बैरसिया को सफाई का मंत्र देगा भोपाल निगम…: 100 दिन के मिशन में 8 बिंदुओं पर होगा फोकस – Bhopal News

बैरसिया को सफाई का मंत्र देगा भोपाल निगम…:  100 दिन के मिशन में 8 बिंदुओं पर होगा फोकस – Bhopal News



देशभर में स्वच्छ शहरों की रैंकिंग में दूसरा स्थान हासिल करने वाला भोपाल अब अपने अनुभव से पड़ोसी बैरसिया को भी चमकाएगा। केंद्र सरकार ने इसके लिए ‘स्वच्छ शहर जोड़ी’ का नया प्रयोग शुरू किया है, जिसके तहत बड़े और सफल शहर, छोटे शहरों को स्वच्छता के गुर सि

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भोपाल नगर निगम का लक्ष्य है-100 दिनों के भीतर बैरसिया नगर को नई चमक देना। इस दौरान राजधानी का निगम प्रशासन, बैरसिया को कचरा पृथक्करण और परिवहन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, उपयोग किए गए पानी का निपटान, स्वच्छता तक पहुंच और सफाई कर्मियों के कल्याण जैसे 8 अहम बिंदुओं पर सहयोग करेगा। इसके बाद केंद्र सरकार पूरे प्रयोग का एनालिसिस करेगी और उसी आधार पर आगे स्वच्छता रैंकिंग तय करेगी।

जिलेवार जोड़ी

  • भोपाल-बैरसिया
  • शाहगंज-बाड़ी
  • बुदनी-रेहटी
  • उज्जैन-उन्हेल
  • देवास-सोनकच्छ
  • इंदौर-देपालपुर

भोपाल मॉडल से बदलेगा बैरसिया

नगर निगम के अफसर बताते हैं कि राजधानी के 85 वार्डों में जो मॉडल कामयाब रहा है, वही सिस्टम बैरसिया नगर में लागू होगा। यहां घर-घर से कचरा उठाकर ट्रांसफर स्टेशन तक पहुंचाया जाता है और फिर उसे आदमपुर छावनी स्थित कचरा खंती में भेजकर वैज्ञानिक तरीके से प्रोसेस किया जाता है। अब उसी तरह से नगर पालिका बैरसिया के कचरे की प्रोसेसिंग नगर निगम के आदमपुर छावनी स्थित प्लांट में की जाएगी। ताकि कचरे का निष्पादन तेजी से हो सके। इसके लिए जो भी जरूरी संसाधन लगेंगे। उसके लिए सहयोग किया जाएगा।

निगम पहले करेगा एनालिसिस… सबसे पहले भोपाल नगर निगम वहां गैप एनालिसिस करेगा- यानी बैरसिया में कितना कचरा निकलता है, उसमें से कितना डोर-टू-डोर कलेक्ट होता है, कितना अलग-अलग किया जाता है और कितना वैज्ञानिक तरीके से निपटता है। उसी आधार पर संसाधन और व्यवस्था बढ़ाई जाएगी।

स्वच्छ शहर जोड़ी का 8 फोकस प्वाइंट

  • दृश्य स्वच्छता – संवेदनशील और भीड़भाड़ वाले पब्लिक स्पेस, मंडी और बाजारों से कचरा हटाना।
  • कचरे का पृथक्करण व परिवहन- 100% डोर-टू-डोर कलेक्शन और स्रोत पर ही अलगाव।
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन- कम्पोस्टिंग यूनिट, पुराने कचरे का उपचार और वैज्ञानिक लैंडफिल।
  • स्वच्छता तक पहुंच- कार्यशील सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय उपलब्ध कराना।
  • पानी का प्रबंधन – ग्रे वाटर और मलजल का सुरक्षित निपटान।
  • सफाई कर्मियों का कल्याण- डिस्लजिंग सेवाओं का मशीनीकरण और स्वास्थ्य सुरक्षा।
  • जन-जागरूकता- व्यवहार परिवर्तन अभियान और सामुदायिक भागीदारी।
  • शिकायत निवारण- हेल्पलाइन, ऐप, डैश बोर्ड से नागरिक सहभागिता।



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