शनिवार देर रात सीधी शहर के एक ब्यूटी पार्लर में एक दुर्लभ रेड सैंड बोआ सर्प मिलने से हड़कंप मच गया। फर्श के कोने में एक मोटा, भूरा और चमकदार सर्प दिखाई देने पर तुरंत वन विभाग और सर्प रेस्क्यू टीम को सूचना दी गई। रात करीब 1 बजे पहुंची टीम ने सावधानीपू
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रेस्क्यू किए गए इस सर्प का वजन 7 किलोग्राम से अधिक और लंबाई लगभग 3 से 4 फीट है। इसका शरीर तांबई-लाल या भूरे रंग का होता है, जो धूप में तांबे जैसा चमकता है। वन विभाग ने इसे सुरक्षित रूप से रेस्क्यू करने के बाद रविवार दोपहर 12 बजे मुकुंदपुर चिड़ियाघर में संरक्षित कर दिया है।
रेड सैंड बोआ को आमतौर पर “दो मुँहा सांप” भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी पूंछ का आकार इसके सिर जैसा होता है। यह एक विषहीन और शांत स्वभाव का जीव है, जो खेतों में चूहों की आबादी को नियंत्रित कर पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, अंधविश्वास और अवैध तस्करी के कारण यह प्रजाति विलुप्ति के कगार पर है।
वनपाल पंकज मिश्रा और उनकी रेस्क्यू टीम के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय अवैध बाजार में इस सर्प की कीमत 3 करोड़ से 25 करोड़ रुपये तक आंकी जाती है। कुछ देशों में इसे “लकी स्नेक” या “गुड लक चार्म” के रूप में देखा जाता है। यह अंधविश्वास कि इससे धन-संपत्ति या सौभाग्य प्राप्त होता है, इसके अवैध व्यापार को बढ़ावा देता है।
जानें रेड सेंड बोआ के बारे में
- यह सांप भारत के अलावा ईरान और पाकिस्तान में पाया जाता है।
- यह सांप रेतीली मिट्टी में पाया जाता है। इसका मुंह और पूंछ एक-सी दिखाई देती है, इसलिए इसे दो मुंहा सांप भी कहते हैं।
- यह सांप अंधविश्वास के चलते मारा जा रहा है। तांत्रिक लोग इसे तंत्र-तंत्र के लिए मारते हैं।
- चीन में भ्रम है कि इसका मांस खाने से सेक्स पावर बढ़ता है, जबकि इन सब बातों से इसका कोई लेना-देना नहीं है।
इसलिए इसे पकड़ना है क्राइम
भारत में रेड सैंड बोआ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची- IV में शामिल है, यानी इसका पकड़ना, बेचना या मारना कानूनी अपराध है। सीधी जिले में पिछले छह महीनों में यह तीसरा मामला है जब यह सर्प मिला है। वन विभाग अब यह जांच कर रहा है कि यह किसी स्थानीय प्रजनन का परिणाम है या किसी तस्करी नेटवर्क से जुड़ा मामला।