उज्जैन में त्रिशूल शिवगण वाहिनी द्वारा आयोजित शिप्रा प्रदक्षिणा यात्रा रविवार को रामघाट पर मां शिप्रा के पूजन के बाद प्रारंभ हुई। इस यात्रा में संत-महात्माओं सहित लगभग 100 लोगों का दल शामिल है, जो शिप्रा नदी के उद्गम स्थल तक जाएगा। यात्रा का मुख्य उद
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यात्रा के शुभारंभ से पूर्व रामघाट पर संत-महंतों ने मां शिप्रा का विधि-विधान से पूजन किया और चुनरी अर्पित की। जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर शैलेश आनंद गिरि और निर्मोही अखाड़ा के महंत ज्ञान दास महाराज के मार्गदर्शन में यह प्रदक्षिणा यात्रा शुरू हुई।
यह यात्रा शिप्रा नदी के उद्गम स्थल ग्राम बोलासा, दकनासोडी और मुडला दोसर तक पहुंचेगी। 3 नवंबर को उद्गम स्थल से वापसी पर यह सिमरोड, उन्हेल, आलोट, सिपावरा, शिप्रा-चंबल संगम, महिदपुर और नारायणा धाम होते हुए 5 नवंबर की शाम को रामघाट पहुंचेगी।
यात्रा के दौरान विभिन्न पड़ाव स्थलों पर सनातन पंचायत के माध्यम से धर्म चेतना सभाओं का आयोजन किया जाएगा। इन सभाओं में नदी, नारी और न्याय जैसे विषयों पर चर्चा होगी। साथ ही, शिप्रा नदी को उसके पौराणिक स्वरूप में लौटाने और उसे निर्मल बनाने के लिए आम नागरिकों को जल संवर्धन हेतु प्रेरित किया जाएगा।

यात्रा का समापन 5 नवंबर को रामघाट पर ‘एक दीया शिप्रा के नाम’ अभियान के साथ होगा। यह अभियान शिप्रा नदी के प्रति आस्था और उसके संरक्षण के संकल्प को दर्शाएगा।

यात्रा के प्रारंभ में महामंडलेश्वर शैलेश आनंद गिरि, महंत ज्ञान दास, महंत विशालदास, महंत रामेश्वर दास, महामंडलेश्वर शांति स्वरूपानंद, महामंडलेश्वर भागवातानंद गिरी, महामंडलेश्वर प्रेमानंद, स्वामी रंगनाथाचार्य, पूर्व विधायक पारस जैन, त्रिशूल शिवगण वाहिनी के आदित्य नागर और सुरेन्द्र चतुर्वेदी सहित कई संत और श्रद्धालु उपस्थित थे।