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Narmada Parikrama: नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी कहा जाता है. अब नदी की परिक्रमा श्रद्धालुओं के लिए और सुविधाजनक होने वाली है. लगभग 2000 किमी लंबे तट पर ईको फ्रेंडली रेस्ट हाउस और टॉयलेट बनाए जाएंगे. साथ ही मंदिरों और आश्रमों की मैपिंग से यात्रियों को ऑनलाइन जानकारी आसानी से मिलेगी.
नर्मदा परिक्रमा सदियों से संतों और श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक रही है. यह परिक्रमा अब आधुनिक सुविधाओं के साथ और सरल बनेगी. अब तक यात्रियों को कठिन रास्तों और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझना पड़ता था लेकिन सरकार की नई योजना इन समस्याओं का समाधान लाने वाली है.

मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के 2000 किमी लंबे तट पर ईको फ्रेंडली टॉयलेट, रेस्ट हाउस और सुरक्षित मार्ग बनाने की योजना तैयार की है. लोक निर्माण विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अपने-अपने क्षेत्र में इस काम को अंजाम देंगे.

इससे पहले परिक्रमा मार्ग पर कंक्रीट निर्माण की योजना बनाई जा रही थी लेकिन संत समाज ने इसका विरोध किया. उनका कहना था कि यह परिक्रमा मार्ग की पवित्रता और प्राकृतिक स्वरूप को बिगाड़ देगा. इसके बाद योजना को पूरी तरह ईको फ्रेंडली दिशा दी गई.

लोक निर्माण विभाग के मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि परिक्रमा मार्ग में यात्रियों के लिए ठहरने, भोजन और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं बनाई जाएंगी. घाटों और मंदिरों का जीर्णोद्धार भी ईको-फ्रेंडली सिद्धांतों पर किया जाएगा.

इस योजना की शुरुआत अमरकंटक से होगी, जहां नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है. हालांकि निर्माण कार्य की शुरुआत खरगोन की धार्मिक और पवित्र नगरी महेश्वर ओर ओंकारेश्वर से की जाएगी. यह मार्ग श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों को भी बेहतर अनुभव देगा.

पंचायत विभाग ने मनरेगा के तहत एक सॉफ्टवेयर की मदद से पूरे परिक्रमा मार्ग का सर्वे लगभग पूरा कर लिया है. इसमें कच्ची सड़क, पक्के मार्ग और पुलिया को चिह्नित किया गया है. जिनकी हालत खराब है, उन्हें बारिश के बाद सुधारने का काम शुरू होगा.

परिक्रमा मार्ग में आने वाले सभी मंदिरों, आश्रमों और सामाजिक भवनों की भी मैपिंग की गई है. यात्रियों को इन स्थानों की जानकारी ऑनलाइन और रास्तों पर लिखित रूप में उपलब्ध कराई जाएगी. इससे परिक्रमा करने वालों को मार्ग ढूंढने में परेशानी नहीं होगी.

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने परिक्रमा मार्ग में रेडी-टू-स्टे आश्रय स्थल बनाने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही चातुर्मास करने वाले संतों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रबंध भी किए जाएंगे. यह सुविधा पूरे मार्ग पर धीरे-धीरे लागू होगी.

महेश्वर और ओंकारेश्वर से शुरू होने वाली यह पहल न केवल परिक्रमा वासियों को सुविधा देगी बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार और पर्यटन के नए अवसर पैदा करेगी. इससे नर्मदा नदी की सांस्कृतिक, धार्मिक और प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित रखते हुए विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा.