भोपाल में मेट्रो का ट्रायल रन हो रहा है।
भोपाल में अक्टूबर से लोग मेट्रो का सफर कर सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेट्रो को हरी झंडी दिखाएंगे। इससे पहले CMRS (कमिश्नर मेट्रो रेल सेफ्टी) टीम भोपाल पहुंचेंगी और 2 से 3 दिन निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट देंगे। इधर, मेट्रो की किराया सूची पर भी मंथ
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छूट खत्म होने के बाद सिर्फ 20 रुपए में मेट्रो का सफर हो सकेगा। वहीं, 80 रुपए अधिकतम रहेंगे। 31 मई को इंदौर में चलाई गई मेट्रो के लिए भी यही मॉडल रहा था। ऐसा मेट्रो के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ाना रहेगा। भोपाल में ऑरेंज लाइन के पहले फेज में करीब 6 किलोमीटर लंबाई में मेट्रो दौड़ेगी। अक्टूबर में सुभाषनगर से एम्स तक मेट्रो चलेगी। दूसरा फेस सुभाषनगर से करोंद तक है। हालांकि, अभी इसका काम चल रहा है। अगले 2 से 3 साल में काम पूरा हो सकेगा।
कृपया ध्यान दें, दरवाजे बाई तरफ खुलेंगे… अगला स्टेशन एम्स है। दरवाजे बाईं तरफ खुलेंगे। कृपया, दरवाजों से हटकर खड़े हों…। इस तरह का अनाउंसमेंट आपको अक्टूबर में सुनाई देने लगेगा। मेट्रो के ट्रायल रन के बीच कमर्शियल रन शुरू होगा। हालांकि, अभी एम्स, अलकापुरी और डीआरएम ऑफिस स्टेशन पर गेट लगाने समेत अन्य काम किए जा रहे हैं। जिन्हें अगले 15 दिन में पूरा करने का टारगेट है।

भोपाल में मेट्रो के कमर्शियल रन शुरू करने से पहले बाकी बचे कामों को जल्द पूरा करने का फोकस है। इसके लिए मेट्रो अधिकारी लगातार निरीक्षण भी कर रहे हैं।
30 से 80Km रहेगी मेट्रो की स्पीड भोपाल के सुभाष नगर से रानी कमलापति (RKMP) और इंदौर के गांधीनगर से सुपर कॉरिडोर पर मेट्रो कोच को ट्रैक पर दौड़ाकर ट्रायल रन किया जा रहा है। ट्रायल रन में न्यूनतम 30 और अधिकतम 80Km प्रतिघंटा रफ्तार है। 100 से 120 किमी तक रफ्तार से भी मेट्रो दौड़ाई जा रही है। सिग्नल लग चुके हैं। सिग्नल की टेस्टिंग भी हो रही है।
जैसे ट्रेन में सफर करते हैं, वैसे मेट्रो में भी, टिकट लेना पड़ेगी मेट्रो का टिकट सिस्टम ऑनलाइन न होकर मैन्युअल ही रहेगा। जैसे आप ट्रेन में टिकट लेकर सफर करते हैं, वैसे ही मेट्रो में भी कर सकेंगे। इंदौर में अभी यही सिस्टम है। भोपाल और इंदौर मेट्रो में ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम लगाने वाली तुर्किए की कंपनी ‘असिस गार्ड’ से काम छिनने और नई कंपनी के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू किए जाने से यह स्थिति बनेगी।
बता दें कि असिस गार्ड को लेकर पिछले 4 महीने से मामला सुर्खियों में था। आखिरकार अगस्त में असिस गार्ड का टेंडर कैंसिल कर दिया गया। नई कंपनी के लिए टेंडर भी कॉल किए हैं। इस पूरी प्रक्रिया में दो से तीन महीने का वक्त लग सकता है। दूसरी ओर, मेट्रो का कमर्शियल रन अक्टूबर में किए जाने का निर्णय लिया गया है।

अभी एम्स, अलकापुरी, डीआरएम ऑफिस स्टेशन पर गेट लगाने समेत अन्य काम किए जा रहे हैं।
मैन्युअल टिकट ही एक मात्र ऑप्शन
अफसरों ने बताया कि 31 मई को पीएम मोदी इंदौर मेट्रो का वर्चुअली तरीके से कमर्शियल रन को हरी झंडी दिखा चुके हैं। असिस गार्ड कंपनी इंदौर में स्टेशनों पर भी सिस्टम लगा रही थी, लेकिन विवाद के बाद इंदौर में मैन्युअल टिकट ही ऑप्शन बचा था।
पिछले साढ़े 3 महीने से इंदौर में ट्रेन जैसा ही सिस्टम है। इसमें मेट्रो के कर्मचारी ही तैनात किए गए हैं। यही ऑप्शन अब भोपाल मेट्रो के लिए भी बचा है। दरअसल, ‘असिस गार्ड’ के जिम्मे ही सबसे महत्वपूर्ण ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन यानी किराया लेने की पूरी प्रक्रिया का सिस्टम तैयार करने का काम था। जिसमें कार्ड के जरिए किराया लेने के बाद ही गेट खुलना भी शामिल हैं। यह कंपनी सिस्टम का पूरा मेंटेनेंस भी करती।

भोपाल में मेट्रो का लगातार ट्रायल रन हो रहा है।
अब अनुबंध खत्म होने पर नई कंपनी काम करेगी, लेकिन उसे टेंडर और फिर अन्य प्रक्रिया से गुजरने में समय लगेगा। इसलिए मेट्रो कॉरपोरेशन भोपाल में भी मैन्युवली टिकट सिस्टम ही लागू कर सकता है। अफसरों के अनुसार, मैन्युवली सिस्टम के लिए अमला तैनात करेंगे। इसका प्लान तैयार कर रहे हैं।