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MLA Sanjay Pathak Case: 443 करोड़ की पेनाल्टी के मामले में विधायक संजय पाठक की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अब तो उनके वकील ने भी मुकदमा लड़ने से मना कर दिया. जानें माजरा…
Jabalpur News: मध्य प्रदेश के भाजपा विधायक संजय पाठक एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं. अवैध उत्खनन से जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट जस्टिस विशाल मिश्रा से संपर्क करने की कोशिश का खुलासा होने के बाद न्यायिक हलकों में हलचल मच गई है. जस्टिस मिश्रा ने तो मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर ही लिया था, अब विधायक के वकील अंशुमन सिंह ने भी केस लड़ने से इनकार कर दिया. यह घटना न्यायपालिका के इतिहास में शायद पहली बार है, जब किसी विधायक के हस्तक्षेप का उल्लेख हाईकोर्ट के ऑर्डर में किया गया हो.
मामला भोपाल में बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन से संबंधित है. कटनी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता आशुतोष दीक्षित ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में आरोप लगाया गया कि आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की. दीक्षित की याचिका में विधायक संजय पाठक और उनके परिवार से जुड़ी माइनिंग कंपनियों के नाम सामने आए थे, जिन पर अवैध खनन के गंभीर आरोप हैं. याचिका में दावा किया गया कि इन कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन कर बड़े स्तर पर उत्खनन किया, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा और सरकारी राजस्व की हानि हुई.
सुनवाई के दौरान जस्टिस विशाल मिश्रा ने खुलासा किया कि विधायक संजय पाठक ने उनसे फोन पर संपर्क करने की कोशिश की थी. जस्टिस मिश्रा ने अपने ऑर्डर में इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया और कहा कि निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करने के लिए वे खुद को इस मामले से अलग कर रहे हैं. ऑर्डर में लिखा गया, “याचिका से जुड़े एक पक्ष द्वारा मुझसे संपर्क करने की कोशिश की गई, जो न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप का प्रयास प्रतीत होता है.”
इसलिए छोड़ा मैंने केस…
इस खुलासे के बाद विधायक के वकील अंशुमन सिंह ने भी नैतिक आधार पर केस से हटने का फैसला किया। उन्होंने साफ किया, मैंने कोर्ट को लिखा है कि आनंद माइनिंग कॉर्पोरेशन और निर्मला मिनरल्स, जिन दो कंपनियों के केस की मैं पैरवी कर रहा था, उनके किसी रिलेटिव ने जस्टिस मिश्रा को कॉल किया. इस बात का जस्टिस मिश्रा ने एक सितंबर के आदेश में जिक्र किया. इसकी वजह से मैं ये केस छोड़ रहा हूं और मैंने इस बारे में अपने क्लाइंट को बता दिया है।
ये है मामला
विधायक संजय पाठक के परिवार से जुड़ी 3 कंपनियों पर मध्य प्रदेश सरकार ने 443 करोड़ रुपए की पेनाल्टी लगाई है. कटनी के रहने वाले आशुतोष मनु दीक्षित ने सबसे पहले ये शिकायत ईओडब्ल्यू में की थी. इसके बाद जांच कमेटी बनी. सरकार ने 443 करोड़ की पेनाल्टी लगाई. पेनाल्टी लगाने का आधार ये है कि 2017 से पहले मैनुअल ट्रांजिट परमिट जारी होते थे. ये उसी हिसाब से होते थे, जितने हिस्से की पर्यावरणीय अनुमति होती थी. लेकिन, पाठक के परिवार की कंपनियों ने मंजूरी से बहुत ज्यादा आयरन-ओर का खनन किया. इसके लिए राज्य सरकार से एक्स्ट्रा ट्रांजिट परमिट भी लिए. दीक्षित ने बताया, ये पूरा एक्शन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत ही हुआ है. पाठक को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत मिलने के आसार कम हैं.