बैट-बॉल पर बम बरसाने वालों का दुनिया करे बहिष्कार, बौराए देश को करो बैन

बैट-बॉल पर बम बरसाने वालों का दुनिया करे बहिष्कार, बौराए देश को करो बैन


नई दिल्ली.  कल्पना कीजिए, युवा लड़के और लड़कियाँ खेल खेलने के लिए निकलते हैं लेकिन वे लौटकर नहीं आते. बमों से मारे जाते हैं, गोलियों का शिकार हो जाते है  यही आज की हमारी दुनिया है. अफगानिस्तान के युवा क्रिकेटरों की बर्बर हत्या ऐसा ही एक घिनौना काम है जिसकी कोई माफी नहीं है.  अगर अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के आधिकारिक बयान पर जाएँ, तो इन खिलाड़ियों को एक दोस्ताना क्रिकेट मैच खेलने के बाद, लौटते समय बमों से निशाना बनाया गया.

यह एक आपराधिक कृत्य है और एक बार फिर पाकिस्तान को एक ‘दुष्ट राष्ट्र’ के रूप में उजागर करता है. राशिद खान ने भी अपने एक्स (X) अकाउंट पर इस घटना की निंदा की है और गंभीर चिंता व्यक्त की है.
सच यह है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय खेलों का हिस्सा बनने का कोई अधिकार नहीं है. खेल सभ्य और समझदार समाज का दायरा है पर पाकिस्तान एक असंवेदनशील और बर्बर देश बन चुका है जिसे अलग-थलग किया जाना चाहिए. इन मासूमों पर हुए हमले से पाकिस्तान के समाज की गहराई तक फैली सड़ांध उजागर होती है.  अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, कोई पछतावा नहीं दिखता यही सबसे चिंता की बात है  ऐसे कामों  के प्रति वहां एक तरह की ‘स्वीकृति’ नजर आती है.

पाकिस्तान पर लगे पाबंदी

यह उचित ही है कि अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के साथ होने वाली त्रिकोणीय श्रृंखला से अपना नाम वापस ले लिया है भारत वैसे भी उनसे द्विपक्षीय श्रृंखला नहीं खेलता अब समय आ गया है कि अफगानिस्तान के साथ एकजुटता दिखाते हुए और मासूम नागरिकों की हत्या के विरोध में कोई और देश भी पाकिस्तान से नहीं खेले.  अब एक सीमा तय करनी होगी बस बहुत हो गया. यह ज़रूरी है कि मैं यह भी साफ़ कर दूं  कि दुनिया को  पाकिस्तान के खिलाड़ियों या उनके खेल से नहीं, बल्कि उस राजनीतिक व्यवस्था से आपत्ति है, जो अब पूरी तरह से बेलगाम हो चुकी है और जो अब किसी भी तरह से अंतरराष्ट्रीय खेल समुदाय में जगह पाने की हकदार नहीं है.

क्यो चुप हैं पाकिस्तान के खिलाड़ी ?

कल्पना कीजिए, युवा लोग केवल एक खेल खेलने जाते हैं और फिर लौटकर नहीं आते बमों से मारे जाते हैं. शब्द नहीं मिलते उस स्तब्धता और पीड़ा को व्यक्त करने के लिए.और अब यह सब कुछ पाकिस्तान के साथ नियमित होता जा रहा है. मुझे पता है कि कई पाकिस्तानी अकाउंट अब कहेंगे कि आप मध्य पूर्व में मारे जा रहे मासूमों के बारे में क्यों नहीं बोलते. बात साफ है हर निर्दोष की हत्या निंदनीय है और उस पर कार्रवाई होनी चाहिए.  मैं खेल की दुनिया में काम करता हूं और अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड का बयान और राशिद खान का संदेश पढ़ने के बाद स्तब्ध रह गया .

सवाल यह है कि पाकिस्तान के पूर्व महान खिलाड़ी इस कृत्य की निंदा क्यों नहीं करते इस अपराध के खिलाफ आवाज़ क्यों नहीं उठाते, चिंता क्यों नहीं जताते, और इस बार मामला भारत का नहीं है और ये बातें केवल आम लोग नहीं कह रहे अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने खुद कहा है और पाकिस्तान के खिलाफ होने वाली सीरीज़ से नाम वापस ले लिया है यह मसला गंभीर है और अंतरराष्ट्रीय ध्यान की मांग करता है.



Source link