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शुभमन गिल ने इस बदलाव की आवाज़ उठाई है, पहले प्रेस कॉन्फेंस में स्पोर्टिंग पिच की बात कहकर और पिर वेस्टइंडीज़ के खिलाफ पहले टेस्ट में तीन तेज़ गेंदबाज़ों को खेलने की हिम्मत दिखाकर. यह न केवल उनकी सोच की गहराई को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि क्रिकेट अब सिर्फ स्पिनरों की मोहताज नहीं रह गई है. गिल की इस मांग ने अहमदाबाद के मैदान को एक नया आयाम दिया है, जहाँ भारतीय पिचों तेज़ गेंदबाज़ी की ताक़त भी सामने आए.
नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी स्टेडियम मो जो कुछ देखने को मिला वो दुनिया को दिखाएगा भारत का क्रिकेट है बढ़ता हुआ दायरा और सोच. भारत की क्रिकेट पिचों को लेकर हमेशा से ही अलग-अलग विचार रहे हैं पहले के कप्तान स्पिनरों की मददगार पिच की मांग करते थे, ताकि मैच में स्पिन गेंदबाज़ी का सामंजस्य और टीम का वर्चस्व बना रहे. लेकिन अब एक नया दौर शुरू हो चुका है, जहाँ बल्लेबाज़ों और तेज़ गेंदबाज़ों दोनों के लिए खेल का मैदान समान रूप से चुनौतीपूर्ण और रोमांचक हो.
सौरव धोनी विराट से अलग है गिल
एक समय था जब भारत अपने स्पिनर्स के दमपर घरेलू सीरीज में किसी को टिकने नहीं देता था फिर वो चाहे सौरव गांगुली का कार्यकाल हो, महेंद्र सिंह धोनी हो या विराट कोहली . इन सभी कप्तानों को भारत में टर्निग ट्रैक चाहिए होता था जहां टॉस जीतो पहले बल्लेबाजी करों और फिर फिरकी के दमपर मैच जीतो. कई ऐसे टेस्ट मैच भी हुए जहां गेंद पहले दिन से घूमा करती थी. पर शुभमन गिल की सोच इन सभी कप्तानों से अलग है. गिल ने अहमदाबाद में क्यूरेटर से कहा कि वो स्पोर्टिंग पिच चाहते है जहां सबको बराबर मौके मिले. अहमदाब में टेस्ट के पहले दिन गेंद सीम भी कर रही थी, उछाल भी थी, और गेंद ने स्पिन भी किया. तभी सिराज बुमराह ने कैरेबियाई बल्लेबाजी को तहस नहस कर दिया.
शुभमन की सोच में सफलता छुपी है
भारतीय टीम के लिए भी यह बदलाव बेहद जरूरी है. पिछले कुछ वर्षों में भारतीय क्रिकेट ने तेज गेंदबाज़ों को तरजीह देना शुरू किया है, और उनकी भूमिका काफी बढ़ी है. शुभमन गिल की मांग से यह संदेश जाता है कि अब घरेलू स्तर पर भी ऐसी पिचें बननी चाहिए, जो तेज गेंदबाज़ों के विकास में मदद करें. इससे भारतीय टीम को भविष्य के लिए मजबूत गेंदबाज़ी विकल्प मिलेंगे, जो टेस्ट क्रिकेट में खास भूमिका निभाएंगे. तेज गेंदबाज़ों की मौजूदगी से गेंदबाज़ी में विविधता आती है, जिससे बल्लेबाज़ों को मुकाबला करना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है. इससे मैच का रोमांच बढ़ता है और दर्शकों का उत्साह भी।स्पोर्टिंग पिच का मतलब होता है ऐसी ज़मीन जहाँ तेज गेंदबाज़ों को स्विंग, गति और उछाल मिल सके, वहीं स्पिन गेंदबाज़ भी अपनी कला दिखा सकें. ऐसी पिचों पर बल्लेबाज़ों को दोनों तरह की गेंदबाज़ी के लिए खुद को तैयार रखना पड़ता है, जिससे उनकी तकनीक और काबिलियत का सही पता चलता है यह बल्लेबाज़ों के लिए भी एक बड़ी चुनौती होती है, जो उनके खेल को और बेहतर बनाती है.