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Chhatarpur: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक ऐसा भी शहर है जिसका नाम भगवान श्री राम के पुत्र लव और कुश के नाम पर है. मान्यता है कि इस शहर में मां सीता स्वयं रहीं और उन्होंने यही पर अपने पुत्र लव और कुश को जन्म भी दिया. साथ ही एक और मान्यता है कि यहां पर लव और कुश का एक प्राचीन मंदिर भी है. जो सदियों पुराना बताया जाता है. कैसे पड़ा इस शहर का नाम लवकुश नगर?
मां बंबर बनी समाज सेवा समिति लवकुश नगर के सदस्य और नगर के पूर्व सीएमओ मातादीन विश्वकर्मा बताते हैं कि इस शहर का संबंध त्रेता युग से है. इसी शहर में भगवान लव और कुश का पालन पोषण हुआ था.
मातादीन बताते हैं कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम ने मां सीता को वनवास भेजा था तो वाल्मीकि आश्रम में ही लक्ष्मण जी छोड़ने आए थे.
मप्र सरकार ने पर्यटन स्थल घोषित किया
स्थानीय लोगों का दावा है कि इसी शहर में एक बंबरबेनी पहाड़ है जहां वाल्मीकि आश्रम था और इस आश्रम में ही लक्ष्मण मां सीता को छोड़ने आए थे. स्थानीय लोगों के मुताबिक ये वही प्राचीन पहाड़ है जहां मां सीता ने लव और कुश को जन्म दिया. इस पहाड़ को मध्य प्रदेश सरकार ने पर्यटन स्थल भी घोषित किया है.
मातादीन बताते हैं की धर्म ग्रंथों में वाल्मीकि आश्रम को चित्रकूट के आसपास बताया गया है और यह शहर चित्रकूट से लगभग 150 किलोमीटर दूर है. हम अपने पुरखों बुजुर्गों से सुनते आए हैं कि यह वही स्थान है जहां वाल्मीकि आश्रम था. हालांकि, चित्रकूट के आसपास एक और स्थान है जहां वाल्मीकि आश्रम बताते हैं लेकिन हमारा दावा है कि यहीं वाल्मीकि आश्रम था.
पहाड़ पर था महर्षि वाल्मीकि आश्रम
वहीं बंबरबेनी के पुजारी बृजेश शर्मा बताते हैं कि श्री राम की आज्ञा से भाई लक्ष्मण मां सीता को वाल्मीकि आश्रम में यहां छोड़कर गए थे. यहां एक पहाड़ी है जिसे बंबर बेनी कहा जाता है. इस पहाड़ी का नाम भी मां सीता के नाम से ही है. यहीं पर वाल्मीकि आश्रम है और मां सीता की रसोई भी है.
एकमात्र प्राचीन लवकुश मंदिर
स्थानीय लोगों का दावा है कि इस शहर में भगवान लव कुश का एक मात्र प्राचीन मंदिर है. हालांकि आजकल लवकुश जयंती भी मनाई जा रही है तो नए-नए मंदिर भी बन रहे हैं. लेकिन यह सबसे प्राचीन मंदिर है और यह मंदिर प्राकृतिक मंदिर है, इसे किसी ने बनाया नहीं है. यहां शिला(चट्टान) में ही लव और कुश प्रकट हुए हैं.लव और कुश दोनों भाई हांथ में धनुष लिए खड़े हैं. ये मंदिर कितने सदियों पुराना है, ये भी नहीं किसी को पता है. ये प्राचीन मंदिर प्रमाण देता है कि इसी जगह लवकुश पले-बढ़े. यहां पहले जंगल ही जंगल था. शहर तो अभी बसा है. यहां पहाड़ और जंगल थे. यहां का पूरा क्षेत्र वाल्मीकि आश्रम में आता था.