सिरोंज जनपद के पूर्व सीईओ शोभित त्रिपाठी।
कोरोना काल के दौरान विवाह के नाम पर तीस करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान कराने वाले पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी शोभित त्रिपाठी के चार जिलों में अलग-अलग ठिकानों पर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) भोपाल की टीम ने सर्चिंग की है। इस कार्रवाई के दौरान त्रिपाठी की सं
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इसके अलावा, शोभित त्रिपाठी और अन्य के 21.7 लाख रुपए के बैंक खाते और म्यूचुअल फंड फ्रीज कर दिए गए हैं। पूर्व सीईओ बुंदेलखंड क्षेत्र के एक पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव का साढ़ू है।
प्रर्वतन निदेशालय।
ईडी भोपाल ने विवाह सहायता घोटाले के मामले में यह कार्यवाही 3 अक्टूबर को की है। विदिशा जिले के जनपद पंचायत सिरोंज के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) शोभित त्रिपाठी और अन्य के खिलाफ ईडी ने यह सर्चिंग पीएमएलए 2002 के अंतर्गत भोपाल, विदिशा, कटनी और छतरपुर जिलों में 7 स्थानों पर की है और नकदी तथा दस्तावेज जब्त किए हैं।
विदिशा जिले के सिरोंज जनपद पंचायत के सीईओ रहे शोभित त्रिपाठी के विरुद्ध यह सर्चिंग राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) की एफआईआर के आधार पर की गई है। त्रिपाठी पर आरोप है कि उसके द्वारा विदिशा जिले की सिरोंज जनपद पंचायत में कोरोना काल में जब विवाह नहीं हो पा रहे थे तब कन्यादान योजना के अंतर्गत 5 हजार 923 विवाह के मामले स्वीकृत कर 30 करोड़ 18 लाख 39 हजार रुपए का पेमेंट कर दिया गया था।
यह मामला विधानसभा में सिरोंज से भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा ने उठाया था। इसके बाद इसकी जांच के आदेश दिए गए थे और सरकार को किरकिरी भी झेलनी पड़ी थी।
अप्रैल 2020 से जून 2021 के बीच कराए फर्जी विवाह

ईओडब्ल्यू कार्यालय भोपाल।
- ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया था कि कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन था।
- सार्वजनिक विवाह कार्यक्रम प्रतिबंधित थे। सिरोंज जनपद पंचायत के सीईओ ने तब एक अप्रैल 2020 से 30 जून 2021 के बीच 3500 हितग्राहियों को विवाह सहायता के नाम पर राशि वितरित कर दी।
- इनमें ऐसे कई लोग शामिल हैं, जिनकी शादी पहले ही हो चुकी थी। उनके नाम पर भी सरकारी सहायता राशि निकाली गई। मामला सामने आने के बाद शोभित त्रिपाठी को निलंबित कर दिया गया था।
- सभी हितग्राहियों को 51-51 हजार रुपए वितरित किए गए।
27 साल के युवक की तीन बेटियों से करा दी शादी
जांच में सामने आया था कि 27 साल के युवक की तीन बेटियों की शादी करा दी गई। तीनों के नाम पर 51-51 हजार रुपए स्वीकृत कर पैसा निकाल लिया गया। कई ऐसे लोग भी सामने आए जिन्होंने सहायता के लिए आवेदन भी नहीं दिया था। जांच एजेंसी को कई हितग्राहियों के दस्तावेज भी नहीं मिले।