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Snake Interesting Facts: बारिश के मौसम में सांपों की सक्रियता बढ़ जाती है और सामने आने पर ये जानना जरूरी हो जाता है कि सांप नर है या मादा. आज हम कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बताएंगे, जिससे आप इसकी पहचान कर सकते हैं. (रिपोर्ट: सावन पाटिल)
बारिश के मौसम में हमारे आसपास अक्सर सांप दिखने लगते हैं. चाहे वह घर के आंगन में हो, खेत में हो, जंगल में हो या सड़क किनारे कहीं भी. अचानक सामने अगर कोई सांप आ जाए, तो सबसे पहला सवाल यही उठता है कि ये नर (नाग) है या मादा (नागिन). दरअसल, सांप का लिंग पहचानना बहुत ही मुश्किल काम माना जाता है, लेकिन फिर भी कुछ ऐसे संकेत हैं, जिनसे हम इसकी पहचान करने की कोशिश कर सकते हैं.

सांप के लिंग को जानना केवल जिज्ञासा नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और पर्यावरणविदों के लिए भी बेहद जरूरी है. इससे वे सांपों के व्यवहार, उनकी प्रजनन प्रक्रिया और संरक्षण पर अध्ययन कर पाते हैं. इसके अलावा, ब्रीडिंग और देखभाल के लिए भी यह जानकारी अहम मानी जाती है. क्योंकि नर और मादा सांप के व्यवहार और जरूरतें अलग-अलग होती हैं.

एक अध्ययन के अनुसार नर सांपों की पूंछ मादा सांपों की पूंछ की तुलना में लंबी होती है. उदाहरण के तौर पर, पफ एडर (Bitis arietans) और इथियोपियन माउंटेन एडर जैसे सांपों में यह फर्क साफ दिखाई देता है. नर की पूंछ लंबे समय तक पतली बनी रहती है, जबकि मादा की पूंछ अपेक्षाकृत छोटी और मोटी दिखती है. इस शारीरिक अंतर को वैज्ञानिक भाषा में ’Sexual Dimorphism’ कहा जाता है. ध्यान रखें, यह तरीका हर प्रजाति पर लागू नहीं होता, फिर भी शुरुआती अनुमान के लिए उपयोगी है.

सांप के रंग में भी नर और मादा के बीच फर्क देखा जा सकता है. आम तौर पर नर सांपों का रंग गहरा होता है, जबकि मादा सांप हल्के भूरे रंग की होती हैं. उदाहरण के लिए, बूमस्लैंग प्रजाति में नर का रंग हरा होता है, जबकि मादा ब्राउन रंग की होती है. हालांकि यह भेद छोटे सांपों में करना काफी कठिन हो जाता है. कुछ अध्ययन बताते हैं कि केप प्रांत में बूमस्लैंग कई रंगों में मिलते हैं—काला, पीला, हरा और नारंगी. लेकिन रंग पर भरोसा करना हमेशा सही नहीं रहता.

साधारण लोगों के लिए ऊपर बताए गए तरीके मददगार हो सकते हैं, लेकिन वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट एकदम सटीक पहचान के लिए ’हेमिपेनिस प्रोबिंग’ नामक वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनाते हैं. इसमें एक खास मेटल प्रोब को सांप के क्लोका (सांप का वजाइनल या पेनियल ओपनिंग) में डाला जाता है. यदि प्रोब नर सांप में डाली जाती है, तो यह लगभग 10-12 टेल स्केल तक आगे चली जाती है. जबकि मादा में यह सिर्फ 2-3 स्केल तक ही जाती है. यह तरीका अजगर जैसे बड़े सांपों में बेहद कारगर माना जाता है.

छोटे सांपों में यह पहचानना सबसे कठिन होता है. इनकी पूंछ लंबाई में भी अंतर कम दिखता है और रंग से भी अंतर करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में वैज्ञानिक ‘पॉपिंग’ तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें धीरे-धीरे क्लोका को बाहर की तरफ खींचकर जेंडर का पता लगाया जाता है. इसके अलावा, अल्ट्रासाउंड इमेजिंग जैसी आधुनिक तकनीकों से भी नर-मादा पहचान संभव हो पाता है.

अगर आप रास्ते में सांप का सामना करते हैं, तो सबसे जरूरी बात यही है कि घबराएं नहीं. ना ही अचानक कोई हड़बड़ी में उसे पकड़ने की कोशिश करें. इससे सांप हमला कर सकता है. वहीं, अगर आपको संदेह हो कि यह नाग या नागिन हो सकता है, तो विशेषज्ञ की मदद अवश्य लें. अनजान तरीके से छूना या पकड़ना खतरनाक हो सकता है.

सांप नर है या मादा, इसे पहचानना कठिन जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं. पूंछ की लंबाई, रंग, और विशेष तकनीकें जैसे हेमिपेनिस प्रोबिंग, पॉपिंग और अल्ट्रासाउंड से सटीक जानकारी मिलती है. यह ज्ञान न केवल वैज्ञानिक रूप से अहम है, बल्कि इससे सांपों की सही देखभाल और मानव-सांप संघर्ष को भी रोका जा सकता है.