Goat Farming Tips: बकरी की इन नस्लों का करें पालन, भूल जाएंगे गाय-भैस! कुछ ही दिनों में बना देंगी मालामाल

Goat Farming Tips: बकरी की इन नस्लों का करें पालन, भूल जाएंगे गाय-भैस! कुछ ही दिनों में बना देंगी मालामाल


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Best Goat Breeds: भारत की देसी नस्लों के अलावा अल्पाइन और स्विट्जरलैंड की बकरियां भी दुनियाभर में दूध उत्पादन के लिए जानी जाती हैं लेकिन देसी नस्लों की लोकप्रियता और उनकी उपयोगिता गांव-गांव में आज भी सबसे ज्यादा बनी हुई है. (रिपोर्ट:शिवांक द्विवेदी/सतना)

बघेलखंड में बकरी को गरीब की गाय कहा जाता है. शायद इसकी सबसे बड़ी वजह बकरी के दूध देने की क्षमता और उसकी पौष्टिकता होती होगी. अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर कौन सी बकरी सबसे ज्यादा दूध देती है.

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इसी सवाल का जवाब देते हुए सतना के प्रभारी जिला पशु चिकित्सालय के डॉ बृहस्पति भारती ने लोकल 18 को बताया कि भारत की कुछ देसी नस्लें दूध देने में रिकॉर्ड बना चुकी हैं. जमुनापारी, सिरोही और बरबरी नस्ल की बकरियां दूध उत्पादन में सबसे आगे मानी जाती हैं.

जमुनापारी नस्ल

यही नहीं, इनकी क्रॉस ब्रीडिंग से तैयार हुई नस्लें भी अच्छे स्तर पर दूध देती हैं. यही कारण है कि इन नस्लों को पालना गरीब परिवारों के लिए लाभकारी साबित होता है.अगर सबसे बेहतरीन की बात की जाए, तो जमुनापारी नस्ल का नाम सबसे ऊपर आता है.

जमुनापारी नस्ल की बकरी मुख्य रूप से इटावा, आगरा और चंबल क्षेत्र में पाई जाती है. एक बार में यह 500 एमएल से लेकर एक लीटर तक दूध देती है, जो इसे सबसे उत्पादक बनाता है. इसका वजन करीब 40 से 50 किलो तक होता है और इसे दूध और मांस दोनों के लिए पाला जाता है.

बकरी और मौन पालन की ट्रेनिंग

डॉ भारती ने आगे कहा कि वहीं सिरोही और बरबरी नस्ल की बकरियां भी अच्छी मात्रा में दूध देती हैं. इनसे लगभग 300 एमएल से 500 एमएल तक दूध प्राप्त होता है. इनका वजन भी अन्य नस्लों की तुलना में ज्यादा होता है, जिससे ये मांस उत्पादन में भी उपयोगी मानी जाती हैं.

डॉ ने बताया कि बकरी का दूध सेहत के लिहाज से बेहद खास होता है. डेंगू जैसी बीमारियों में इसे बेहद लाभकारी माना जाता है. इसके अलावा यह पाचन के लिए भी उत्तम है और शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है.

सिरोही नस्ल

भारत की देसी नस्लों के अलावा अल्पाइन और स्विट्जरलैंड की बकरियां भी दुनियाभर में दूध उत्पादन के लिए जानी जाती हैं लेकिन देसी नस्लों की लोकप्रियता और उनकी उपयोगिता गांव-गांव में आज भी सबसे ज्यादा बनी हुई है.

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इस तरह जमुनापारी, सिरोही और बरबरी जैसी नस्लें न सिर्फ किसानों की आय का साधन हैं बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहद फायदेमंद साबित होती हैं. इस नस्ल की बकरियां अपने उच्च गुणवत्ता वाले मांस एवं दूध के लिए जानी जाती हैं.इसीलिए बाजारों में इन बकरियों की कीमत 15 से 30 हजार तक होती है.

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