Last Updated:
Agriculture News: फसल चक्र अपनाने से किसानों को एक और बड़ा लाभ मिलता है. जब एक ही खेत में अलग-अलग फसलें बोई जाती हैं, तो मिट्टी को जरूरी आराम और पोषक तत्वों का संतुलन मिल जाता है. इससे खेत की उर्वरता लंबे वक्त तक बनी रहती है.
खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में चना रबी सीजन की मुख्य फसल मानी जाती है. अक्टूबर के पहले सप्ताह से जिले में बुआई की शुरुआत होने वाली है और किसान इसकी तैयारियों में जुट गए हैं. जिले में करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में चने की खेती की जाती है लेकिन अक्सर किसानों को इस फसल में बिल्ट रोग या पौधों के सूखने की समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में किसानों की लागत और मेहनत दोनों पर पानी फिर जाता है, जिससे आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है.
मध्य प्रदेश के खरगोन के कृषि वैज्ञानिक डॉ राजीव सिंह ने लोकल 18 को बताया कि इस बार बुआई के समय किसान भाई फसल चक्र (पलटा) को अपनाएं. इस विधि में जिस खेत में पिछले साल चना लगाया गया था, वहां इस बार गेहूं, मक्का या अन्य अनाज की फसल बोई जाए. वहीं जिस खेत में गेहूं बोया गया था, वहां इस बार चने की बुआई की जाए. ऐसा करने से बिना किसी अतिरिक्त खर्च और दवा के चने की फसल को सूखने वाली समस्या से बचाया जा सकता है.
फसल चक्र अपनाने के फायदे
उन्होंने आगे बताया कि फसल चक्र अपनाने से किसानों को एक और बड़ा फायदा मिलता है. जब एक ही खेत में अलग-अलग फसलें बोई जाती हैं, तो मिट्टी को जरूरी आराम और पोषक तत्वों का संतुलन मिलता है. इससे खेत की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है और अगली बार बोई जाने वाली फसल भी बेहतर उत्पादन देती है. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तरीका न केवल किसानों को चना फसल के नुकसान से बचाएगा बल्कि जमीन की गुणवत्ता को भी मजबूत करेगा.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.