मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स में इस बार बात सागर शहर की। 3 साल पहले सागर शहर 4 दिन के भीतर लगातार तीन हत्याओं से दहल उठा था। तीन रातें, तीन चौकीदार और मौत का एक ही तरीका। कोई निशान नहीं, कोई मकसद नहीं। बस सिर पर वार और लाश। लोग सिहर उठे थे। हर कोई आशंका
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पुलिस की डायरी में केस दर्ज हो रहे थे, लेकिन हर पन्ना खाली था। कोई सुराग नहीं, कोई गवाह नहीं था, फिर कैसे पुलिस इस अदृश्य कातिल तक पहुंची? कैसे टूटा शहर का खौफ? पढ़िए मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स की यह रिपोर्ट
सीसीटीवी में नजर आया धुंधला साया कल्याण सिंह लोधी सागर के भैंसा क्षेत्र के एक कारखाने में चौकीदार थे। वह ड्यूटी पर तैनात थे। रात को 1 बजे के बाद उनकी आंख लग गई। किसी ने चुपके से पास आकर उनके सिर पर हथौड़ा दे मारा। वार इतना तेज था कि कल्याण सिंह वहीं ढेर हो गए। अगली सुबह खून से सना फर्श और निर्जीव शरीर देखकर स्टाफ में हड़कंप मच गया। पुलिस मौके पर पहुंची।
जब सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, तो कैमरे में सिर्फ एक धुंधला-सा साया नजर आया। एक शख्स, जो अंधेरे में अंदर जाता दिखा, और फिर तेजी से बाहर निकलता। लेकिन वो कौन था? चेहरा साफ नहीं दिखा। पुलिस ने केस दर्ज किया और जांच शुरू की। शुरुआती जांच में इसे एक सामान्य हत्या माना गया, जिसके पीछे कोई निजी रंजिश हो सकती है।
लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि यह सिर्फ एक खूनी सिलसिले का आगाज था।

इस बार पत्थर से सिर फोड़ा पहली हत्या का खौफ अभी शहर में ठीक से फैला भी नहीं था कि ठीक एक दिन बाद, 29 अगस्त की रात, कातिल ने फिर दस्तक दी। इस बार उसका निशाना बना सागर का प्रतिष्ठित आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज। यहां 60 वर्षीय शंभूदयाल दुबे चौकीदार के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। रात का वही पहर, 1 से 3 बजे के बीच का समय। शंभूदयाल भी अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे नींद के आगोश में चले गए थे।
कातिल ने फिर वही तरीका अपनाया। उसने पास पड़ा एक बड़ा सा पत्थर उठाया और सोते हुए शंभूदयाल के सिर पर दे मारा। उनकी भी मौके पर ही मौत हो गई। सुबह जब कॉलेज का स्टाफ पहुंचा, तो मंजर देखकर सन्न रह गया। पुलिस को बुलाया गया। घटनास्थल पर जांच के दौरान पुलिस को मृतक का मोबाइल फोन पड़ा मिला, जिसे कातिल ने छुआ तक नहीं था।
अब पुलिस के कान खड़े हो गए। दो दिन में दो हत्याएं, दोनों का तरीका एक जैसा। दोनों पीड़ित चौकीदार, दोनों की सोते समय सिर पर वार करके हत्या। क्या यह महज एक इत्तफाक था, या दोनों हत्याओं के पीछे एक ही शख्स का हाथ था? पुलिस के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा गईं।

फावड़ा को बनाया मौत का हथियार पुलिस अभी दूसरी हत्या की गुत्थी सुलझाने में लगी ही थी कि अगली ही रात, 30 अगस्त 2022 को, सीरियल किलर ने तीसरी वारदात को अंजाम देकर पूरे शहर को दहला दिया। इस बार घटनास्थल एक निर्माणाधीन मकान था, जहां 40 वर्षीय मंगल अहिरवार चौकीदारी कर रहे थे। समय फिर वही, रात 1 से 4 बजे के बीच।
मंगल अहिरवार भी अपनी ड्यूटी के दौरान सो गए थे। मौत इस बार भी दबे पांव आई। कातिल ने मौके पर ही पड़ा एक फावड़ा उठाया और सोते हुए मंगल के सिर पर पूरी ताकत से वार कर दिया। कहानी एक बार फिर दोहराई गई। सुबह जब लोग वहां पहुंचे, तो मंगल का खून से लथपथ शव देखकर सिहर उठे।
पुलिस को घटनास्थल से खून से सना फावड़ा भी बरामद हुआ। अब पुलिस के लिए तस्वीर बिल्कुल साफ हो चुकी थी। यह कोई अलग-अलग घटनाएं नहीं थीं। सागर एक सीरियल किलर के साय में जी रहा था, जो सिर्फ चौकीदारों को अपना निशाना बना रहा था।

पुलिस के सामने तस्वीर साफ हो गई थी कि सीरियल किलर केवल चौकीदारों को निशाना बना रहा था। ( नाट्य रूपांतरण)
हत्या का एक ही पैटर्न और ढेरों सवाल चार दिन में तीन हत्याओं ने पुलिस विभाग में हड़कंप मचा दिया था। मकसद साफ नहीं था, लेकिन कातिल का हत्या करने का पैटर्न (Modus Operandi) बिल्कुल साफ थी। जैसे..
- निशाना: सिर्फ चौकीदार, जिनकी उम्र 40 से 60 साल के बीच थी।
- समय: देर रात 12 से सुबह 4 बजे के बीच, जब पीड़ित गहरी नींद में होता था।
- हथियार: कातिल अपने साथ कोई हथियार नहीं लाता था। वह मौके पर मौजूद चीजों, जैसे हथौड़ा, पत्थर या फावड़े का इस्तेमाल करता था।
- तरीका: सिर पर एक बार ही जोरदार वार करता था जिससे मौत हो जाए।
- मकसद: लूटपाट का कोई इरादा नहीं। मृतकों की जेब से पैसे या कीमती सामान गायब नहीं थे। कातिल सिर्फ मृतक का मोबाइल फोन अपने साथ ले जाता था।
यह पैटर्न देखकर शहर में दहशत फैल गई। लोग कहने लगे, ‘सागर में सीरियल किलर घूम रहा है।’ शाम ढलते ही लोग घरों में दुबक जाते। खासकर वे लोग जो रात की ड्यूटी करते थे, उनके परिवारों में खौफ का माहौल था। पुलिस अफसरों के माथे पर पसीना था।

सरकार की चिंता और पुलिस का एक्शन मामले की गंभीरता को देखते हुए खबर भोपाल तक पहुंची। तत्कालीन गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने सागर के तत्कालीन एसपी तरुण नायक से सीधे बात की और जल्द से जल्द आरोपी को पकड़ने के निर्देश दिए। पूरे शहर को हाई अलर्ट पर डाल दिया गया। लगभग 250 पुलिसकर्मियों की फौज रात-दिन शहर की सड़कों पर गश्त करने लगी।
शहर का माहौल तनावपूर्ण था, जैसे हर कोई अगली सुबह एक और बुरी खबर सुनने का इंतजार कर रहा हो। पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए 15 स्पेशल टीमें गठित कीं। हर टीम को अलग-अलग टास्क दिया गया।


हत्याओं के पीछे की वजह, दुश्मनी या मनोरोग? पुलिस इस सवाल से जूझ रही थी कि आखिर इन हत्याओं के पीछे की वजह क्या हो सकती है? क्या आरोपी की चौकीदारों से कोई पुरानी दुश्मनी थी? या फिर वह कोई मानसिक रोगी था, जो हत्या को एक खेल समझ रहा था? तत्कालीन एसपी तरुण नायक ने मीडिया को बताया, ‘अभी हत्याओं की वजह पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हमारी टीमें हर एंगल से जांच कर रही हैं।’
पुलिस को आरोपी की गिरफ्तारी का इंतजार था। चूंकि आरोपी लूटपाट नहीं कर रहा था, इससे यह तो साफ था कि उसका मकसद सिर्फ और सिर्फ हत्या करना था। यह बात इस केस को और भी खौफनाक बना रही थी।

एक धुंधला स्केच और भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसी चुनौती पुलिस के हाथ में सुराग के नाम पर सिर्फ एक धुंधला सीसीटीवी फुटेज था, जिसमें एक संदिग्ध दौड़ता हुआ नजर आ रहा था। न उसका चेहरा साफ था, न ही उसकी कोई पहचान हो पा रही थी। इसी फुटेज और कुछ लोगों से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने संदिग्ध का एक स्केच जारी किया और लोगों से अपील की कि ऐसा कोई भी शख्स दिखे तो तुरंत सूचना दें।
स्केच जारी होने के बाद पुलिस के पास फोन कॉल्स की बाढ़ आ गई। शहर के अलग-अलग इलाकों से संदिग्धों के देखे जाने की खबरें आने लगीं, लेकिन कोई भी पुख्ता सुराग नहीं मिला। पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि अगर यह एक ही व्यक्ति है, तो उसका अगला निशाना कौन और कहां होगा? शहर को तो पुलिस ने छान मारा था, लेकिन ग्रामीण इलाकों की चिंता बढ़ती जा रही थी।
इनाम की घोषणा और एक अनकहा इंतजार पुलिस ने अपनी तरफ से एक एडवाइजरी जारी की, जिसमें रात में ड्यूटी करने वाले सभी चौकीदारों और गार्ड्स को सचेत रहने के लिए कहा गया। उन्हें सलाह दी गई कि वे ड्यूटी के दौरान सोएं नहीं, सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के दिखने पर तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को सूचित करें।
इसके साथ ही, पुलिस ने कातिल पर कुल 30,000 रुपए के इनाम की घोषणा की। यह भी आश्वासन दिया गया कि सूचना देने वाले का नाम पूरी तरह से गुप्त रखा जाएगा, लेकिन इन तमाम कोशिशों के बावजूद असली सवाल अब भी हवा में तैर रहा था – यह कातिल है कौन? और उसका अगला शिकार कौन होगा? पूरा सागर शहर सांसें थामे इंतजार कर रहा था।
क्राइम फाइल्स के पार्ट 2 में पढ़िए इन सवालों के जवाब
- आखिर कैसे टूटा इस सीरियल किलर का खौफ?
- किस एक छोटे से सुराग ने पुलिस को आरोपी तक पहुंचाया?
- हत्याओं के पीछे की असली वजह क्या थी, जिसे सुनकर सब हैरान रह गए?
- क्या आरोपी ने सागर के अलावा और भी हत्याएं की थीं?
- गिरफ्तारी के बाद आरोपी ने पुलिस के सामने क्या-क्या राज उगले?
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मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स में आज बात 21 साल पुराने केस की। जबलपुर की पाटन विधानसभा सीट के चांदवा गांव में शाम के वक्त अचानक गोली चलने की आवाज सुनाई दी। कुछ देर बाद पता चला कि गांव के ही रहने वाले घनश्याम पटेल उर्फ नन्हू ने टीचर रविंद्र पचौरी को गोली मार दी। गांव के लोग रविंद्र को अस्पताल ले गए। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स के पार्ट 1 में आपने पढ़ा कि जबलपुर की पाटन विधानसभा क्षेत्र के चंदवा गांव में 28 अप्रैल 2004 को 30 वर्षीय शिक्षक रविंद्र पचौरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रविंद्र ने अपने घर के बाहर बीजेपी का झंडा लगाया था, जो कांग्रेस का प्रचार कर रहे नन्हू उर्फ घनश्याम पटेल को नागवार गुजरा था। वह राइफल लेकर रविंद्र के घर पहुंचा था। पूरी खबर पढ़ें