Wheat Production Tips: कम पानी में भी होगी बंपर पैदावार, खेतों में बो दें गेहूं की ये तीन किस्में, एक्सपर्ट से जानें

Wheat Production Tips: कम पानी में भी होगी बंपर पैदावार, खेतों में बो दें गेहूं की ये तीन किस्में, एक्सपर्ट से जानें


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Wheat Bumper Production Tips: कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि जिन किसानों के खेत खाली हो चुके हैं और जिनके पास सिंचाई की सुविधा सीमित है, वे 20 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच अर्ली वैरायटी की बुवाई करें. समय पर बुवाई करने से कम पानी में भी दाने अच्छे बनते हैं और उपज पर कोई असर नहीं पड़ता.

दीपक पांडेय/खरगोन: रबी सीजन की शुरुआत होने वाली है और किसान भाई अब गेहूं की बुवाई की तैयारी में जुट गए हैं. ऐसे में जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध नहीं है, वे भी बंपर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ अर्ली वैरायटी (Early Varieties) ऐसी हैं, जो कम पानी में भी बेहतरीन उत्पादन देती हैं और लगभग 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं. इससे किसानों को समय पर फसल काटने और अगली फसल की तैयारी का भी मौका मिल जाता है.

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में इस बार करीब पौने दो लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती होने का अनुमान है. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि जिन किसानों के खेत खाली हो चुके हैं और जिनके पास सिंचाई की सुविधा सीमित है, वे 20 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच अर्ली वैरायटी की बुवाई करें. समय पर बुवाई करने से कम पानी में भी दाने अच्छे बनते हैं और उपज पर कोई असर नहीं पड़ता.

कम पानी में सही किस्मों का चयन जरूरी
खरगोन के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह बताते हैं कि, जिन किसानों के पास कम पानी उपलब्ध हैं, वे भी गेहूं की खेती कर सकते हैं. बस उन्हें सही किस्म का चयन करना होगा. उन्होंने कहा कि अगर किसान अर्ली वैरायटी को अपनाते हैं, तो वे कम पानी में भी अच्छे परिणाम पा सकते हैं.

किसान करें इन किस्मों की बुआई
1. एचआई 1531 (हर्षिता) – यह किस्म कम पानी में भी अच्छी बढ़वार करती है और लगभग 40–45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देती है. दाने मोटे और चमकदार होते हैं.

2. एचडी 2987 (पूसा बहार) – यह अर्ली वैरायटी कम दिनों में पक जाती है और इसकी पैदावार क्षमता 42–45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी मजबूत है.

3. एचआई 1605 (पूसा उजाला) – यह किस्म 130–135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसकी पैदावार क्षमता 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक रहती है. कम सिंचाई में भी इसका दाना भरपूर बनता है.

किसानों के लिए फायदेमंद सौदा
विशेषज्ञों का मानना है कि इन किस्मों को अपनाने से किसान कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. खासकर उन किसानों के लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है, जिनके पास नहर या बोरवेल से सीमित पानी की सुविधा है. साथ ही, जल्दी पकने वाली इन किस्मों से किसान अगली फसल की भी आसानी से तैयारी कर सकते हैं.

shweta singh

Shweta Singh, currently working with News18MPCG (Digital), has been crafting impactful stories in digital journalism for more than two years. From hyperlocal issues to politics, crime, astrology, and lifestyle,…और पढ़ें

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कम पानी में भी होगी बंपर पैदावार, खेतों में बो दें गेहूं की ये तीन किस्में!



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