अंबेडकर के बाद राव और सनातन की एंट्री: ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर से सोशल मीडिया होते हुए कई राज्यों तक पहुंचा अंबेडकर प्रतिमा विवाद – Gwalior News

अंबेडकर के बाद राव और सनातन की एंट्री:  ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर से सोशल मीडिया होते हुए कई राज्यों तक पहुंचा अंबेडकर प्रतिमा विवाद – Gwalior News


अंबेडकर बनाम बीएन राव विवाद के बाद सुरक्षा बल भी सक्रिय रहे।

हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ परिसर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा की स्थापना से शुरू हुआ विवाद 9 महीने बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। मामले में नए संविधान निर्माता बीएन राव की एंट्री से सोशल मीडिया की गलियों से होता हुआ सड़कों

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ग्वालियर-चंबल अंचल में तनाव, टकराव और विवाद के बाद एक नई बहस भी शुरू कर दी है कि संविधान निर्माता कौन (डॉ. भीमराव अंबेडकर या बीएन राव) है। 15 अक्टूबर के आंदोलन की चेतावनी को जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन ने सूझबूझ से टाल दिया हो, लेकिन यह विवाद अभी थमा नहीं है।

दोनों गुट जल्द आंदोलन को नए सिरे से खड़े करने पर बैठकें कर रहे हैं। यही कारण है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की 10 फीट ऊंची जिस प्रतिमा पर विवाद था वह प्रतिमाकार प्रभात राय के स्टूडियों में कड़ी सुरक्षा में रखी गई है।

ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में 14 मई को जब अंबेडकर प्रतिमा स्थापना के समय हुआ था हंगामा, इनसेट में प्रतिमा।

विवाद कहां से शुरू हुआ ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रतिमा विवाद का जन्म 19 फरवरी 2025 को हुआ था। 19 फरवरी 2025 को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ग्वालियर आए थे। यहां अंबेडकर को मानने वाले गुट के अधिवक्ता विश्वजीत रतोनिया, धर्मेंद्र कुशवाह और राय सिंह ने एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर की प्रतिमा लगाने की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस ने मौखिक सहमति दे दी थी।

7 मई 2025 को भीम आर्मी के पूर्व सदस्य रूपेश केन को हाईकोर्ट परिसर के सामने वकीलों ने पीट दिया था।

7 मई 2025 को भीम आर्मी के पूर्व सदस्य रूपेश केन को हाईकोर्ट परिसर के सामने वकीलों ने पीट दिया था।

इसके बाद PWD ने परिसर में प्रतिमा के लिए मंच बनाया। वकीलों ने चंदा इकट्ठा करके प्रतिमा बनवाई। अभी तक वकीलों के इस गुट ने एक बार भी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व सचिव को कुछ बताना उचित नहीं समझा। बस इसी बात से टकराव शुरू हो गया। अनदेखी, सहमति नहीं लेना से अहम की लड़ाई शुरू हुई जो अब जातिगत टकराव के साथ सनातन के अपमान का रूप ले रही है।

दूसरे पक्ष ने अंबेडकर के सामने बीएन राव को संविधान निर्माता बताकर प्रतिमा स्थापना के लिए भूमि पूजन किया।

दूसरे पक्ष ने अंबेडकर के सामने बीएन राव को संविधान निर्माता बताकर प्रतिमा स्थापना के लिए भूमि पूजन किया।

अंबेडकर की टक्कर में बीएन राव को लाया गया ग्वालियर में पिछले 9 महीने में कभी भी यह विवाद शांत नहीं रहा है। बाहर से जरूर कभी मुद्दा दबता नजर आए, लेकिन अंबेडकर को मानने वाले और विरोधियों के बीच लगातार टकराव जारी है। हाईकोर्ट परिसर प्रतिमा की राजनीति का अखाड़ा बन गया था।

अंबेडकर प्रतिमा लगाने का विरोध करने वाले वर्ग ने पहले उस स्थान जहां अंबेडकर प्रतिमा लगनी थी वहां जबरदस्ती भारतीय तिरंगा (राष्ट्रीय ध्वज) को स्थापित कर दिया। पर विरोधियों को कोई ऐसा चेहरा चाहिए था जो डॉ. भीमराव अंबेडकर और उनके संविधान निर्माता टैग को चुनौती दे सके।

इसी बीच अंबेडकर विरोधी संविधान निर्माता के रूप में संविधान निर्माण के समय के शासकीय अधिकारी बीएन राव को संविधान निर्माता का चेहरा बनाकर सामने ले आए। इतना ही नहीं ग्वालियर के कंपू स्थित नेहरू पार्क में बीएन राव की प्रतिमा के लिए एडवोकेट अनिल मिश्रा के अगुआई में भूमि पूजन भी कर दिया गया। 26 मार्च 2025 को प्रिंसिपल रजिस्ट्रार का आदेश आया 26 मार्च 2025 को प्रिंसिपल रजिस्ट्रार का आदेश आया। बताया गया कि कमेटी के 5 सदस्यों ने डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा की स्थापना को कुछ समय के लिए टालने का सुझाव दिया था। हालांकि, दो सदस्यों ने प्रतिमा स्थापना पर सहमति जताई है। उनका तर्क था कि काम शुरू हो चुका है और वकीलों और आम जनता द्वारा प्रतिमा निर्माता को भुगतान भी किया जा चुका है।

बैठक के बाद से काफी समय बीत चुका है। जिला और हाईकोर्ट के अधिकांश वकीलों ने प्रतिमा स्थापना के पक्ष में हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है, इसलिए प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए। इस आदेश में आखिरी लाइन यही लिखा था कि स्थापित की जा सकती है। पहले विचारों का टकराव अब जातिगत विवाद में बदला

पहले यह विवाद हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के परिसर में वकीलों के दो पक्षों का था। यह विचारों का टकराव था, जो धीरे-धीरे अहम और तनाव के चलते अब जातिगत टकराव में बदलता जा रहा है। इसमें अंबेडकर प्रतिमा का जिक्र होते ही कई बाहरी संगठन कूद पड़े हैं। जिससे सोशल मीडिया से लेकर पान और गुमटियों की दुकानों पर जमकर चर्चा और एक-दूसरे को चुनौतियां दी जा रही हैं और स्वीकार की जा रही हैं। यही कारण है कि पुलिस ने संविधान निर्माता की प्रतिमा को निगरानी में लेकर कड़ी सुरक्षा में रखा गया है।

सीएसपी को लगाना पड़ा था ‘जय श्रीराम’ का जयकारा

जब सीएसपी हिना खान ने जय श्रीराम के नारे लगाए थे।

जब सीएसपी हिना खान ने जय श्रीराम के नारे लगाए थे।

इस विवाद में 14 अक्टूबर को जब एडवोकेट अनिल मिश्रा धारा 163 लागू होने के बाद सड़क पर सुंदरकांड करना चाहते थे तो पुलिस ने उनको रोका था। ड्यूटी पर तैनात सीएसपी हिना खान को एडवोकेट मिश्रा पक्ष ने सनातन विरोधी बताया था। उनके समर्थक जय श्रीराम के नारे लगाने लगे थे। यहां सीएसपी हिना खान ने खुद जय श्रीराम का जयकारे लगाकर सभी की बोलती बंद कर दी थी, जिसके बाद वह मुद्दा वहीं बंद हो गया था।

सनातन, हिंदुओं के अपमान की ओर बढ़ा विवाद हाल ही के कुछ दिन में जो घटा है उससे हाईकोर्ट परिसर पर अंबेडकर प्रतिमा स्थापना का विवाद जातिगत होते हुए सनातन परंपरा के अपमान, हिंदू देवी-देवताओं के अपमान पर आकर ठहर गया। विवाद का रंग अब नीला वर्सेज भगवा (केसरिया) हो गया है। अब साफ तौर पर दो खेमे नजर आ रहे हैं। एक पक्ष में शुद्ध रूप से डॉ. भीमराव अंबेडकर समर्थक हैं तो दूसरी ओर खुद को सनातनी व हिंदू धर्म को बचाने की बात कहते हुए नजर आ रहे हैं।

जिला प्रशासन और पुलिस की तैयारी इस मामले में कलेक्टर रूचिका चौहान व एसएसपी धर्मवीर सिंह ने अपने स्तर पर पूरी नजर रख रहे हैं। बाहर से आने वाले भीम सेना, आजाद समाज पार्टी या अन्य संगठनों को कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जा रही है। अंबेडकर विरोध करने वाले पक्ष भी लगातार बीएन राव के पक्ष में आंदोलन खड़ा करने का प्रयास करेंगे। इस पर भी जिला प्रशासन और पुलिस की पूरी नजर है।

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ग्वालियर में तमाम अपील और दलीलों के बावजूद डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रतिमा विवाद थमता नहीं दिख रहा है। सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को देख लेने और सबक सिखाने के चैलेंज पुलिस के लिए चुनौती बने हुए हैं। पूरी खबर पढ़ें



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