Karwa Chauth 2025 : ‘साल में सिर्फ 1 दिन….’ करवा चौथ को लेकर पूजा जी के पति ने खोला अनोखा राज

Karwa Chauth 2025 : ‘साल में सिर्फ 1 दिन….’ करवा चौथ को लेकर पूजा जी के पति ने खोला अनोखा राज


Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का त्योहार भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है. परंपरागत रूप से इस दिन पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के खंडवा में एक ऐसी अनोखी जोड़ी है, जो इस पर्व को एक नए रूप में मना रही है. यहां पति राजेश चौधरी अपनी पत्नी पूजा चौधरी के लिए पिछले 11 वर्षों से करवा चौथ का व्रत रख रहे हैं. ये जोड़ी आज के दौर में सच्चे प्रेम और समानता की मिसाल बन चुकी है.

अगर तुम मेरे लिए व्रत रखोगी, तो मैं भी तुम्हारे लिए रखूंगा”
राजेश चौधरी और पूजा की शादी 22 फरवरी 2014 को हुई थी. शादी के पहले ही करवा चौथ पर राजेश ने अपनी पत्नी से वादा किया था – “अगर तुम मेरी लंबी उम्र के लिए व्रत रखोगी, तो मैं भी तुम्हारे लिए रखूंगा.” तब से लेकर आज तक, बिना किसी चूक के राजेश हर साल यह व्रत निभा रहे हैं. वे दिनभर निर्जला रहते हैं और रात को पत्नी के साथ चांद देखकर एक-दूसरे को पानी पिलाकर व्रत खोलते हैं. राजेश बताते हैं, “मेरी धर्मपत्नी का नाम ही पूजा है, तो मुझे साल में एक बार उसे पूजने और उसकी आरती उतारने का मौका मिलता है. मैं इसे प्रेम और समानता की रस्म के रूप में निभाता हूं.”

दोनों मिलकर करते हैं व्रत खोलने की रस्म
करवा चौथ की रात जब चांद आसमान में झांकता है, तब दोनों पति-पत्नी बालकनी में एक-दूसरे का चेहरा देखकर व्रत खोलते हैं. पूजा अपने पति के लिए सजी-धजी थाली लेकर आती हैं, वहीं राजेश उनके हाथों से पानी पीकर व्रत पूरा करते हैं. इसके बाद राजेश भी पत्नी को पानी पिलाते हैं. यह पल उनके लिए किसी उत्सव से कम नहीं होता. उनकी यह परंपरा केवल एक रस्म नहीं, बल्कि प्यार, सम्मान और विश्वास की खूबसूरत मिसाल बन गई है.

समानता का संदेश देता है यह करवा चौथ
राजेश मानते हैं कि समाज में पुरुष और महिला दोनों बराबर हैं. इसलिए अगर पत्नी पति की लंबी उम्र के लिए उपवास रख सकती है, तो पति भी क्यों नहीं रख सकता? उनका कहना है, “हम दोनों जीवन के हर सुख-दुख में साथ हैं. तो फिर व्रत में भेदभाव क्यों? प्यार का मतलब एक-दूसरे की खुशी में साझेदार बनना है.” यह सोच आज के दौर में एक सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करती है. जहां लोग समानता और सम्मान की बात करते हैं, वहीं राजेश और पूजा ने इसे अपने जीवन में अपनाकर दिखाया है.

सादगी में बसी प्रेम की कहानी
राजेश चौधरी खंडवा में रहते हैं और एक मल्टीनेशनल कंपनी सिस्टोपिक में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एम.आर.) के रूप में पिछले 15 सालों से काम कर रहे हैं. उनका पैतृक गांव बड़गांव गुर्जर है, जबकि उनकी पत्नी पूजा का मायका अहमदपुर खेगांव में है. उनके दो बच्चे हैं, और पूरा परिवार इस परंपरा को बड़े आदर के साथ निभाता है.

राजेश कहते हैं, “मेरा मानना है कि रिश्ता वही मजबूत होता है, जिसमें दोनों बराबर योगदान दें. यही वजह है कि मैं करवा चौथ का व्रत पत्नी के साथ रखता हूं.”

आज के समय में जहां रिश्तों में स्वार्थ और दिखावे का दौर बढ़ गया है, वहीं राजेश और पूजा जैसी जोड़ी हमें सच्चे प्रेम की याद दिलाती है. यह करवा चौथ सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक संवेदनशील संदेश भी है — प्यार में न कोई बड़ा, न कोई छोटा; दोनों बराबर हैं. ऐसी “दम प्यारी जोड़ी” सच में इस करवा चौथ की असली मिसाल है.



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