नवरात्र के अवसर पर ब्यावरा शहर में गरबा उत्सव की धूम मची हुई है। कई स्थानों पर रंगीन विद्युत रोशनी और संगीत के बीच मां दुर्गा की भक्तिमय आराधना की जा रही है। शहीद कॉलोनी स्थित शासकीय पार्क में इस निःशुल्क गरबा महोत्सव की शुरुआत वर्ष 1993 में गुजरात स
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शुरुआत में शाम 7 से रात 10 बजे तक होने वाले इस गरबा में केवल परिवार की महिलाएं और बच्चियां ही डांडिया लेकर ढोलक और माइक जैसे साधारण वाद्य यंत्रों की ताल पर भक्ति में लीन होती थीं।
अशोक पटेल के अमेरिका में बस जाने के बाद अब उनके पुत्र गौरव पटेल इस आयोजन का संचालन कर रहे हैं। गौरव ने बताया कि यह गरबा आज भी छोटे स्तर पर पटेल परिवार और आसपास के रहवासी परिवारों की महिलाओं व बच्चों के साथ ही मनाया जाता है और इसका पूरा खर्च समिति वहन करती है।
आधुनिकता के साथ सांस्कृतिक संगम
वर्ष 1993 के बाद गुजराती परिवारों के साथ गरबा खेलने का यह चलन स्थानीय लोगों में भी लोकप्रिय हो गया। समय के साथ वाद्य यंत्रों में बदलाव आया, लेकिन गरबा की मूल संस्कृति और परंपरा आज भी वैसी ही बनी हुई है। शहीद कॉलोनी के पार्क से शुरू होकर यह आयोजन अब बड़े गार्डन, हॉल और सार्वजनिक स्थलों तक पहुंच गया है। वर्तमान में शहर में प्रायोजित संस्थानों और सामाजिक संगठनों द्वारा कई भव्य गरबा आयोजनों का सफल संचालन किया जा रहा है, जो परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत करते हैं।

सिस्टर निवेदिता परिसर में भी रंगारंग कार्यक्रम
मंगलवार को शहर के सिस्टर निवेदिता परिसर में भी नवरात्र पर्व के उपलक्ष्य में एक रंगारंग गरबा डांडिया कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान युवाओं ने रंग-बिरंगे परिधान पहनकर गरबा और डांडिया नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दीं।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के दीप प्रज्वलन और अम्बे माता की आरती के साथ हुई। नन्ही दुर्गा स्वरूपा बालिकाएं, राधा-कृष्ण और गोपी स्वरूप में आए छात्र-छात्राएं आकर्षण का केंद्र रहे। सभी प्रतिभागियों ने पारंपरिक वेशभूषा पहनकर डांडिया नृत्य प्रस्तुत किया और मां दुर्गा की आराधना की।