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Jabalpur News: जबलपुर शहर में धूमधाम से मां दुर्गा की मूर्ति बनाई जाती है. 11 वीं शताब्दी से इसका काम शुरू हुआ था. जहां पहली बार दुर्गा की मिट्टी की मूर्ति बना कर स्थापित की गई थी. क्या है इसके पीछे का इतिहास.
यह उत्सव बंगाली क्लब में बांग्ला समाज के द्वारा मनाया जाता था. इस पूजा में बुंदेलखंड वर्तमान में जबलपुर का परिवार भी शामिल होता था. इसके बाद से ही शहर में मूर्तियां रखने का प्रचलन शुरू हो गया. खास बात यह है इसकी नींव जबलपुर में प्रवासी बांग्ला परिवारों के आगमन के साथ हुआ था. जहां प्रवासी बांग्ला परिवार अपने साथ संस्कृति, परंपरा और धार्मिक आस्था लेकर आए. इसके बाद मूर्तियां रखने का सिलसिला बुंदेलखंड में शुरू हो गया.
सिटी बंगाली क्लब के सचिव प्रकाश शाह ने लोकल18 से बताया बांग्ला समाज ने धूमधाम से इसकी शुरुआत जबलपुर शहर से की थी. हालांकि, पहले जबलपुर शहर नहीं पूरा बुंदेलखंड हुआ करता था. जहां बांग्ला समाज ही नहीं बल्कि पूरा बुंदेलखंड पूजा में शामिल होता था, लेकिन कुछ साल बाद 1878 में जबलपुर के ही लोगों ने सुनरहाई में दुर्गा प्रतिमा के स्थापित की. सुनरहाई का अर्थ साफ है सराफा बाजार जहां से जबलपुर के सोने-चांदी का व्यापार का प्रमुख केंद्र हुआ करता था. जहां देवी प्रसाद चौधरी और उमराव प्रसाद ने आभूषण से अलंकृत एक सुंदर दुर्गा प्रतिमा बनवाई थी. जिसका निर्माण मूर्तिकार मिनी प्रसाद प्रजापति ने किया था.
कोलकाता के बाद जबलपुर में उमड़ता है जनसैलाब
देशभर में कोलकाता के बाद जबलपुर में नवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. जहां लाखों की संख्या में जनसैलाब उमड़ता है और मां दुर्गा की स्थापना की जाती है. जहां सैकड़ों की संख्या में समितियां मूर्तियों को स्थापित करती हैं और उनका पूजन अर्चन करती है. यह सिलसिला सैकड़ो वर्षों से चला आ रहा है, जहां भक्तों की आस्था देखते ही बनती है.
Deepti Sharma, currently working with News18MPCG (Digital), has been creating, curating and publishing impactful stories in Digital Journalism for more than 6 years. Before Joining News18 she has worked with Re…और पढ़ें
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