की हत्या करने के बाद उसके मोबाइल की सिम निकालकर फेंक दी थी। जबकि फोन को चेन्नई में एक दुकान में बेच दिया और जमकर पार्टी की।
इस दौरान घंसौर में सचिन अकेला ही घूमता रहा। आशीष को लग रहा था कि सत्येंद्र की हत्या का राज कभी नहीं खुल पाएगा, इसलिए वह दोस्तों के साथ चेन्नई से गांव आकर वापस भोपाल जाने का प्लान बनाया।
बरगी पुलिस ने किशोरी से पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधार पर सचिन को हिरासत में लिया तो उसने बिहारी और अन्य दोस्तों के साथ मिलकर सत्येंद्र की हत्या करना स्वीकार कर लिया। घेराबंदी करते हुए बरगी पुलिस ने आशीष सहित उसके अन्य साथियों को सागर से गिरफ्तार किया।

जानकारी लगते ही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ग्रामीणों के साथ मौके पर पहुंचे थे।
सबकुछ हुआ था प्लान के मुताबिक रहा बरगी पुलिस ने शनिवार को बिहारी सहित शिवदीन, ब्रजेश और सचिन को सागर से गिरफ्तार करने के बाद जबलपुर लेकर आई, जहां पर कोर्ट में पेश करने के बाद आशीष की एक दिन की रिमांड ली है।
पुलिस पूछताछ में आशीष ने बताया कि छोटी बहन ने सत्येंद्र के कारण राखी बांधने से मना कर दिया था। यही वजह थी कि हत्या का दोस्तों के साथ मिलकर प्लान बनाया।