इस अनोखे चारे को साल में सिर्फ एक दिन तोड़ने का नियम, जड़ों की होती है पूजा

इस अनोखे चारे को साल में सिर्फ एक दिन तोड़ने का नियम, जड़ों की होती है पूजा


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Chhatarpur News: पंडित नंदबाबू शुक्ला ने लोकल 18 से कहा कि बहुत से लोग कुशा को पहचान नहीं पाते हैं क्योंकि यह घास भी सामान्य चारे की तरह ही दिखती है लेकिन इसकी पहचान यह है कि इस चारे की नोक धारदार होती है. इस घास की लंबाई की बात करें, तो यह 4 से 5 फीट तक लंबी होती है.

छतरपुर. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक ऐसा चारा (Kusha Chara) भी पाया जाता है, जिसका सबसे ज्यादा उपयोग कर्मकांड में किया जाता है. दरअसल इस चारे से कुशा बनाया जाता है, जिसका उपयोग कर्मकांड में किया जाता है. हालांकि इस घास को भी तोड़ने का नियम होता है. छतरपुर निवासी कर्मकांड पंडित नंदबाबू शुक्ला लोकल 18 को बताते हैं कि छतरपुर जिले में कुशा को कांसा या कांस चारा भी कहा जाता है. यह चारा पानी के किनारे देखने को मिल जाता है. जैसे नदी-नाले या तालाब या खेत की बंधान किनारे यह चारा देखने को मिल जाता है. कुशा घास पानी के किनारे ही ज्यादातर देखने को मिलती है. पितृपक्ष (Pitru Paksha 2025) में पूजा के दौरान कुशा घास का उपयोग किया जाता है.

साल में इस दिन ही तोड़ सकते हैं कुशा चारा
पंडित नंदबाबू शुक्ला बताते हैं कि साल में इसे एक दिन ही खोदा जाता है. इसके खोदने का भी एक शुभ मुहूर्त होता है. भाद्र महीने की अमावस्या के दिन नहा-धोकर इस घास को तोड़ा जाता है. अगर इसी दिन खोदा तभी कुशा माना जाता है. इस दिन के अलावा इसे खोदा, तो यह भी चारे की ही कैटेगरी में आएगा.

इस चारे को काटा नहीं जाता है
वह आगे बताते हैं कि इस चारे को खुरपी या हसिया से नहीं काटा जाता है बल्कि इसे उखाड़ा जाता है. इसे जड़ सहित उखाड़ना होता है क्योंकि जड़ ही इसकी पूजनीय होती है.

ऐसे करते हैं कुशा घास की पहचान
पंडित नंदबाबू शुक्ला आगे बताते हैं कि बहुत से लोग कुशा घास को पहचान नहीं पाते हैं क्योंकि यह चारा भी सामान्य चारे की तरह ही दिखता है लेकिन इसकी पहचान यह है कि इस घास की नोक धारदार होती है. इसकी लंबाई की बात करें, तो यह घास 4 से 5 फीट लंबी होती है. कर्मकांड में इसी घास का उपयोग किया जाता है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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