ऊन और मांस की मांग ने बढ़ाई भेड़ पालन की रफ्तार, युवाओं के लिए नया विकल्प

ऊन और मांस की मांग ने बढ़ाई भेड़ पालन की रफ्तार, युवाओं के लिए नया विकल्प


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Satna News: सतना की जलवायु को देखते हुए ऊन उत्पादन के लिए दक्कनी और चोकला नस्लें सबसे उपयुक्त हैं जबकि मांस के लिहाज से सफोक, मांड्या और मुजफ्फरनगरी नस्ल ज्यादा लाभकारी साबित हो सकती है.

सतना. ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अब भेड़ पालन तेजी से बदलाव ला रहा है. जहां पहले पारंपरिक खेती और पशुपालन तक ही सीमित रोजगार विकल्प थे, वहीं अब युवा किसान भेड़ पालन को स्थायी आमदनी का साधन बना रहे हैं. ठंड के मौसम की दस्तक के साथ ऊन और मांस की बढ़ती मांग ने इस व्यवसाय को और भी लाभकारी बना दिया है. लोकल 18 से बातचीत में मध्य प्रदेश के सतना के पशु चिकित्सक बृहस्पति भारती ने बताया कि भेड़ का दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है और यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है. इसमें कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, जिंक, विटामिन ए और विटामिन ई जैसे कई खनिज पाए जाते हैं.

उन्होंने बताया कि यह पाचन में सुधार करता है, हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत करता है और त्वचा को भी फायदा पहुंचाता है. जैसे बकरी का दूध डेंगू के इलाज में कारगर माना जाता है, वैसे ही भेड़ का दूध कई बीमारियों में उपयोगी हो सकता है.

सतना में कम, गांवों में बढ़ रहा रुझान
सतना शहर में भेड़ पालन अभी भी सीमित है लेकिन आसपास के ग्रामीण इलाकों जैसे उचेहरा, मझगवां, भाटिया और चिबौरा आदि ग्रामों में लोग तेजी से इसे अपनाकर अपनी रोजगार यात्रा को मजबूत बना रहे हैं और यहां कई किसान अपने परिवार की आजीविका इसी व्यवसाय से चला रहे हैं.

सही नस्ल का चुनाव है जरूरी
विशेषज्ञों के अनुसार, सतना की जलवायु को देखते हुए ऊन उत्पादन के लिए चोकला और दक्कनी नस्लें सबसे उपयुक्त हैं जबकि मांस के लिए मांड्या, सफोक और मुजफ्फरनगरी नस्लें ज्यादा लाभकारी साबित हो सकती हैं. वहीं कुछ किसान न्यूजीलैंड की रम बुलेट नस्ल भी पाल रहे हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि सही नस्ल का चुनाव करते समय यह देखना जरूरी है कि आपकी आय का मुख्य स्रोत ऊन होगा या मांस.

ग्रामीण युवाओं के लिए नई उम्मीद
कम लागत और बेहतर मुनाफे की वजह से यह व्यवसाय गांवों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यदि आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण के साथ इसे बढ़ावा दिया जाए, तो भेड़ पालन न केवल रोजगार बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाई पर ले जा सकता है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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