इंदौर नगर निगम के एक ठेकेदार फर्म को ब्लैक लिस्टेड करने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा की अध्यक्षता में हाईकोर्ट इंदौर बेंच में पांच न्यायमूर्तिगणों की लार्जर (फुल) बेंच में गुरुवार को यह तीसरी सुनवाई थी। जो लगातार पांच
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मामला मध्यस्थता परिषद में रखने की अपील
इससे पहले अगस्त और सितंबर के पहले हफ्ते में दो दिन दो बार फुल बेंच बैठ चुकी है। मामला ठेकेदार फर्म को ब्लेक लिस्टेड किए जाने से संबंधित याचिका (नितिन इंटर प्राइजेस विरुद्ध मप्र शासन) का है। गुरुवार को सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा, जस्टिस विवेक रूसिया, जस्टिस विवेक अग्रवाल, जस्टिस सुबोध अभ्यंकर एवं जस्टिस विनय सराफ की फुल बेंच में गुरुवार को हुई।
यह सुनवाई सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक व लंच के बाद दोपहर 2.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक पांच घंटे चली। सुनवाई में प्रदेश के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह उपस्थित हुए। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट अमित मिश्रा (जबलपुर) उपस्थित हुए। लंबी बहस में महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने इस मुद्दे पर तर्क रखे कि मामला आर्बिर्टेशन ट्रिब्युटेशन (मध्यस्थता परिषद) में जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमित मिश्रा का तर्क है कि मामला न्यायिक स्तर पर निराकृत होना चाहिए। सुनवाई अधूरी रही जो आज 19 सितंबर को भी होगी। गौरतलब है इसी लार्जर बेंच ने इसी मुद्दे पर गत 19 व 20 अगस्त को पहली सुनवाई की थी। बहस अधूरी रहने पर सुनवाई आगे बढ़ाई गई थी। उसी की पुनः सुनवाई के लिए 1 व 2 सितंबर तय की गई थी।
तीन साल पहले ब्लैकलिस्ट किया था
दरअसल 30 अक्टूबर 2020 को एक आदेश जारी कर ठेकेदार फर्म का ठेका निरस्त करते हुए उसे तीन वर्ष के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। फर्म ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। केस में खास यह कि कंपनी का ठेका निरस्त करने पर उसे मध्यस्था परिषद में मामला रखने की स्वतंत्रता है लेकिन ब्लैक लिस्टेड होने पर उसे कहां अपील करना होगी, इस पर सुनवाई चल रही है।