भारत में खेती के तरीके तेजी से बदल रहे हैं. अब किसान पारंपरिक फसलों से आगे बढ़कर औषधीय और व्यावसायिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के पंधाना तहसील के जलकुआं गांव के किसान अक्ल सिंह किराड़े की, जिन्होंने पारंपरिक फसलों की जगह आमडी की भाजी (Amadi Bhaji) की खेती शुरू की. इस निर्णय ने न केवल उनके खेत की उपज बढ़ाई बल्कि उन्हें कम लागत में बेहतर मुनाफा भी दिलाया.
आमडी की भाजी, जिसे कुछ जगहों पर “लाल भाजी” या “अमरनाथ की पत्तियां” के नाम से भी जाना जाता है, एक औषधीय और पोषक तत्वों से भरपूर पत्तीदार सब्जी है. इसमें आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन A, C भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यह शरीर में खून बढ़ाने, पाचन सुधारने और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करती है.
किसान अक्ल सिंह का नया प्रयोग
अक्ल सिंह किराड़े ने जब देखा कि पारंपरिक फसलें जैसे सोयाबीन, मक्का और गेहूं में लागत तो ज्यादा लग रही है लेकिन मुनाफा सीमित है, तब उन्होंने कुछ अलग करने का मन बनाया. वे बताते हैं कि मैंने औषधीय खेती के बारे में पढ़ा और कृषि विभाग से जानकारी ली. इसके बाद आमडी की भाजी की खेती शुरू की. इसकी लागत कम है और बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है.
उन्होंने एक एकड़ जमीन में आमडी की भाजी की फसल लगाई. शुरुआती खर्च केवल 5 से 6 हजार रुपये आया, जिसमें बीज, हल्की खाद और सिंचाई की लागत शामिल थी.
खेती की प्रक्रिया और देखभाल
आमडी की भाजी की खासियत यह है कि इसे किसी भी मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन दोमट मिट्टी और हल्की नमी वाली जमीन इसके लिए सबसे बेहतर मानी जाती है.
बुवाई का समय: फरवरी से जुलाई तक इसका सबसे अच्छा समय होता है.
बीज की मात्रा: प्रति एकड़ में लगभग 1.5 से 2 किलो बीज पर्याप्त होता है.
खाद और सिंचाई: इसमें अधिक रासायनिक खाद की जरूरत नहीं होती. गोबर की खाद या जैविक खाद से ही अच्छी फसल मिलती है. हर 5-6 दिन में हल्की सिंचाई पर्याप्त होती है.
कटाई: बीज बोने के 25 से 30 दिन बाद पहली कटाई की जा सकती है, और इसके बाद हर 15-20 दिन में नई फसल तैयार हो जाती है.
मुनाफे की गणना
अक्ल सिंह बताते हैं कि एक एकड़ खेत से लगभग 40-50 क्विंटल हरी भाजी आसानी से मिल जाती है. बाजार में इसकी कीमत 15 से 25 रुपये प्रति किलो तक होती है. यानी एक एकड़ से 70 से 80 हजार रुपये तक की आमदनी संभव है, जबकि कुल लागत 6 से 8 हजार रुपये के बीच रहती है.
औषधीय महत्व
आमडी की भाजी केवल खाने के लिए नहीं, बल्कि औषधीय दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी मानी जाती है. आयुर्वेद में इसे खून की कमी, त्वचा रोग, और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं में लाभकारी बताया गया है. यही वजह है कि अब इसे हर्बल कंपनियों द्वारा भी खरीदा जा रहा है.
बाजार में बढ़ती मांग
शहरों में फिटनेस और हेल्थ के प्रति जागरूकता बढ़ने के कारण आमडी की भाजी की मांग तेजी से बढ़ रही है. सुपरमार्केट, रेस्टोरेंट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अब इस भाजी को ऑर्गेनिक लेबल के साथ बेचा जा रहा है.
भविष्य की योजना
अक्ल सिंह का कहना है कि आने वाले समय में वे इस खेती का विस्तार करेंगे और अन्य किसानों को भी प्रेरित करेंगे. उन्होंने बताया कि अब गांव के कई किसान मेरे खेत देखने आते हैं. मैं उन्हें बताता हूं कि अगर थोड़ी मेहनत और जानकारी ली जाए तो आमडी की भाजी से सालभर अच्छी आय हो सकती है.