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MP News: अमूमन भंडारे में आपने पूड़ी-सब्जी, खीर आदि का स्वाद चखा होगा. लेकिन, एमपी के शहर में बर्गर, पिज्जा, डोसा, इडली जैसे आइटम का भंडारा होता है. इस शहर के कई घरों में शाम को चूल्हा ही नहीं जलता. जानें सब…
मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर को भंडारे की नगरी भी कहा जाता है. यहां नवरात्रि के पर्व पर दशहरा ही नहीं भंडारों का खूब आयोजन होता है. यही वजह है कि शरद पूर्णिमा तक श्रद्धालु शाम से लेकर देर रात तक चम्मच लेकर निकलते हैं.

वहीं, कई घरों में शाम के वक्त चूल्हा नहीं जलता है. शहर भर में हजारों जगह भंडारे होते हैं. शाम से शुरू होकर सुबह 4 बजे तक चलते रहते हैं. भंडारों का यह कारवां शरद पूर्णिमा तक चलता रहता है. सड़कों में चौपाटी सा नजारा नजर दिखता है.

भंडारे के लिए लंबी-लंबी कतारें लगती हैं, इतना ही नहीं भंडारे में खीर-पूड़ी के अलावा श्रद्धालुओं को पिज़्ज़ा, इडली डोसा, चाइनीज, फुल्की, चाट, ड्राइफ्रूट, समोसे, आलूबंडे से लेकर बर्गर का प्रसाद परोसा जाता है.

शहर में माता रानी का प्रसाद ग्रहण करने को लंबी लाइनें लगती हैं. जहां श्रद्धालुओं को 1 घंटे तक इंतजार करना होता है. नवरात्रि में भक्त माता रानी को छप्पन भोग चढ़ाते हैं. शहर की सकरी गलियों से लेकर तिराहों और चौराहों में जमकर भंडारा होता है.

शहर के व्यस्ततम इलाके गंजीपुरा, बलदेवबाग, सराफा बड़ा फुहारा, मिलोनिगंज, तीन पत्ती, नौदरा ब्रिज, रसलचौक, रानीताल, सदर, गोरखपुर सहित अनेक जगहों में भंडारे की कई वैरायटी होती है.

जिसमें छोले, पोहा और चाय के अलावा इडली, डोसा, सांभर बड़ा, आलू बंडे, बेर आइसक्रीम, फुल्की, पिज्जा, रसगुल्ले, मैगी, चाऊमीन, पिज्जा, बर्गर, काजू, किशमिश, बादाम, छुआरा भक्तों को प्रसाद के रूप में परोसा जाता है.

जबलपुर शहर में करीब 1 हजार से ज्यादा प्रतिमाएं और झांकियां रखी जाती हैं, जहां 2 हजार से अधिक जगहों पर भंडारे होते हैं, जो नवरात्रि के पहले दिन से शुरू होकर शरद पूर्णिमा तक चलते हैं. इतना ही नहीं, भंडारा होने के चलते सड़कों में लंबा जाम भी देखने को मिलता है.

जहां भक्त माता रानी के दरबार में पहुंचते हैं और दर्शन करते हैं. शाम होने के बाद सुबह कब हो जाती है, भक्तों को पता ही नहीं चल पाता. रात में सड़कों का नजारा दिन में मार्केट की तरह दिखाई देता है. चारों तरफ भक्तों का हुजूम होता है. इसलिए संस्कारधानी जबलपुर को लोग नवरात्रि के दौरान भंडारापुरम भी कहते हैं.