नाबालिग रेप पीड़िता को दोबारा ले गया आरोपी, फिर रेप: बाल कल्याण समिति और जीवोदय होम की लापरवाही; साल भर बाद भी कोई कार्रवाई नहीं – Madhya Pradesh News

नाबालिग रेप पीड़िता को दोबारा ले गया आरोपी, फिर रेप:  बाल कल्याण समिति और जीवोदय होम की लापरवाही; साल भर बाद भी कोई कार्रवाई नहीं – Madhya Pradesh News


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ये कहना है नर्मदापुरम जिले की एक मां का। पहली बार जब नाबालिग के साथ रेप हुआ तब उसकी उम्र 14 साल थी। दूसरी बार 16 साल की उम्र में उसके साथ रेप हुआ।

ये मामला पन्ना जिले में रेप पीड़िता को रेप आरोपी के सुपुर्द करने जैसा ही है। हालांकि पन्ना जिले में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों, वन स्टॉप सेंटर के लोगों और जिला बाल विकास अधिकारी को आरोपी बनाया है। वहीं दूसरी ओर नर्मदापुरम की घटना को करीब एक साल होने को हैं, लेकिन मामले में जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

दो बार आरोपी के पास रेप पीड़िता कैसे पहुंची, परिजनों ने इस मामले में इंसाफ के लिए क्या किया और जिम्मेदारों का क्या कहना है….

पढ़िए इस रिपोर्ट में-

नर्मदापुरम जिले में नाबालिग लड़की का मिट्टी से बना कच्चा घर है। एक पलंग और कुछ बर्तनों के अलावा घर में कोई सामान नहीं। पिता को आंखों से दिखाई नहीं देता। मां और पिता दोनों रेलवे स्टेशन पर सामान बेचने का काम करते हैं। इसी से उनके परिवार का गुजारा होता है।

पिता कहते हैं कि मेरे पड़ोस में रहने वाले लड़के ने मेरी बच्ची के साथ गलत किया जब मुझे पता चला तो मैंने अपना घर बदल दिया, लेकिन वह वहां भी आकर परेशान करने लगा। इसके बाद बच्ची के साथ जाकर हमने पुलिस थाने में शिकायत की। मेरे घर की हालत इतनी अच्छी नहीं है कि मैं बच्चों को अपने पास रख पाता, इसलिए उसके कुछ दिनों बाद मैंने अपनी बच्ची को हॉस्टल भेज दिया था।

पिछले साल सितंबर में मुझे जीवोदय संस्था से कॉल आया कि मेरी बेटी कहीं चली गई। फिर दो दिनों बाद मेरी बच्ची अस्पताल में मिली, लेकिन संस्था वालों ने उसे आरोपी के घर ही भेज दिया। फिर मैंने थाने में, कलेक्टर और बाल आयोग भोपाल से इसकी शिकायत की। तब जाकर मेरी बच्ची वापस आ पाई।

मां को डर कि फिर कुछ गलत न हो जाए

लड़की की मां की आंखों में आंसू हैं। वो कहती हैं कि मैं तो डर ही गई थी। मुझे लग रहा था कि अब मेरी बच्ची मुझे कभी नहीं मिलेगी। हम गरीब इतना कानून नहीं समझते। अब भी जब से बच्ची घर आ गई है उसे हम अपने घर नहीं रखते। रिश्तेदार के यहां रखा है। बीच-बीच में जाकर उससे मिल लेते हैं। डर लगता है कि यहां आई तो उसके साथ फिर कुछ गलत न हो जाए।

हम तो बस इतना चाहते हैं कि जिन-जिन लोगों ने हमारी बच्ची के साथ गलत किया उन लोगों को सजा होनी चाहिए।

पहली एफआईआर: घर बुलाकर किया रेप

27 मई 2022 को नर्मदापुरम जिले की 14 वर्षीय नाबालिग लड़की ने इटारसी थाने में शिकायत की कि घर के पास रहने वाले एक 16 साल के लड़के ने मुझे डरा कर मेरा बलात्कार किया। आसपास रहने की वजह से हमारी दोस्ती हो गई थी। 14 फरवरी 2022 को घर पर मैं अकेली थी। उसने मुझे बुलाया और अपने घर ले गया।

वहीं उसने मेरे साथ गलत काम किया। इसके बाद उसने मुझे धमकी दी कि अगर तूने यह बात किसी को बताई तो मैं तेरे परिवार को मार कर दूंगा। फिर वह मुझे बार-बार बुलाने लगा। उससे परेशान होकर हमने घर खाली करके दूसरी जगह घर ले लिया, लेकिन वह वहां भी आकर परेशान करने लगा। इसके बाद मां-पिता के कहने पर मैं आज एफआईआर कराने आई हूं।

दूसरी एफआईआर: फुसलाकर ले गया, तीन बार रेप

नाबालिग लड़की ने शिकायत में लिखा कि मेरी उम्र 16 साल है। मैं 7वीं कक्षा मे पढ़ती हूं। 21 सितंबर 2024 को रात के साढ़े सात बजे मैं अपनी मर्जी से जीवोदय संस्था इटारसी से आरोपी के घर गई थी। उसके बाद 23 सितंबर 2024 को मैं अस्पताल एक दीदी के बच्चे को देखने गई थी। दीदी मेरे पुराने वाले घर के पास रहती थीं।

तब संस्था वाले अस्पताल आए और मुझे दीदी के पास ही छोड़ दिया। फिर आरोपी आया और उसने मुझे उसके घर जाने के लिए बहलाया-फुसलाया। तब मैं उसके साथ उसके घर चली गई। 27 सितंबर 2024 की रात को 11 बजे उसने मेरे साथ गलत काम (रेप) किया।

4 अक्टूबर 2024 तक मैं उसके घर रही। इस बीच उसने मेरे साथ तीन बार रेप किया।

मामले में जीवोदय संस्था पर लगे हैं गंभीर आरोप।

मामले में जीवोदय संस्था पर लगे हैं गंभीर आरोप।

जीवोदय होम का तर्क…बच्ची दीवार कूदकर गई

जीवोदय होम की सिस्टर क्लारा कहती हैं कि 21 सितंबर को रात का खाना खाने के बाद लड़की हम की दीवार कूदकर कहीं चली गई। जैसे ही हमें यह पता चला हमने तुरंत इसकी सूचना पुलिस, बाल कल्याण समिति और उसके घरवालों को दी। इसके बाद हम बच्ची को ढूंढते रहे, लेकिन वो हमें कहीं नहीं मिली।

23 सितंबर को उसके पिता की सूचना पर लड़की हमें एक महिला के साथ हॉस्पिटल में मिली। उस महिला को वो अपनी बहन बता रही थी। जब हम लड़की को वापस ला रहे थे तो वह हमारे साथ आने के लिए तैयार नहीं थी। उसकी मां भी हॉस्पिटल आ गई थी और वो भी अपनी बेटी को ले जाने के लिए तैयार नहीं थी। इसके बाद हमने इसकी जानकारी बाल कल्याण समिति को दी। उन्हीं के निर्देश के अनुसार हमने पंचनामा बनाकर लड़की उसकी बहन के पास छोड़ दी।

जब ये पूरा घटनाक्रम हुआ तब मैं देश से बाहर थी। हमारा काम है सिर्फ बाल कल्याण समिति के निर्देशों का पालन करना। हमने वही किया। इसके बाद हिंदूवादी संगठन हम पर धर्मांतरण का आरोप लगाने लगे। इस घटना को लेकर पुलिस पर भी एफआईआर दर्ज करने के लिए दबाव बनाने लगे।

55 हजार बच्चे निकले, धर्मांतरण का आरोप गलत

सिस्टर क्लारा बताती हैं कि मैं इटारसी में 1999 में आई थी तब मैंने यहां रेलवे स्टेशन पर कई बच्चों को बुरी स्थिति में देखा। मुझे अच्छा नहीं लगा और मैंने उनके साथ काम करना चालू किया। यहां के लोगों का भी मुझे खूब साथ मिला। पहले मैं सिर्फ नाबालिग लड़कों के लिए काम करती थी। 2006 में रेलवे स्टेशन की एक बच्ची के साथ रेप की घटना हुई। इसके बाद मुझे लगा कि बच्चियों को सुरक्षित जगह की ज्यादा जरूरत है। तभी हमने जीवोदय गर्ल्स होम की शुरुआत की थी। बाद में बॉयज होम भी बना।

हमारे पास से अभी तक 55 हजार से ज्यादा बच्चे होम से निकल चुके हैं। मैं चैलेंज करती हूं कि कोई एक भी बच्चा लाकर दिखाए जो यह कहे कि मैंने उनका धर्मांतरण कराया है।

उन्होंने कहा-

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हमारे बच्चे होम से निकलकर आज आर्मी में हैं, मीडिया में हैं और भी कई अच्छी जगह पर हैं। उनमें से कोई नहीं कह सकता कि उनका धर्मांतरण हुआ है।

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एक सदस्य ने नियम विरुद्ध आदेश दिया

इस पूरे मामले पर उस समय नर्मदापुरम बाल कल्याण समिति में रहे तीनों सदस्यों रुचि अग्निहोत्री, पूनम शर्मा और सुमन सिंह से हमने बात करने की कोशिश की, लेकिन रुचि अग्निहोत्री और पूनम शर्मा ने हमसे बात नहीं की। वहीं सुमन सिंह ने कहा कि होम ने जब नियम विरूद्ध कार्य किया तब समिति के द्वारा उनको लगातार पत्र दिए गए।

दो-तीन दिन तक उनके द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई और टालने का प्रयास किया गया। इसके बाद मैंने राज्य बाल आयोग से मदद ली। इसके बाद बच्ची को वापस लाया गया और एफआईआर दर्ज हुई।

सीडब्ल्यूसी द्वारा हम कोई भी कार्रवाई इसलिए नहीं कर पाए क्योंकि उस समय हमारे यहां तीन ही सदस्य थे। उनमें से एक सदस्य रुचि अग्निहोत्री द्वारा यह नियम विरुद्ध कार्य किया गया था। वहीं दूसरी सदस्य न्यूट्रल हो गई थीं। मैं अकेली बची थी और मैं जो कर सकती थी वो मैंने किया।

कलेक्टर को पत्र लिखा और जिनको भी इस घटना की जानकारी देनी चाहिए उन्हें इसकी जानकारी भी दी। यह अक्टूबर 2024 का मामला था। 25 अक्टूबर 2024 को हमारा कार्यकाल भी समाप्त हो गया, इसीलिए होम पर भी कोई कार्रवाई नहीं कर पाए। होम का कहना है कि उन्होंने समिति के आदेश का पालन किया, लेकिन वह गलत कह रहे हैं। यह नियम विरुद्ध है और उन्हें यह पता है। ऐसे निर्णय एकल बेंच से नहीं होते। इसमें कम से कम तीन सदस्यों के निर्णय होने चाहिए थे।

10 दिन से ज्यादा बच्ची गायब रही, लेकिन एफआईआर नहीं

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा कहती हैं कि बच्ची के पिता ने इस संबंध में जब आयोग को पत्र लिखा तब यह मामला हमारे संज्ञान में आया। इस संबंध में कलेक्टर को भी पत्र लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

बच्ची 23 सितंबर से 4 अक्टूबर तक बालिका गृह से बाहर रही। जब पहले बच्चे मिली थी तब बिना किसी जांच रिपोर्ट के बस एक पंचनामा बनाकर आरोपी परिवार और उसके मित्रों के हवाले कर दी गई थी। इसमें कहीं भी सीडब्ल्यूसी के तीन सदस्यों का ऑर्डर नहीं था। कानून कहता है कि तीन सदस्यों का ऑर्डर होना ही चाहिए, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। इसके अलावा इतने दिनों तक बच्ची होम में नहीं थी, लेकिन कहीं भी उसकी एफआईआर और गुमशुदगी की रिपोर्ट नहीं की गई।

अभी हाल ही में हमने पन्ना का केस देखा। अगर वहां कानून का उल्लंघन था तो यहां भी तो कानून का उल्लंघन है। पन्ना के केस में पूरी समिति ने निर्णय दिया। यहां तो समिति के सिर्फ एक सदस्य का निर्णय था।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्यों का मानना है कि मामले में संस्था ने लापरवाही की।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्यों का मानना है कि मामले में संस्था ने लापरवाही की।

आरोपी के रिश्तेदार के पास ही छोड़ दिया

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह कहते हैं कि यह बहुत गंभीर घटना थी। संस्था की वॉलंटियर और बाल कल्याण समिति की एक सदस्य के बीच नवंबर में जो फोन पर बातचीत हुई थी उसमें वॉलंटियर का कहना था कि बच्ची अस्पताल में मिली है।

वह अपनी बहन के साथ है और वह वापस संस्था नहीं जाना चाहती। वह उसकी सगी बहन नहीं थी। वह आरोपी की रिश्तेदार थी। इसके बाद भी उन्होंने बच्ची को उन लोगों के पास ही छोड़ दिया। इसके बाद बच्चों के साथ दोबारा रेप हुआ। जब हमने इस मामले की जांच की तो हमने पाया कि संस्था दोषी है।

ओंकार सिंह आगे कहते हैं, हमने आयोग की तरफ से लिखा भी है कि इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह मामला धर्मांतरण का भी था, क्योंकि संस्था, आरोपी और जिन्हें बच्ची सुपुर्द की गई थी वह एक धर्म विशेष के थे।

दो आरोपी बनाए गए थे, अभी मामला कोर्ट में है

इटारसी थाना प्रभारी गौरव सिंह बुंदेला कहते हैं कि यह 2024 का पॉक्सो एक्ट का मामला था। महिला बाल विकास की रिपोर्ट के आधार पर दो आरोपी बनाए गए थे। इस मामले में चार्जशीट पेश की जा चुकी है और मामला न्यायालय में विचाराधीन है।



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