Chambal Famous Dacoit: जहां शेर भी हार गए, वहां डकैतों ने जमाया राज! ये थे चंबल के सबसे खतरनाक डकैत

Chambal Famous Dacoit: जहां शेर भी हार गए, वहां डकैतों ने जमाया राज! ये थे चंबल के सबसे खतरनाक डकैत


Last Updated:

Chambal Famous Dacoit: मध्य प्रदेश का चंबल इलाका इतिहास के पन्नों में आज भी बागी और डकैती के नाम से जाना जाता है. यहां एक से बढ़कर एक बागी और डकैत रहे हैं, जिनके नाम से न सिर्फ आम जनता बल्कि पुलिस भी खौफ खाती थी. लोकल 18 के माध्यम से जानिए पूरा इतिहास. 

जब भी चंबल के बीहड़ों की बात होती है, तो सबसे पहले यहां के डकेतों और बाघियों का चेहरा आंखों के सामने आ जाता है. कई डकैतों का खौफ ऐसा था कि लोग उनका नाम सुनते ही कांपने लगते थे. आज भी चंबल की घाटी में उनके नाम की चर्चा होती है.

dakait

सन 1960 से 70 के दशक में चंबल की घाटियों में मोहर सिंह गुर्जर का आतंक जमकर देखने को मिला. सन् 1965 में माधव सिंह के साथ मिलकर मोहर सिंह ने करीब 500 सदस्यों का एक गिरोह तैयार किया. कहा जाता है कि मोहर सिंह ने इतना आतंक मचा दिया था कि पुलिस चंबल की घाटियों में घुसने से भी खौफ खाने लगी थी.

dakait

मोहर सिंह के ऊपर 80 से ज्यादा हत्याएं 350 से ज्यादा लूट, अपहरण और डकैती के मामले दर्ज रहे. पुलिस ने मोहर सिंह पर करीब 12 लख रुपए का इनाम भी घोषित किया था. कहते हैं मोहर सिंह ने चरित्र शंकर के चलते अपनी बेटी और पत्नी की हत्या कर दी थी. सन् 1972 में अपने साथियों के साथ मोहर सिंह ने आत्मसमर्पण कर दिया था.

dakait

रामबाबू गडरिया वह नाम है, जिसके गिरोह में 80 से ज्यादा डाकू रहे. कहा जाता है कि रामबाबू अपने साथियों का इस्तेमाल बदल बदल कर करता था. इसके बदले उन्हें उनका हिस्सा दिया जाता आंकड़े बताते हैं कि 1997 से गडरिया गैंग ने कई लोगों का अपहरण कर करीब 2 करोड रुपए की कमाई की थी. रामबाबू और उसके भाई सहित पूरे घरों पर पुलिस ने 15 लख रुपए का इनाम भी घोषित किया था. साल 2007 में पुलिस से मुठभेड़ के दौरान रामबाबू गडरिया मारा गया.

dakait

डाकू मलखान सिंह जो अपने कड़कती के लिए भी जाना जाता रहा है. 6 फीट लंबे कद और वजनदार मूंछों के साथ खाकी वर्दी में मलखान ने सालों तक चंबल की घाटियों में अपना खौफ कायम रखा. मलखान सिंह के गृह में करीब डेढ़ दर्जन लोग शामिल थे, जिस पर 35 पुलिस वालों सहित 175 हत्याओं का आरोप था.

dakait

मलखान सिंह की छवि एक अलग तरह के डाकू की बनी थी, जिसका यह मानना था कि आज के दौर के लोगों से अच्छे हम चंबल के डाकू रहे हैं. वह बताते हैं कि चंबल के बिहार में कई महिलाएं लड़कियां बिना ने आई थी, लेकिन आज तक किसी भी डाकू ने उनकी ओर नजर उठाकर नहीं देखा. 80 के दशक में मलखान सिंह ने अपने साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया था.

dakait

देश के लिए दौड़ने वाला पान सिंह तोमर कैसे बागी बन गया. यह खुद में एक दिलचस्प वजह रही है. दरअसल, एक जमीनी विवाद में उसकी जमीन हड़प ली गई थी. साथ ही उनकी मां की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद पान सिंह तोमर ने यह फैसला लिया कि अब राजपूत की शान पटरी पर वापस लाना है. इसलिए वह चंबल के बीहड़ों में टूट पड़ा कहते हैं पान सिंह को पकड़ने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए थे.

dakait

सन् 1981 में पान सिंह तोमर का भाई पुलिस मुठभेड़ में मर गया, जिसके बदले में पान सिंह ने गुर्जर समुदाय के 6 लोगों की हत्या कर दी थी. इसके बाद पान सिंह तोमर ने मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को सीधे तौर पर चलेंगे कर दिया था, जिसका नतीजा यह रहा की पान सिंह तोमर को जिंदा या मुर्दा पकड़ने का आदेश जारी हुआ. अक्टूबर 1981 में लगभग 10,000 की फोर्स ने पान सिंह को अकेले घर कर मार दिया था.

dakait

निर्भय सिंह गुर्जर चंबल के आखिरी बड़े डाकुओं में से एक रहा है. निर्भय ने करीब डेढ़ दशक तक चंबल के बीहड़ों पर राज किया. इस दौरान उस पर लूट, हत्या, डकैती और अपहरण के 100 से ज्यादा मामले मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग थानों में दर्ज थे.

dakait

सरकार ने उस पर 5 लाख का इनाम भी घोषित किया था. कहा जाता है कि निर्भय सिंह गुर्जर के फतवे से ही प्रधान और विधायक चुने जाते थे. अक्टूबर 2005 में पुलिस ने रणनीति बनाकर निर्भर सिंह गुर्जर को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया.

न्यूज़18 हिंदी को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homemadhya-pradesh

जहां शेर भी हार गए, वहां डकैतों ने जमाया राज! ये थे चंबल के सबसे खतरनाक डकैत



Source link