एमपी की इंटरनेशनल बदनामी कराने वाली दवा कंपनी फिर शुरू: अफसरों ने नहीं की कार्रवाई, इंदौर की रीमैन लैब का सिरप हुआ था बैन – Madhya Pradesh News

एमपी की इंटरनेशनल बदनामी कराने वाली दवा कंपनी फिर शुरू:  अफसरों ने नहीं की कार्रवाई, इंदौर की रीमैन लैब का सिरप हुआ था बैन – Madhya Pradesh News


मप्र का औषधी प्रशासन विभाग का अमला कितना सुस्त, लापरवाह और नाकारा है, ये छिंदवाड़ा में कफ सिरप से हुई 23 बच्चों की मौत के मामले से साफ हो गया है। वैसे औषधी प्रशासन विभाग की लापरवाही का ये कोई पहला मामला नहीं है। दो साल पहले कफ सिरप ‘नेचर कोल्ड’ की वज

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ये कफ सिरप इंदौर की सांवेर रोड स्थित रीमैन लैब्स में बनाया गया था और इसकी वजह से मध्य अफ्रीका के कैमरून शहर में 12 बच्चों की मौत हो गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत सरकार से इस पर कार्रवाई के लिए कहा था। द सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की टीम ने इंदौर की रीमैन लैब्स को सील कर ड्रग लाइसेंस निलंबित कर दिया था।

स्टेट व सेंट्रल लैब कोलकाता से सैंपल फेल होने के बावजूद मप्र के खाद्य और औषधी प्रशासन विभाग ने लैब पर कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि उसी लाइसेंस पर इंदौर में दूसरी जगह फैक्ट्री खुल गई। अफसरों ने दो साल तक इस मामले को दबाया, लेकिन छिंदवाड़ा में 23 बच्चों की मौत के बाद आनन फानन में 8 अक्टूबर को रीमैन लैब्स के खिलाफ कोर्ट में केस दायर कराया गया है। पढ़िए रिपोर्ट

WHO के अलर्ट के बाद फैक्ट्री सील डब्ल्यूएचओ की सूचना के बाद भारत सरकार के सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की टीम इंदौर के सांवेर रोड पर चल रही रीमैन लैब्स पर पहुंची। टीम ने यहां से कफ सिरप के सैंपल लिए गए। उन्हें भोपाल की राज्य स्तरीय लैब में जांच के लिए भेजा। यहां दवा के सैंपल फेल हो गए। रीमैन लैब्स की तरफ से इस जांच को चुनौती दी गई।

सैंपल फिर से जांच के लिए कोलकाता की सेंट्रल ड्रग लैब भेज दिए गए। यहां भी जांच में दवा में घातक रसायन डायएथिलिन ग्लायकॉल (DEG) की मात्रा 26 प्रतिशत से ज्यादा मिली। जबकि डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार DEG की मात्रा 0.10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसके बाद सीडीएससीओ की टीम ने रीमैन लैब के सांवेर रोड 69, सेक्टर ई इंडस्ट्रियल एरिया को सील करने के साथ लाइसेंस नंबर 28/8/91 को निलंबित कर दिया।

भोपाल और कोलकाता की लैब में सिरप के सैंपल की जांच की गई और वो अमानक स्तर के पाए गए।

भोपाल और कोलकाता की लैब में सिरप के सैंपल की जांच की गई और वो अमानक स्तर के पाए गए।

स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने दिया था लिखित जवाब साल 2023 में तत्कालीन स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा था कि कैमरून के मामले में, सीडीएससीओ, उप-क्षेत्र इंदौर द्वारा एसएलए, मध्य प्रदेश के साथ मिलकर मेसर्स रीमैन लैब्स इंदौर का संयुक्त निरीक्षण किया गया और निष्कर्षों के आधार पर राज्य औषधि नियंत्रक मध्य प्रदेश ने कंपनी को निर्माण गतिविधियां बंद करने का निर्देश दिया है।

तब WHO ने कहा था कि नेचर कोल्ड के निर्माताओं ने पैरासिटामोल, फिनाइलेफ्राइन हाइड्रोक्लोराडइ और क्लोरफेनीरामाइन मैलिएट को सक्रिय अवयवों के रूप में सूचीबद्ध किया और इन तीनों के संयोजन का उपयोग फ्लू, सामान्य सर्दी और एलर्जिक राइनाइटिस से जुड़े लक्षणों से राहत पाने के लिए किया जाता है।

तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में कैमरून मामले की जानकारी दी थी।

तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में कैमरून मामले की जानकारी दी थी।

फैक्ट्री संचालक ने उसी लाइसेंस पर दूसरी फैक्ट्री खोल ली इस पूरे मामले में औषधी प्रशासन विभाग के अफसरों की भूमिका सवालों के घेरे में है। नियम के मुताबिक इस मामले में दवा बनाने वाली लैब के संचालक के खिलाफ एफआईआर और कोर्ट में केस दायर होना चाहिए था मगर, इंदौर के खाद्य एवं औषधी प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने फाइल दबा दी।

इतना ही नहीं सांवेर रोड की फैक्ट्री सील होने के बाद फैक्ट्री संचालक ने साल भर के भीतर इसी रीमैन लैब्स नाम से ही 175/2/3, मुंडला दोस्दार, कंपेल रोड पर दूसरी फैक्ट्री शुरू कर दी। इसका लाइसेंस नंबर वही 28/8/91 था, जो पहले निलंबित कर दिया गया था।

इसे लेकर भास्कर ने फैक्ट्री के डायरेक्टर राजेश भाटिया से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि हमने फैक्ट्री को अपग्रेड किया है। लाइसेंस नंबर वही है, लेकिन फैक्ट्री दूसरी जगह शिफ्ट की गई है। नेचर कोल्ड सिरप का प्रोडक्शन बंद कर दिया है।

इंदौर के कंपेल में रीमैन फैक्ट्री की नई बिल्डिंग। जिस पर कंपनी का बोर्ड तक नहीं लगा है।

इंदौर के कंपेल में रीमैन फैक्ट्री की नई बिल्डिंग। जिस पर कंपनी का बोर्ड तक नहीं लगा है।

अफसरों की गड़बड़ी की शिकायत भोपाल पहुंची जब ये सवाल भी उठा कि लैब को इतनी जल्दी दूसरी जगह पर फैक्ट्री का लाइसेंस कैसे मिल गया? तो ड्रग लाइसेंसी अथॉरिटी के मनमोहन मोलासरिया ने कहा कि फैक्ट्री को लाइसेंस नई शर्तों पर दिया गया है। ​​​​​​वहीं फैक्ट्री के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने से भी अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे।

फैक्ट्री के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने की शिकायत इसी साल जून के महीने में भोपाल पहुंची। इसके बाद 30 जुलाई 2025 को प्रदेश के तत्कालीन ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य ने इंदौर के वरिष्ठ औषधि नियंत्रक राजेश जीनवाल को लिखित निर्देश दिया कि दवा बनाने वाली कंपनी रीमैन लैब्स के खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज कराए।

तत्कालीन ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य ने 30 जुलाई को इंदौर के ड्रग इंस्पेक्टर को कार्रवाई करने को कहा था।

तत्कालीन ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य ने 30 जुलाई को इंदौर के ड्रग इंस्पेक्टर को कार्रवाई करने को कहा था।

ड्रग इंस्पेक्टर की भूमिका संदेह के दायरे में ड्रग कंट्रोलर के इस पत्र के बाद भी इंदौर के ड्रग इंस्पेक्टर राजेश जीनवाल ने कंपनी के खिलाफ कोई मुकदमा दायर नहीं किया। उनकी भूमिका भी संदेह के दायरे में है। औषधी विभाग के एक अफसर ने नाम न बताने की शर्त पर इस पूरी जांच की पोल खोल दी। अफसर के मुताबिक रीमैन लैब ने मुंबई की स्नेहा मेडिकेयर से कच्चा माल लिया था।

मामले की जांच करने वाले राजेश जीनवाल ये बताते रहे कि वो साल भर से स्नेहा मेडिकेयर को चिट्ठी लिख रहे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा। अधूरी जांच के बगैर कोर्ट में मामला कैसे दायर करें? जबकि हकीकत ये है कि उन्होंने दो साल तक तो स्नेहा मेडिकेयर को चिट्ठी ही नहीं लिखी थी।

इसी साल जून के महीने में उनकी तरफ से स्नेहा मेडिकेयर से पत्राचार किया गया। इसके बाद वो बताते रहे कि स्नेहा मेडिकेयर ने भी किसी और कंपनी से कच्चा माल खरीदा था और वो उसे भी चिट्ठी लिखने वाले थे। इसके आगे क्या हुआ इस बारे में मुझे नहीं पता।

इंदौर के ड्रग कंट्रोलर राजेश जीनवाल। बताया जा रहा है कि वो छुट्टी पर चले गए हैं। भास्कर ने उनसे संपर्क किया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।

इंदौर के ड्रग कंट्रोलर राजेश जीनवाल। बताया जा रहा है कि वो छुट्टी पर चले गए हैं। भास्कर ने उनसे संपर्क किया लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।

छिंदवाड़ा केस के बाद आनन फानन में केस दर्ज छिंदवाड़ा में डायएथिलिन ग्लायकॉल युक्त कोल्ड्रिफ सिरप को पीने के बाद 23 बच्चों की मौत और जिम्मेदारों पर कार्रवाई होने के बाद इस मामले में एक बार फिर हलचल हुई। राजेश जीनवाल के तीन-चार दिन पहले ही छुट्टी पर जाने की सूचना मिली। उनकी जगह ड्रग इंस्पेक्टर अनामिका सिंह ने चार्ज लिया है। जिन्होंने 8 अक्टूबर को आनन फानन में रीमैन लैब के खिलाफ कोर्ट में केस दायर किया है।

भास्कर ने ड्रग इंस्पेक्टर अनामिका सिंह से इस मामले को लेकर सीधी बातचीत की।

रिपोर्टर: रीमैन लैब मामले में कोर्ट में केस दायर करने के निर्देश 30 जुलाई को दिए गए थे।

ड्रग इंस्पेक्टर: आज कोर्ट में केस दायर कर दिया है।

रिपोर्टर: इतनी देरी की वजह क्या रही?

ड्रग इंस्पेक्टर: मैं न्यूली ट्रांसफर होकर इंदौर आई हूं। मुझे रीमैन लैब मामले का परसों ही चार्ज मिला, क्योंकि यह एडल्ट्रेशन का केस था, तो एक दिन में जवाब दिया और दूसरे दिन प्रकरण दायर किया।

रिपोर्टर: ड्रग इंस्पेक्टर राजेश जिनवाल को कोर्ट केस के लिए निर्देशित किया गया था, क्या उन्होंने लापरवाही बरती।

ड्रग इंस्पेक्टर: ये तो वो ही बता पाएंगे। प्रॉसीक्यूशन की परमिशन और इंवेस्टिेगेशन के बारे में। शायद अगस्त में अभिमत के लिए डीपीओ साहब को भेज दिया था। कुछ क्वेरी आई थी। परसों मुझे चार्ज मिला तो कल मैंने डीपीओ साहब के लेटर का जवाब सब्मिट किया और आज केस लगाया है।

रिपोर्टर: ड्रग इंस्पेक्टर राजेश जीनवाल परसों ही छुट्टी पर गए क्या?

ड्रग इंस्पेक्टर: नहीं, छुट्टी का तो मुझे पता नहीं लेकिन केस देने तो आए थे। फिलहाल सबकी छुट्टियां कैंसिल है तो शायद छुट्‌टी पर नहीं होंगे।

रिपोर्टर: नेमावर रोड पर रीमैन लैब की जो फैक्ट्री चल रही है। उस पर भी कार्रवाई होगी क्या? या चलती रहेगी।

ड्रग इंस्पेक्टर: रीमैन की तो मुझे जानकारी नहीं है क्योंकि अभी तो मुझे सिर्फ केस फाइल मिली है। फैक्ट्री चलने के बारे में मुझे जानकारी नहीं है।



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