हरे चारे की टेंशन दूर…भूसे से बनाएं प्रोटीन वाला पौष्टिक चारा, बस ऐसे करना है तैयार

हरे चारे की टेंशन दूर…भूसे से बनाएं प्रोटीन वाला पौष्टिक चारा, बस ऐसे करना है तैयार


How To Make Animal Fodder: बदलते मौसम, लगातार बारिश और बाढ़ जैसी आपदाओं के बीच पशुपालकों के सामने सबसे बड़ी समस्या होती है – हरे चारे की कमी। खासतौर पर बरसात और गर्मी के मौसम में कई बार खेतों में हरे चारे की फसल खराब हो जाती है या उपलब्धता बहुत कम रह जाती है। ऐसे में किसान भाइयों के सामने अपने मवेशियों को सही पोषण देना कठिन हो जाता है। लेकिन अब चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भूसे से ही पौष्टिक और प्रोटीन युक्त चारा तैयार किया जा सकता है। यह चारा न केवल आसानी से घर पर तैयार हो सकता है, बल्कि इससे पशुओं का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है और दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है।

भूसे से चारा बनाने का महत्व
भूसा आमतौर पर गेहूं, धान या अन्य अनाज की कटाई के बाद बचा हुआ अवशेष होता है। कई किसान इसे केवल सूखा चारा मानकर खिलाते हैं, लेकिन केवल सूखा भूसा पशुओं के लिए पर्याप्त नहीं होता, क्योंकि इसमें प्रोटीन और खनिज की कमी होती है। यदि इसी भूसे को विशेष तरीके से तैयार किया जाए तो यह पौष्टिक चारा बन जाता है, जो गाय-भैंस और अन्य मवेशियों के लिए अमृत समान है।

भूसे से पौष्टिक चारा तैयार करने की विधि
भूसे का चयन- सबसे पहले गेहूं, धान या ज्वार-बाजरे का ताजा और साफ भूसा लें. उसमें नमी या सड़न नहीं होनी चाहिए.

यूrea ट्रीटमेंट विधि
एक क्विंटल (१०० किलो) भूसा लें.
इसमें चार किलो यूरिया और चालीस लीटर पानी मिलाएं.
इस घोल को भूसे पर अच्छी तरह छिड़कें और भूसे को परत-दर-परत लगाकर दबा दें.
ऊपर से प्लास्टिक की शीट से ढक दें ताकि हवा अंदर न जाए.
इसे करीब इक्कीस दिन तक बंद रखें.
तीन हफ्ते बाद यह भूसा मुलायम, हरा-सा और पौष्टिक हो जाएगा। इसमें प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है और पचाने में भी आसानी होती है.
मोलास (गुड़ का घोल) मिलाना- भूसे में गुड़ का घोल मिलाकर भी स्वाद और ऊर्जा बढ़ाई जा सकती है। इससे पशु चारे को और शौक से खाते हैं.
खनिज और नमक का मिश्रण- यूरिया ट्रीटमेंट के बाद बने भूसे में मिनरल मिक्सचर और नमक मिलाने से यह संतुलित चारा बन जाता है.

भूसे से बने चारे के फायदे
हरे चारे की कमी पूरी- जब हरा चारा उपलब्ध न हो, तो यह विकल्प काम आता है.
पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर- प्रोटीन और खनिज मिलने से जानवरों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
दूध उत्पादन में वृद्धि- अच्छी डाइट मिलने से दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों बेहतर होती हैं.
सस्ता और आसान तरीका- किसान को बाजार से महंगे चारे खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती।
कचरे का उपयोग- खेत का बचा हुआ भूसा बेकार जाने के बजाय काम में आ जाता है।

सावधानियां
चारे को हमेशा अच्छी तरह ढककर रखें ताकि बारिश का पानी या हवा खराबी न करे.
भूसे में डाले गए यूरिया की मात्रा संतुलित होनी चाहिए। ज्यादा यूरिया नुकसानदायक हो सकता है.
तैयार चारे को एक बार में ज्यादा समय तक न रखें। आवश्यकता अनुसार खोलकर पशुओं को खिलाएं.

निष्कर्ष
हरे चारे की कमी किसान और पशुपालकों के लिए बड़ी चुनौती है, लेकिन विज्ञान और अनुभव के सहारे अब इसका समाधान संभव है. भूसे से तैयार किया गया पौष्टिक चारा न केवल पशुओं की भूख मिटाता है, बल्कि उन्हें ऊर्जा और स्वास्थ्य भी प्रदान करता है. इस तकनीक को अपनाकर किसान भाई दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं और पशुपालन को और भी लाभकारी बना सकते हैं.

इसलिए अब हरे चारे की टेंशन छोड़िए और घर पर ही भूसे से पौष्टिक चारा तैयार करके अपने पशुओं को एक नई ताकत दीजिए. यही तरीका किसानों को आत्मनिर्भर बनाता है और पशुपालन में नई दिशा देता है.



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