इंदौर में इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी, वेस्ट जोन चैप्टर (ISNWZ) एनुअल साइंटिफिक कॉन्फ्रेंस चल रहा है।
इंदौर इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी, वेस्ट जोन चैप्टर (ISNWZ) एनुअल साइंटिफिक कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन ज्ञान, नवाचार और अनुभव से भरपूर रहा। कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन की शुरुआत के सत्र में देशभर से आए विशेषज्ञों ने आधुनिक इलाज और तकनीकों पर विचार साझा किए
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दिनभर चले विभिन्न सेशन्स में किडनी से जुड़ी बीमारियों के अहम विषयों पर गहन चर्चा हुई। कॉन्फ्रेंस हॉल्स में संवाद और विचारों का आदान-प्रदान लगातार चलता रहा। किडनी के उपचारों के साथ-साथ प्रतिभागियों को रिसर्च के नवीनतम ट्रेंड्स से भी रूबरू कराया गया।
मुंबई से आईं डॉ. श्रुति टापियावाला ने कहा कि नई दवाएं मरीजों के लिए लाभदायक हैं। कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कई दवाएं किडनी पर असर डालती हैं।
ब्लड प्रेशर मरीजों को खान-पान में बदलाव जरूरी
मुंबई से आए डॉ. भरत शाह ने कहा कि बाजार में कई कंपनियां हैं, जो नमक को लेकर सतर्कता का संदेश देती हैं कि 100 ग्राम में कितना नमक और पोटैशियम रहता है। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि सोडियम का प्रमाण कम हो। अगर आप ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो एक गोली से इसे नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन लोग ऐसा नहीं करते। वे अपने खान-पान में बदलाव नहीं करना चाहते, तो कैसे काम चलेगा?
अगर आप ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो फलों के सेवन के दौरान ऊपर से नमक छिड़ककर खाना और भी ज्यादा घातक है। हाई ब्लड प्रेशर केवल हार्ट ही नहीं, बल्कि किडनी को भी नुकसान पहुंचाता है।
दूषित पानी और कीटनाशक भी किडनी को पहुंचाते हैं नुकसान
डॉ. भरत शाह ने कहा कि लाइफस्टाइल और खानपान के अलावा कई अन्य कारण भी किडनी पर असर डालते हैं। कुछ राज्यों में दूषित पानी या फसलों पर छिड़के जाने वाले कीटनाशक भी लोगों की किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं। यदि हम बेहतर खानपान और संतुलित जीवनशैली अपनाएं, तो किडनी की बीमारियों से बचा जा सकता है और एक सामान्य जीवन जिया जा सकता है।

अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी
तमिलनाडु से आए डॉ. गोपाल कृष्णन ने कहा कि किडनी की बीमारियों में सबसे अहम है, समय पर इलाज मिलना और जिन मरीजों को प्रत्यारोपण की जरूरत होती है, उन्हें समय पर किडनी उपलब्ध होना। इसके लिए अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है, क्योंकि आज भी देश में कई मरीज अंगदान के इंतजार में अपनी बीमारियों से जूझते रहते हैं। हमें सिर्फ किडनी ही नहीं, बल्कि अन्य अंगदान की दिशा में भी कदम बढ़ाने चाहिए। इस काम में सरकार, लोग, सिस्टम और डॉक्टर्स का भी समान योगदान है।

कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन नई खोजों को समर्पित रहा
ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. प्रदीप सालगिया ने कहा कि कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन नई खोजों को समर्पित रहा। विशेषज्ञों ने जटिल बीमारियों और उनके आधुनिक उपचार पर उपयोगी जानकारी साझा की, जिससे प्रतिभागियों को लाभ हुआ। ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. राजेश भराणी ने बताया कि अलग-अलग सत्रों ने यह स्पष्ट किया कि किडनी से जुड़ी बीमारियों में समय पर पहचान और नई दवाओं का सही उपयोग बेहद अहम है। आने वाले समय में इस तरह के संवाद मरीजों के बेहतर इलाज की राह खोलेंगे।