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Agriculture News: रिपर मशीन लगभग दो घंटे में एक एकड़ खेत की कटाई कर सकती है. वहीं एक घंटे में केवल 600 मिली तक ईंधन यानी पेट्रोल लगता है. इसका मतलब है कि एक एकड़ में सिर्फ 200 रुपये की लागत आती है.
मशीन विक्रेता संजय जैन ने लोकल 18 को बताया कि अब धान काटने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. वहीं मजदूरी काफी महंगी हो चुकी है. ऐसे में रिपर, जिसे कैंपों के नाम से जाना जाता है, से अब समय, लागत और श्रम की बचत होती है. वहीं बेमौसम बरसात से खराब होने वाली फसल जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है. इससे किसानों की लागत में कमी आ जाती है, जिससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होती है.
उन्होंने आगे बताया कि रिपर मशीन करीब दो घंटे में एक एकड़ खेत की फसल की कटाई कर सकती है. वहीं एक घंटे में सिर्फ 600 मिली तक ईंधन यानी पेट्रोल लग सकता है. एक एकड़ में सिर्फ 200 रुपये की लागत आती है. यह लागत मजदूरी के मुकाबले काफी कम है. वहीं 30 घंटे चलाने के बाद इसकी सर्विसिंग करनी पड़ती है. इसका मेंटेनेंस का खर्च भी ज्यादा नहीं है. ऐसे में हर साल बालाघाट में 300 से ज्यादा मशीनें बिक रही हैं.
सरकारी अनुदान में 50 फीसदी की बचत
संजय जैन बताते हैं कि सरकार भी समय-समय पर इस मशीन पर अनुदान देती है. आमतौर पर इस मशीन की कीमत एक लाख रुपये से लेकर 1 लाख 70 हजार रुपये तक होती है. ऐसे में सरकारी योजना में आधी कीमत पर भी मिल सकती है. इसके लिए किसान ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं. इसके लिए तय राशि का डिमांड ड्राफ्ट भरना पड़ता है, जिसके बाद लॉटरी सिस्टम से किसानों को इस मशीन पर अनुदान मिलता है.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.