एमपी समेत पांच राज्यों में ठगी करने वाला गिरफ्तार: ईडी ने फ्रीज किए 391 करोड़, हिमाचल, मप्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, असम के लोगों को ठगा – Bhopal News

एमपी समेत पांच राज्यों में ठगी करने वाला गिरफ्तार:  ईडी ने फ्रीज किए 391 करोड़, हिमाचल, मप्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, असम के लोगों को ठगा – Bhopal News


ईडी ने एमपी समेत पांच राज्यों हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और असम के लोगों को निवेश के नाम पर ठगने के आरोपी को यूपी से अरेस्ट किया है। इस एजेंट और उसके सहयोगी के पकड़ में आने के बाद 391 करोड़ रुपए फ्रीज किए गए हैं।

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आरोपियों द्वारा दस हजार से अधिक लोगों को निवेश के जाल में उलझाकर उनसे जमा कराई जाने वाली रकम दुबई भेज दी जाती थी और उन्हें गुमराह करने के लिए जूम काल के जरिए दुबई में बैठे सरगना से बात कराई जा रही थी।

ईडी ने उत्तर प्रदेश के एक एजेंट को गिरफ्तार किया है, जिसने धोखाधड़ी ‘क्यूएफएक्स’ के जरिए कई निवेशकों को ठगा है। पीएमएलए अदालत ने गुरुवार को हिरासत में लिए गए नवाब हसन को नौ दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया।

ईडी का ऑफिस।

ईडी ने कहा कि हसन को निर्दोष लोगों को गुमराह कर और क्यूएफएक्स घोटाले के माध्यम से लूटने के लिए सार्वजनिक जमा राशि को जुटाने में उसके रोल के चलते गिरफ्तार किया गया था, जिसे वाईएफएक्स, बॉट ब्रो, बॉटअल्फा, क्रॉसअल्फा और माइनक्रिप्टो घोटाले के रूप में भी जाना जाता है। पिछले एक हफ्ते में ईडी द्वारा इस मामले में की गई यह दूसरी गिरफ्तारी थी। ईडी ने 17 सितंबर को एक एजेंट हरिंदर पाल सिंह को गिरफ्तार किया था।

सक्रिय प्रमुख एजेंट है हरिंदर

ईडी ने बताया कि हरिंदर पाल सिंह ने हसन की पहचान पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में वर्तमान में सक्रिय प्रमुख एजेंट के रूप में की है।

पीएमएलए एक्ट का यह मामला हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और असम में पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई एफआईआर से जुड़ा है, जो बताता है कि यह ‘पिरामिड घोटाला’ (पोंजी या मल्टी-लेवल मार्केटिंग धोखाधड़ी) रोबोट, एआई-बॉट आधारित विदेशी मुद्रा व्यापार के जरिए 5 से 6 प्रतिशत के हायर मासिक रिटर्न का वादा करके अंजाम दिया गया था।

आरोपियों ने पैसा इकट्ठा करने के लिए भुगतान एग्रीगेटर्स और यूएसडीटी जैसी आभासी मुद्राओं का इस्तेमाल किया।

10000 से ज्यादा निवेशकों को आधार बनाया

ईडी ने कहा कि निवेश के बाद पहचान पत्र हटा दिए जाते थे। कुछ महीनों के बाद भुगतान रोक दिया जाता था और निवेश से प्राप्त अपराध की राशि को मुख्य आरोपी के करीबी सहयोगियों के नाम पर संपत्तियां खरीदने या भोग विलास के रूप में खर्च करने के लिए यूएई भेज दिया जाता था।

हसन ब्लू डायमंड एक्जीक्यूटिव के पद पर एक वरिष्ठ फील्ड लीडर के रूप में काम करता था और उसने अपने अधीन 10000 से ज़्यादा निवेशकों का आधार बनाया था। वह दुबई स्थित मास्टरमाइंड लवीश चौधरी जिसे नवाब के नाम से भी जाना जाता है और उसके सहयोगियों के साथ कोआर्डिनेशन करते हुए भुगतान एग्रीगेटर्स और बाद में यूएसडीटी के माध्यम से नकदी इकट्ठा कर रहा था और निवेश कर रहा था।

लविश चौधरी से मिलने जाता था हसन

लविश चौधरी

लविश चौधरी

ईडी के अनुसार हसन ने कहा है कि कि प्लेटफार्म पर कभी कोई वास्तविक विदेशी मुद्रा व्यापार नहीं हुआ और निवेशक डैशबोर्ड में काल्पनिक शेष राशि दिखाई गई जबकि नए संग्रह का उपयोग लंबित भुगतानों को पूरा करने के लिए किया गया।

ईडी ने दावा किया कि हसन फरार मास्टरमाइंड लविश चौधरी से मिलने के लिए अक्सर यूएई जाता था और फिर से दुबई जाने की योजना बना रहा था। वह नए निवेशकों में विश्वास और भरोसा जगाने के लिए चौधरी के साथ जूम कॉल मीटिंग में शामिल होता था।

ईडी ने इस साल की शुरुआत में इस मामले में कई तलाशी लीं और आरोपियों से जुड़ी कुछ फर्जी या नकली कंपनियों के 185 बैंक खातों में रखे 391 करोड़ रुपये के फंड को फ्रीज कर दिया।



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