Chhatarpur News: हाल ही में MPPSC 2023 की परीक्षा के परिणाम जारी हुए हैं. इसमें छतरपुर में लवकुश नगर की रहने वाली मयंका चौरसिया ने भी सफलता हासिल की है. उनका चयन डीएसपी पद पर हुआ है. लेकिन, खास बात ये नहीं है. खास तो मयंका की वो जिद थी, जो उन्होंने अफसर बनने के पहले खाई थी. मयंका ने कहा था अगर लाल बत्ती नहीं तो शादी नहीं… जानें छतरपुर के इस युवा की सफलता की कहानी.
मयंका के पिता राजेंद्र प्रसाद चौरसिया बीईओ रहे हैं. वहीं, उनकी माता गृहणी हैं. मयंका के पिता राजेंद्र प्रसाद चौरसिया बताते हैं कि मयंका हमारे परिवार की पहली है जो डीएसपी बनने जा रही है. परिवार में खुशी तो है ही, साथ ही लवकुश नगर में भी खुशी का माहौल है. जिसे भी बेटी की सफलता के बारे में पता चलता है, वह घर में बधाई देने जरूर आता है. नगर वासियों को गर्व है कि इस छोटे से कस्बे से एक बेटी डीएसपी बनने जा रही है.
बीटेक के दौरान ही तैयारी शुरू
राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि मयंका ने कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई लवकुश नगर में रहकर ही की है. इसके बाद भोपाल से 2016 में बीटेक कंप्लीट किया. बीटेक करने के दौरान ही मयंका ने सोच लिया था कि प्राइवेट नौकरी नहीं करनी है.
इंदौर में रहकर की सेल्फ स्टडी
मयंका ने पहली बार एमपीपीएससी स्टेट सर्विस एग्जाम 2016 अटेम्प्ट दिया. हालांकि, उस समय बेटी 21 साल की नहीं थी. इसके बाद वह इंदौर में रहकर सेल्फ स्टडी करने लगी. यहीं रहकर उसने 2017 में प्रयास किया, जिसमें वह मेंस तक पहुंची. फिर 2018 में प्री ही निकला.
लगातार 3 बार इंटरव्यू तक पहुंची
इसके बाद लगातार 2019, 2020 और 2022 में वह इंटरव्यू तक पहुंचीं. लेकिन, फाइल लिस्ट में नाम नहीं आया. 2023 में फिर से परीक्षा दी. इस बार फिर से इंटरव्यू तक पहुंचीं. लेकिन 2025 के नवंबर माह में आए परिणाम ने मयंका के सपने को सच कर दिया. पिता ने कहा, कानों को सुनने को मिला कि हमारी बेटी डीएसपी बन गई. ये सुनने के लिए कान सालों से इंतजार कर रहे थे.
बेटी को साइंस खुद ही पढ़ाया
राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि हमारे घर में तीन बेटियां और एक बेटा है. मयंका घर में सबसे छोटी बेटी है. सभी अच्छी नौकरी कर रहे हैं. मैं खुद लेक्चरार, प्राचार्य और खंड शिक्षा अधिकारी रहा हूं तो बच्चों को घर में पढ़ाई का माहौल दे पाया हूं. मैं खुद साइंस पढ़ाता था. मयंका को भी केमिस्ट्री, फिजिक्स और बायो पढ़ाई है. हालांकि, मैं एक किसान परिवार से आता हूं. मेरे पिता पान बरेजा लगाते थे. मैं तो आज भी खेती करता हूं.
खाना बनाने से लेकर मिठाई भी बनाई
वहीं, मयंका की मां रामरती बताती हैं, मैंने भी उस जमाने में बीए तक की पढ़ाई की थी. भले ही शादी के बाद जॉब नहीं की, लेकिन शिक्षा का महत्व समझती थी. इसलिए मैं भी बच्चों का फुल सपोर्ट करती थी. हमारी बेटी मयंका सिर्फ पढ़ाई में ही आगे नहीं रही, बल्कि वह घर के सारे काम भी करती थी. जब भी वह घर में रहती थी तो खाना बनाने से लेकर मिठाई तक बनाती थी. अपने दादा-दादी की भी खूब सेवा करती थी.
सेलेक्शन नहीं तो शादी नहीं
मां ने बताया, मयंका तैयारी के दौरान यही कहती थी, “इस परीक्षा में एक दिन मेरा सेलेक्शन जरूर होगा और जब तक लाल बत्ती नहीं मिलेगी तब तक शादी नहीं करूंगी.” यही उसने संकल्प ले रखा था. हालांकि, उसे डिप्टी कलेक्टर बनना था. लेकिन हम डीएसपी पद से ही बहुत खुश हैं. हमें खुशी ये भी है कि अब वह शादी कर लेगी.