मुंबई में नाना के पास रह रही और वहीं पढ़ाई कर रही बेटी को उसके ही पिता भरण पोषण का खर्च नहीं दे रहे हैं। जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने बेटी की दुर्दशा पर गहरा दुःख व्यक्त किया। कहा एक बेटी अपने पिता से भरण-पोषण के लिए
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इंदौर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा-
यह हमारे लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और पीड़ादायक है कि एक बेटी अपने पिता से भरण-पोषण पाने के लिए संघर्ष कर रही है।
पिता ने फैमिली कोर्ट द्वारा पारित 5 जून, 2022 से गणना किए जाने वाले 10,000 रुपए के भरण-पोषण आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पिता ने तीन अन्य याचिकाओं में दावा किया कि वह बेरोजगार है और आय का कोई साधन न होने से भरण-पोषण का भुगतान करने में असमर्थ हैं।
पिता ने दावा किया कि उनकी बेटी अपने नाना के साथ रह रही है। अदालत ने इस तर्क को यह कहते हुए खारिज किया कि “नाना वृद्ध होने चाहिए। इसलिए उनसे भविष्य में बेटी का भरण-पोषण करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती।”
बेटी ने दावा किया कि कुल देय राशि लगभग 3.75 लाख रुपए थी। हालांकि, उसके पिता ने कोई राशि नहीं दी। उसने आरोप लगाया कि उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली है और दूसरी शादी से उनका एक बेटा है। अदालत ने कहा कि यदि पिता की आय संबंधी दलीलें झूठी पाई जाती हैं तो वह अदालत को गुमराह करने के लिए उत्तरदायी होंगे।
इसलिए अदालत ने इंदौर के उपखंड अधिकारी और थाना प्रभारी को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। अदालत ने डिप्टी-एडवोकेट जनरल सुदीप भार्गव को भी संबंधित अधिकारियों को इस आदेश से अवगत कराने और रिपोर्ट प्राप्त करने का निर्देश दिया। मामला 6 अक्टूबर, 2025 के लिए सूचीबद्ध किया गया।