गुवाहाटी3 मिनट पहले
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भारत को गुवाहाटी टेस्ट में सबसे बड़ी हार झेलनी पड़ी। उसे साउथ अफ्रीका ने बुधवार को 408 रन के बड़े अंतर से हराया।
अब सवाल यह है कि क्या कोच गंभीर भारत की हार के जिम्मेदार हैं, क्या टीम इंडिया घर में टेस्ट खेलना भूल गई है?
ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि, टीम इंडिया ने पिछले 13 महीने में 7 में से 5 होम टेस्ट गंवा दिए हैं।
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब टीम इंडिया ने घर में इतने कम समय में 5 टेस्ट मैच गंवाए हैं।
इतना ही नहीं, भारत को पिछले एक साल (नवंबर-2024 से नवंबर-2025) में दूसरी बार घरेलू पिचों पर क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा है।
टेस्ट में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद कोच गंभीर की आलोचनाएं हो रही हैं। उन्हें हटाने की मांग भी उठ रही है। कई एक्सपर्ट्स इतना तक कह चुके हैं कि गंभीर को टेस्ट कोचिंग छोड़ देनी चाहिए।
गंभीर की कोचिंग पर सवाल उठाते- 2 बयान
1. अनिल कुंबले ने कहा- इतने बदलाव जरूरी नहीं दिग्गज स्पिनर और पूर्व कोच अनिल कुंबले ने कोच गौतम गंभीर की लगातार टीम में बदलाव करने की रणनीति पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा-
टेस्ट क्रिकेट अलग मेंटालिटी मांगता है। इतने सारे ऑलराउंडर, इतने बदलाव, बैटिंग ऑर्डर में इतने फेरबदल… हर दूसरे मैच में नए खिलाड़ी और दो खिलाड़ियों को बाहर कर देना, यह नहीं चल सकता।

कुंबले ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा-
आप 1-2 अनुभवी खिलाड़ियों के साथ बाकी नए खिलाड़ियों से उम्मीद नहीं कर सकते कि वे खुद को ढूंढ़ लेंगे। टीम में स्थिरता जरूरी है।

2. वेंकटेश प्रसाद बोले- ऑलराउंडर्स के जुनून ने बर्बाद किया पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने ऑलराउंडर के जुनून को हार के लिए जिम्मेदारी बताया। उन्होंने सोशल पोस्ट में लिखा-
भारत की टेस्ट क्रिकेट अप्रोच बेहद निराशाजनक है। ऑलराउंडर्स का जुनून पूरी तरह गलत है, खासकर जब आप उन्हें गेंदबाजी ही नहीं कराते। खराब रणनीति, खराब स्किल, खराब बॉडी लैंग्वेज… लगातार दो घरेलू सीरीज में व्हाइटवॉश। उम्मीद है यह बात यूं ही धुल नहीं जाएगी।

टेस्ट में गंभीर की 4 बड़ी गलतियां
गलती-1: सिर्फ 3 स्पेशलिस्ट बैटर
गौतम गंभीर की कोचिंग में टीम इंडिया व्हाइट बॉल के साथ रेड बॉल क्रिकेट में भी ऑलराउंडर्स पर बहुत ज्यादा जोर देने लगी। इसका असर ये हुआ कि टीम में 3 या 4 स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों को ही मौका मिल पा रहा है। साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज में तो भारत ने दोनों टेस्ट में 3-3 स्पेशलिस्ट बैटर्स को ही खिलाया। यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल ने दोनों टेस्ट खेले, वहीं पहले में शुभमन गिल और दूसरे में साई सुदर्शन को मौका मिला।
पहले मैच में भारत के 3 बैटर्स स्पिन पिच पर कुछ खास नहीं कर सके, लेकिन दूसरे मुकाबले की पहली पारी में तीनों ने 95 रन बनाए। जबकि 4 से 7 नंबर के बल्लेबाज मिलकर 23 रन ही बना सके। ऋषभ पंत और ध्रुव जुरेल जैसे खिलाड़ी तो रिस्की शॉट खेलने की कोशिश में अपना विकेट दे बैठे। जबकि इस फॉर्मेट में इन शॉट्स की कुछ खास जरूरत भी नहीं रहती।

गलती-2: बैटिंग ऑर्डर में ज्यादा एक्सपेरिमेंट
गंभीर की कोचिंग में टीम इंडिया की नंबर-3 की बैटिंग पोजिशन फिक्स नहीं हो पा रही। साउथ अफ्रीका टेस्ट को ही देखें तो यहां पहले मुकाबले में वॉशिंगटन सुंदर और दूसरे में साई सुदर्शन ने नंबर-3 पर बैटिंग की। इस पोजिशन पर करुण नायर को भी मौका दिया गया, लेकिन किसी भी प्लेयर को ज्यादा समय तक यह पोजिशन नहीं मिली।
गंभीर के कोच बनने से पहले 25 साल भारत को इस पोजिशन की चिंता नहीं करनी पड़ी। पहले राहुल द्रविड़ तो बाद में चेतेश्वर पुजारा ने इस पोजिशन को संभाला और कई तरह की सिचुएशन में टीम को बिखरने से रोका। नंबर-5 की पोजिशन भी परेशानी की बात है, यहां ऋषभ पंत, ध्रुव जुरेल और रवींद्र जडेजा को ट्राई किया जा रहा है। इस पोजिशन को वीवीएस लक्ष्मण और अजिंक्य रहाणे ने संभाले रखा था, लेकिन अब यहां भी बहुत ज्यादा एक्सपेरिमेंट हो रहे हैं। जिससे टीम में स्थिरता नहीं आ पा रही।

गलती-3: स्ट्राइक फिंगर स्पिनर की कमी
टीम इंडिया में विकेट टेकिंग फिंगर स्पिनर की भी कमी होने लगी है। एशियन कंडीशन में 2013 से 2023 तक भारत के दबदबे की बड़ी वजह रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा की स्पिन जोड़ी रही। न्यूजीलैंड से पिछले साल घर में क्लीन स्वीप के बाद भारत के सेकेंड टॉप विकेट टेकर रविचंद्रन अश्विन ने रिटायरमेंट ले लिया।
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अश्विन की जगह ऑफ स्पिन ऑलराउंडर वॉशिंगटन सुंदर को प्राथमिकता दी गई। जिसके बाद उन्होंने आगे खेलना कंटिन्यू नहीं किया। अश्विन टीम के स्ट्राइक बॉलर थे, उनके जाने के बाद जडेजा अकेले पड़ जा रहे हैं। नए कप्तान भी जडेजा की बॉलिंग को उतने बेहतर तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे, जिस तरीके से एमएस धोनी और विराट कोहली करते थे।
टीम मैनेजमेंट अब सुंदर और अक्षर पटेल जैसे स्पिन ऑलराउंडर्स पर फोकस कर रही है, लेकिन उनमें अश्विन जैसी विकेट लेने वाली क्षमता नजर नहीं आती। घरेलू क्रिकेट में साई किशोर, सारांश जैन और सौरभ कुमार जैसे स्ट्राइक फिंगर स्पिनर्स हैं, लेकिन उन्हें मौके नहीं मिल रहे।

गलती-4: ऑलराउंडर्स बेदम साबित हो रहे
सुंदर, अक्षर, जडेजा और नीतीश रेड्डी की ऑलराउंड स्किल पर बहुत ज्यादा भरोसा दिखाया जा रहा है। ज्यादातर मुकाबलों में 4 में से 3 खिलाड़ी तो प्लेइंग-11 का हिस्सा रहते ही हैं। उनकी काबिलियत अच्छी है, लेकिन यह टेस्ट में टीम इंडिया के काम नहीं आ रही। सुंदर और अक्षर बैट से तो प्रभाव छोड़ पा रहे हैं, लेकिन टेस्ट टीम में ऑफ स्पिनर का काम नहीं कर पा रहे।
जडेजा कई बार विकेट झटक ले रहे हैं, लेकिन एशियन कंडीशन में उनकी बैटिंग फ्लॉप ही साबित हो रही। नीतीश रेड्डी को तो इंडियन कंडीशन में प्लेइंग-11 में शामिल करने का कोई मतलब ही नहीं नजर आ रहा। न तो उनके बैट से रन आ रहे और न ही वे अपनी गेंदबाजी में कमाल कर पा रहे। उन्हें ज्यादा बॉलिंग के मौके भी नहीं दिए जा रहे। उनकी जगह किसी स्पेशलिस्ट बल्लेबाज को मौका देकर टीम ज्यादा फायदा हासिल कर सकती है।
