​बड़ा तालाब-10 साल में 3 सर्वे…सिर्फ फाइलों में ही सिमटे: NGT की फटकार के बाद भोपाल में फिर होगा; जिम्मेदारों से पहले भास्कर ने ढूंढे अतिक्रमण – Bhopal News

​बड़ा तालाब-10 साल में 3 सर्वे…सिर्फ फाइलों में ही सिमटे:  NGT की फटकार के बाद भोपाल में फिर होगा; जिम्मेदारों से पहले भास्कर ने ढूंढे अतिक्रमण – Bhopal News


सूरजनगर इलाके में बड़ा तालाब से सटकर मुनार और मिट्‌टी से भरी जा रही सड़क। तीसरी तस्वीर में तालाब के बीच से गुजरी सड़क।

भोपाल की लाइफ लाइन बड़ा तालाब अतिक्रमण की जकड़ में है। सरकार की रिपोर्ट में ये सामने आ चुके हैं, पर कार्रवाई जमीन पर न होकर फाइलों में ही सिमट गई। 10 साल में भदभदा की साढ़े 3 सौ से ज्यादा झुग्गियां जरूर हटी है। बाकी अतिक्रमण अब भी तालाब की जद को पार कर

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बड़ा तालाब का बीते दस साल में 3 बार सर्वे हो चुका है। इनमें बड़ी संख्या में अतिक्रमण सामने आए, लेकिन सर्वे रिपोर्ट का आज तक अता-पता नहीं है। इस वजह से बैरागढ़, खानूगांव, सूरजनगर, गौरागांव, बिसनखेड़ी समेत कई जगहों पर अतिक्रमण हुए। कई मैरिज गार्डन, फार्म हाउस, स्कूल-कॉलेज, घरों की सीमाएं भी तालाब में ही आ रही है।

बड़ा तालाब को रामसर साइट भी घोषित किया गया है। हद तय करने के लिए मुनारें भी लगी हैं।

बड़ा तालाब के 5 बड़े इलाकों में पहुंची भास्कर टीम दैनिक भास्कर ने बड़ा तालाब के पिछले तीन सर्वे, एनजीटी में याचिका और अब तक हुई कार्रवाई के बारे में पड़ताल की। तालाब के फुल टैंक लेवल (एफटीएल) पर भी पहुंचा। एक्सपर्ट राशिद नूर की माने तो शहरी सीमा में 50 मीटर और ग्रामीण सीमा में 250 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं होना चाहिए, लेकिन जब भास्कर टीम यहां पहुंची तो एफटीएल मुनार से सटकर ही पक्के निर्माण बने हुए नजर आए। ऐसे 1 या 2 नहीं, बल्कि सैकड़ों निर्माण है।

भदभदा, बिसनखेड़ी, गौरागांव, बील गांव और सूरजनगर में बड़ी बिल्डिंग, फार्म हाउस, रिसोर्ट भी देखने को मिलें। हैरत की बात ये है कि बड़ा तालाब रामसर साइट भी है। बावजूद सालों से सिर्फ फाइलों में ही कब्जे हटे हैं।

सूरजनगर में तो जिस जगह पर रामसर साइट है और नगर निगम की मुनार लगी है। ठीक उससे जुड़ी बिल्डिंग की बाउंड्रीवॉल थी। यही पर नगर निगम की सीवेज लाइन भी बिछाई जा रही है। मुनार के पास सड़क भी भरी जा रही है, जो नियम के विरुद्ध है। दूसरी ओर, गौरागांव से बील गांव की तरफ सड़क भी तालाब के बीच से ही गुजरी है।

5 तस्वीरों में देखिए रामसर साइट के हाल…

सूरजनगर में तालाब से सटकर ही मिट्‌टी से सड़क भरी जा रही है, जबकि नियम इसकी इजाजत नहीं देता।

सूरजनगर में तालाब से सटकर ही मिट्‌टी से सड़क भरी जा रही है, जबकि नियम इसकी इजाजत नहीं देता।

गौरागांव से बील खेड़ी के बीच एफटीएल के हिस्से में बनी बाउंड्रीवॉल।

गौरागांव से बील खेड़ी के बीच एफटीएल के हिस्से में बनी बाउंड्रीवॉल।

बड़ा तालाब के बीच सड़क भी बनी है।

बड़ा तालाब के बीच सड़क भी बनी है।

बड़ा तालाब के पास ही बने मकान।

बड़ा तालाब के पास ही बने मकान।

रामसर साइट होने के बावजूद बड़ा तालाब में कचरा फेंका जा रहा है।

रामसर साइट होने के बावजूद बड़ा तालाब में कचरा फेंका जा रहा है।

मुनारों में भी फर्जीवाड़ा…दो तरह की मुनारें मिली बड़ा तालाब के किनारों पर भू-माफिया भी सक्रिय है, जो कम दाम पर प्लाट देने का वादा कर रहे हैं। उन्होंने और लोगों ने इस दायरे को लेकर ही भ्रम की स्थिति भी खड़ी की है। जिन मुनारों से एफटीएल की सीमा तय होती है, उन्हीं में फर्जीवाड़ा भी किया गया है। मौके पर एफटीएल बताने वाली 5 तरह की मुनारें लगी हुई मिली। इनमें से एक में बीएमसी यानी, भोपाल म्युनसिपल कॉरपोर्रेशन लिखा है। बाकी पर सफेद रंग है। लिखा कुछ नहीं है। इन्हीं फर्जी मुनारों के आसपास अतिक्रमण और अवैध निर्माण है।

अतिक्रमण और अवैध निर्माण का मुद्दा अभी क्यों उठा? बड़ा तालाब के अतिक्रमण पर हाल ही में एनजीटी फिर सख्त हुआ। इसके बाद बुधवार से सर्वे शुरू किया गया। याचिका पर्यावरणविद् राशिद नूर ने लगाई थी। इस पर एनजीटी ने स्पष्ट किया कि वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 का नियम-4 अब पूरे मध्यप्रदेश के सभी जलाशयों पर लागू होगा।

बड़ा तालाब का सिर्फ कागजों का मामला नहीं, बल्कि भोपाल के पर्यावरण संतुलन से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। तालाब में अब 41 नालों से सीवेज गिर रहा है और 227 अतिक्रमण अब तक हटाए नहीं गए। मामले में बैरागढ़ तहसीलदार हर्षविक्रम सिंह ने बताया कि बुधवार से सीमांकन शुरू कराया है। टीम को जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया है।

सिलसिलेवार जानिए, अब तक क्या हुआ…

पहला सर्वे: साल 2016 में डीजीपीएस सर्वे, पर रिपोर्ट सामने नहीं आई साल 2016 में नगर निगम ने डीजीपीएस (डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) सर्वे कराया था। यह जमीन का सटीक माप करने की तकनीक है, जो जीपीएस की तुलना में ज्यादा जानकारी सामने लाती है। जमीन की सीमा, आकार का सटीक डेटा इकट्ठा करती है।

इस सर्वे में बड़ा तालाब का क्षेत्र 38.72 वर्ग किमी बताया गया था, जबकि पहले यह एरिया 32 वर्ग किमी माना जाता था। इसकी रिपोर्ट में तालाब के एफटीएल के को-ऑर्डिनेट्स दर्ज हैं। इन को-ऑर्डिनेट्स के आधार पर धरातल पर भी सीमाएं तय की जा सकती हैं। तालाब की सीमा में आ रही निजी जमीन के मालिकाना हक का भी निर्धारण हो सकता है, लेकिन यह रिपोर्ट निगम की फाइलों में दबकर रह गई। रिपोर्ट का आज तक खुलासा नहीं हो सका।

बड़ा तालाब रामसर साइट घोषित है। यहां दुर्लभ पक्षियों का बसेरा भी है।

बड़ा तालाब रामसर साइट घोषित है। यहां दुर्लभ पक्षियों का बसेरा भी है।

दूसरा सर्वे: 141 मुनारें ही गायब हो गईं इसी साल एनजीटी ने बड़े तालाब का सर्वे करने के निर्देश दिए थे। इसमें 943 में से 802 मुनारें ही मिली थीं। इसमें भी 337 मुनारें पानी के भीतर डूबी हुईं थीं, यानी उन्हें एफटीएल से पहले ही लगाया गया था। 141 मुनारें मौके से गायब थीं, लेकिन इसके बाद मुनारें दोबारा लगाने और अतिक्रमण रोकने की कोई ठोस पहल नहीं हुई।

सूरज नगर के पास तालाब में सीवेज बहता दिखाते एक्सपर्ट।

सूरज नगर के पास तालाब में सीवेज बहता दिखाते एक्सपर्ट।

तीसरा सर्वे: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सर्वे हुआ, रिपोर्ट का अता-पता नहीं इस साल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सर्वे किया गया। जिला प्रशासन ने मप्र झील संरक्षण प्राधिकरण के साथ मिलकर सर्वे किया, लेकिन इसकी रिपोर्ट का कोई अता-पता नहीं है। ये रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई है। न ही सरकार के किसी दस्तावेज में यह जिक्र आया है कि इस सर्वे का क्या हुआ? एक मोबाइल ऐप पर इसकी रिपोर्ट दर्ज होने की बात कही जाती है। जब तक यह दस्तावेज में नहीं आएगा तब तक धरातल पर सीमांकन नहीं हो सकता।

सांसद आलोक शर्मा बड़ा तालाब के अतिक्रमण और मास्टर प्लान बनाने की बात कह चुके हैं।

सांसद आलोक शर्मा बड़ा तालाब के अतिक्रमण और मास्टर प्लान बनाने की बात कह चुके हैं।

3 महीने पहले CM दे चुके निर्देश, सांसद ने कहा-मास्टर प्लान बने बड़ा तालाब को लेकर सरकार तो गंभीर है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही सामने आ रही है। करीब तीन महीने पहले सीएम डॉ. मोहन यादव ने तालाब के आसपास के अतिक्रमण का नए सिरे से सर्वे करने के निर्देश नगरीय आवास एवं विकास विभाग की बैठक में दिए थे।

वहीं, हाल ही में भोपाल सांसद आलोक शर्मा ने बड़ा तालाब का मास्टर प्लान बनाने की पैरवी की थी। कहा था कि मास्टर प्लान बनने से तालाब को सुरक्षित किया जा सकेगा। बड़ा तालाब के 50 मीटर के दायरे में 1300 से ज्यादा अतिक्रमण सामने आया था।

भदभदा बस्ती से सैकड़ों घर दो साल पहले ही तोड़े गए थे। अतिक्रमण के नाम पर यही बड़ी कार्रवाई की गई है।

भदभदा बस्ती से सैकड़ों घर दो साल पहले ही तोड़े गए थे। अतिक्रमण के नाम पर यही बड़ी कार्रवाई की गई है।

10 साल में सिर्फ 1 बड़ी कार्रवाई, महीनों तक विस्थापन नहीं करीब दो साल पहले भदभदा झुग्गी बस्ती से कुल 386 घरों को हटाया गया था। एनजीटी ने कार्रवाई के आदेश दिए थे। बड़ा तालाब के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण की 10 साल में यही बड़ी कार्रवाई थी। इसके बाद प्लान बने, लेकिन जमीन पर नहीं आए।



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