अब मध्य भारत के मरीजों को आधुनिक स्वास्थ्य तकनीक और नए इलाज के लिए दिल्ली या मुंबई जाने की जरूरत नहीं होगी। एम्स भोपाल ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और एम्स नई दिल्ली के सहयोग से कोलैबोरेटिंग सेंटर फॉर असिस्टिव हेल्थ टेक्नोलॉजी (CC
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यह सेंटर सीधे मरीजों की जरूरतों को ध्यान में रखकर नई तकनीक और उपकरणों पर रिसर्च करेगा, क्लिनिकल ट्रायल करेगा और अस्पतालों तक इनका व्यावहारिक समाधान पहुंचाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मरीजों को मॉडर्न उपकरण और नए इलाज अब भोपाल में ही उपलब्ध होंगे। युवा डॉक्टरों और छात्रों को अपने नवाचार पर काम करने का मंच मिलेगा। यह पहल न सिर्फ भोपाल या मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
एम्स में कोलैबोरेटिंग सेंटर फॉर असिस्टिव हेल्थ टेक्नोलॉजी (CCAHT) की शुरुआत की गई।
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) माधवानंद कर ने कहा, आईसीएमआर और एम्स दिल्ली के साथ मिलकर काम करना हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है। हमारा लक्ष्य उन जरूरतों को पूरा करना है जिन पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया। इससे न सिर्फ भोपाल या मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश के मरीजों को फायदा मिलेगा।
नई तकनीक और रिसर्च पर फोकस सीसीएएचटी का मुख्य उद्देश्य हेल्थ टेक्नोलॉजी में नवाचार को बढ़ावा देना है। यहां रिसर्च के साथ क्लिनिकल ट्रायल और प्रैक्टिकल सॉल्यूशंस पर ध्यान दिया जाएगा। यानी ऐसे उपकरण और तकनीक विकसित किए जाएंगे जो सीधे मरीजों के इलाज में मददगार हों। एम्स भोपाल का मानना है कि इससे इलाज के नए विकल्प तेजी से विकसित होकर मरीजों तक पहुंचेंगे।
दो दिन के कार्यक्रम में विशेषज्ञों की भागीदारी इस पहल की शुरुआत दो दिन चले कार्यक्रम के दौरान हुई। इसमें देशभर से आए विशेषज्ञों ने बताया कि सेंटर नई खोज, क्लिनिकल वेलिडेशन, प्रोटोटाइप डेवलपमेंट और फंडिंग के अवसर उपलब्ध कराएगा। खास बात यह रही कि ओपन-हाउस सेशन में एम्स भोपाल के फैकल्टी, रेजिडेंट्स और छात्रों ने अपने नए आइडिया साझा किए। इस पर चर्चा हुई कि कैसे इन्हें व्यावहारिक स्वास्थ्य समाधान में बदला जा सकता है।
राष्ट्रीय मॉडल से प्रेरित है सेंटर कार्यक्रम का संचालन एम्स भोपाल के डीन-रिसर्च प्रो. रेहान उल हक ने किया। आईसीएमआर के डॉ. रविंदर सिंह ने असिस्टिव टेक्नोलॉजी पर परिषद की पहल समझाई। वहीं एम्स दिल्ली के डॉ. सलज राणा ने नेशनल सेंटर फॉर असिस्टिव हेल्थ टेक्नोलॉजी (NCAHT) के मॉडल पर प्रकाश डाला। एम्स भोपाल के डॉ. विवेक त्रिखा ने यहां के इनोवेशन प्रस्तुत किए और बताया कि इन्हें कैसे मरीजों तक पहुंचाया जाएगा।