हड़ताल पर वैज्ञानिक…जून में मिली थी आखिरी सैलरी, अब उधार मांग चला रहे घर

हड़ताल पर वैज्ञानिक…जून में मिली थी आखिरी सैलरी, अब उधार मांग चला रहे घर


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Khargone News: डॉ अनीता शुक्ला, डॉ पुखराज सुमन और शशिराज झारिया ने लोकल 18 से कहा कि सैलरी न मिलने से त्योहारों के समय परिवार का खर्च चलाना मुश्किल भरा हो गया है. उन्होंने बताया कि आखिरी बार वेतन जून में मिला था.

खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन सहित देशभर में मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) बंद रहे. वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक ‘पेन डाउन’ हड़ताल की. इस दौरान सभी कर्मचारी कार्यालय गेट पर धरने पर बैठे रहे. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे. वैज्ञानिकों का कहना है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से जुड़े कर्मचारियों को समय पर वेतन, मेडिकल सुविधा और पेंशन सहित सभी लाभ मिलते हैं, जबकि गैर-आईसीएआर केवीके में कार्यरत वैज्ञानिकों को इन सुविधाओं से वंचित रखा गया है. उनका आरोप है कि बेसिक वेतन, डीए और एचआरए के अलावा उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता और वेतन भी समय पर नहीं आता.

लागू हो वन नेशन, वन केवीके पॉलिसी
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ जीएस कुलमी ने लोकल 18 से कहा कि सरकार से हमारी प्रमुख मांग है कि पूरे देश में ‘वन नेशन, वन केवीके और वन पॉलिसी’ लागू की जाए ताकि आईसीएआर और गैर-आईसीएआर के वैज्ञानिकों के बीच भेदभाव खत्म हो सके. उन्होंने कहा कि जब काम दोनों जगह एक जैसा है, तो सुविधाएं और वेतन भी एक समान मिलना चाहिए.

662 केवीके कर्मचारियों की समस्याएं
वैज्ञानिक डॉ राजीव सिंह ने बताया कि देशभर में 731 कृषि विज्ञान केंद्र हैं, जिनमें से सिर्फ 69 आईसीएआर के अंतर्गत आते हैं. बाकी विश्वविद्यालयों और एनजीओ के अंतर्गत हैं. आईसीएआर के वैज्ञानिकों को नियमित वेतन और पोस्ट-रिटायरमेंट सुविधाएं मिलती हैं लेकिन गैर-आईसीएआर वैज्ञानिकों को पिछले दो साल से ये लाभ नहीं मिल रहे. हम चाहते हैं कि सरकार सभी केवीके कर्मचारियों को समान वेतन, पेंशन, मेडिकल भत्ता और पोस्ट-रिटायरमेंट लाभ दे. इसके साथ ही आरएस पाटोदा समिति की सिफारिशों को भी भारत सरकार लागू करे.

किस्तें जमा नहीं हुई, तो बैंक ने…
वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि उन्हें कई-कई महीनों तक सैलरी नहीं मिलती. पिछले एक साल से स्थिति ऐसी ही बनी हुई है. अब तो हालत यह हो गई है कि यह अगले महीने से वेतन आएगा भी या नहीं, कुछ कह नहीं सकते. 3-4 महीने में केवल एक महीने का वेतन मिलता है. कई वैज्ञानिक होम लोन, कार लोन और बच्चों की पढ़ाई के लोन की किस्तें समय पर नहीं भर पा रहे हैं और बैंक ने डिफॉल्टर घोषित कर दिया है.

जून में मिली थी आखिरी सैलरी
डॉ अनीता शुक्ला, शशिराज झारिया और डॉ पुखराज सुमन ने बताया कि वेतन न मिलने से त्योहारों के समय परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. दशहरा-दीवाली त्योहार सामने हैं लेकिन घर चलाना भारी हो गया है. आखिरी बार जून में सैलरी मिली थी. उसके बाद से सिर्फ इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में हमें दूसरों से उधार लेना पड़ रहा है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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