R Vaishali FIDE Womens Grand Swiss 2025: भारत की स्टार चेस खिलाड़ी आर वैशाली ने FIDE महिला ग्रैंड स्विस 2025 का खिलाफ लगातार दूसरी बार जीतकर इतिहास रच दिया है. इस जीत के बाद जो सबसे खूबसूरत पल कैमरे में कैद हुआ, वह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसके लिए वैशाली की जमकर तारीफ हो रही है. वैशाली ने टाइटल जीतने के बाद अपनी मां को मंच पर बुलाया था. वैशाली के इस कदम की लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं और उनके वीडियो को काफी पसंद किया जा रहा है.
मां के सामने जीत खास
सामरकंद में चैंपियन का ताज पहनने के कुछ ही देर बाद वैशाली ने अपनी मां नागलक्ष्मी को मंच पर बुलाया. चेन्नई की इस ग्रैंडमास्टर को अपनी सफलता का जश्न उस मां के साथ मनाते हुए देखा गया. वह शुरू से ही उनके साथ रही हैं. वैशाली के लिए यह जीत इसलिए भी ज्यादा खास थी क्योंकि उनकी मां उनके साथ थीं. वह महिला वर्ग में लगातार दो बार यह प्रतिष्ठित खिताब जीतने वाली पहली खिलाड़ी बन गई हैं. इस जीत के साथ उन्हें 40,000 अमेरिकी डॉलर का नकद पुरस्कार और अगले साल होने वाले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में एक जगह भी मिली है.
What a proud moment for the mother! 2 time Women’s Grand Swiss Champion @chessvaishali
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— ChessBase India (@ChessbaseIndia) September 15, 2025
जीत के पीछे का संघर्ष
जब उनसे 2023 की जीत और हाल की जीत की तुलना करने के लिए कहा गया तो वैशाली ने ईमानदारी से जवाब दिया, “चुनना मुश्किल है. 2023 में ग्रैंड स्विस की जीत सही समय पर आई थी, क्योंकि मैं लंबे समय से अच्छा नहीं खेल रही थी और बहुत सी चीजें एक साथ सही जगह पर आईं. इस साल भी मेरा प्रदर्शन अच्छा नहीं जा रहा था, मैं बहुत मेहनत कर रही थी, लेकिन किसी तरह परिणाम मेरे पक्ष में नहीं आ रहे थे. इसलिए यह जीत बहुत महत्वपूर्ण है.”
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हार ने मजबूत इंसान बनाया
वैशाली ने अपने संघर्षों के बारे में बात करते हुए कहा, ”पिछले दो सालों में मुझे बहुत अनुभव मिला है, कई कठिन टूर्नामेंट खेले हैं. 2024 के कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में मैं लगातार चार मैच हारी थी, ऐसे कई मुश्किल पल आए जिन्होंने मुझे एक खिलाड़ी और एक इंसान के तौर पर मजबूत बनाया.” उन्होंने यह भी बताया कि चेन्नई ग्रैंड मास्टर्स टूर्नामेंट में लगातार हार के बाद उन्होंने कैसे वापसी की.
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हार के बावजूद नहीं हुई थी हताश
वैशाली ने कहा, ”अपने पिछले टूर्नामेंट चेन्नई जीएम में मैं लगातार सात मैच हारी थी. मुझे नहीं पता कि यह अच्छी बात है या बुरी, लेकिन कभी-कभी जब मैं जीतना शुरू करती हूं, तो मुझे कोई रोक नहीं सकता.” उन्होंने हाल ही में खत्म हुए टूर्नामेंट में आठवीं राउंड की हार का जिक्र करते हुए कहा, “…दरअसल जब मैं बिबिसारा असाउबायेवा (कजाकिस्तान से) से हारी, तो मुझे खुशी है कि मैं हताश नहीं हुई. मैंने अगले गेम को ड्रॉ किया और किसी तरह स्थिर हो गई.”