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Bhopal News: भोपाल के रहने वाले रामकुमार पांसी हरदा जिले के सिराली नगर पालिका में पदस्थ हैं. लोकल 18 से बात करते हुए रामकुमार ने बताया कि साल 2011 में मैंने अखबार में लावारिस अस्तियों के बारे में पढ़ा था…
भोपाल के रहने वाले रामकुमार पांसी हरदा जिले के सिराली नगर पालिका में पदस्थ हैं. लोकल 18 से बात करते हुए रामकुमार ने बताया कि साल 2011 में मैंने अखबार में लावारिस अस्तियों के बारे में पढ़ा था. भदभदा विश्राम घाट के लॉकर में लावारिस अस्थियां रखी हुई थी, जिन्हें गंगा में विसर्जित करने वाला कोई नहीं था. इसके बाद मैंने ठाना की इन अस्तियों का विसर्जन मैं स्वयं जाकर करुंगा. बाबूजी से अनुमति लेकर मैंने सभी लावारिस अस्तियों का विसर्जन प्रयागराज स्थित त्रिवेणी घाट पर किया.
रामकुमार बताते हैं कि अब तक मैं सितंबर 2024 तक करीब 49,490 अस्तियों को प्रयागराज स्थित गंगा नदी में प्रवाहित कर चुका हूं. इस बार फिर से करीब 200 अस्तियां लेकर मैं इलाहाबाद त्रिवेणी घाट पर पहुंचकर इन हस्तियों का विसर्जन करूंगा. लावारिस अस्थियां छोड़ने में बड़ी संख्या उन लोगों की है, जिनके अपने इलाज के दौरान भोपाल में दम तोड़ देते हैं. जैसे-तैसे वे यहां अंतिम संस्कार तो कर देते हैं, लेकिन बाद में लौटकर ही नहीं आते.
सरकार से अंतिम संस्कार के लिए तो मदद मिल जाती है, लेकिन अस्थि विसर्जन के लिए इलाहाबाद तक जाने में भी खर्च तो होता ही है. मेरी कोशिश यही है कि ऐसी अस्थ्यिां को भी सम्मान मिलना ही चाहिए. वह लोगों से भी अपील करते हैं कि यदि कोई अपने परिवार जनों की अस्तियां नहीं लेकर जाना चाहता है या ले जाने में सक्षम नहीं है, तो वह अस्थियां हमें दे सकता है. हम इस तरह की अस्तियों को प्रतिवर्ष प्रयागराज त्रिवेणी संगम घाट पर ले जाते हैं.