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Indore Name History: इंदौर का नाम शिव मंदिर इंद्रेश्वर महादेव से जुड़ा है, जानिए कैसे इंद्रपुर, इंदूर और ब्रिटिश शासन के दौरान इंदौर बना और शहर की ऐतिहासिक कहानी…
इंदौर को मध्य प्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी कहा जाता है. यह शहर देश के प्रमुख शिक्षण केंद्रों में से एक बन गया है, जहां आईआईएम (IIM) और आईआईटी (IIT) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान हैं. यह स्वच्छता में भी नंबर है, लेकिन इस शहर के नाम में भी दिलचस्प कहानी है.

इंदौर का नाम मुख्य रूप से एक प्राचीन मंदिर के नाम पर पड़ा है।. इस शहर का नाम एक बार नहीं बल्कि अलग अलग समय में अनेकों बार बदला है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इंदौर शहर का नाम भगवान शिव से जुड़ा हुआ है,जिसे यहां के धन्ना सेठों ने दिया था.

दरअसल इंदौर का नाम इंद्रेश्वर महादेव मंदिर से लिया गया है. इस मंदिर का निर्माण 1741 ईस्वी में स्थानीय ज़मींदारों द्वारा, विशेष रूप से राव नंदलाल चौधरी मंडलोई (जिन्हें शहर के संस्थापकों में से एक माना जाता है) के आग्रह पर, किया गया था.

इंदौर शहर में मौजूद इंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण सरस्वती और कान्ह नदियों के संगम पर किया गया था. ऐसी मान्यता है कि इस क्षेत्र के देवता स्वयं देवराज इंद्र के नाम पर इस शिवालय का नाम इंद्रेश्वर पड़ा, और इसी मंदिर के नाम पर बस्ती का नाम रखा गया.

समय के साथ साथ इंदौर के कईं नाम प्रचलन में आए जिनमें इंद्रपुर, इंदूर और अब इंदौर है।. इंद्रपूर का जिक्र गुप्तकाल के अभिलेखों में भी मिलता है. इसे राष्ट्रकूट राजा इंद्र तृतीय के नाम पर रखा भी माना जाता है.

इंद्रपूर से फिर हुआ इंदूर, एतिहासिक तथ्यों की माने तो यह नाम मराठा शासन काल के दौरान प्रचलन में आया. यह इंद्रपूर का अपभ्रंश था। जब वर्तमान का नाम इंदौर ब्रिटिश शासन काल से चला आ रहा है।. ब्रिटिश अधिकारियों ने इंदूर को इंदौर किया और तब से ही इसका उच्चारण ऐसा होने लगा साथ ही प्रशासनिक कामों के लिए भी इसे इंदौर ही कहा जाने लगा।.

कईं संगठन समय समय पर इंदौर को फिर से इंदूर करने और इसका उच्चारण भी इंदूर करने के लिए आंदोलन कर चुके हैं बीच बीच में ऐसी मांग उठती भी रही है. लोगों का मानना है कि ये ब्रिटिश पहचान का परिचायक है इसलिए पुन: इसे इंदूर किया जाना चाहिए.